जानें आर्ट्स की तैयारी की कला
आर्ट्स स्ट्रीम के विद्यार्थियों के लिए भी पिछले कुछ वर्षो में कैरियर संभावनाओं का विस्तार हुआ है. इसलिए अब प्रतिभावान छात्रों ने भी 12वीं से ही इस ओर रुख करना शुरू कर दिया है. जाहिर है, आर्ट्स स्ट्रीम की 12वीं की बोर्ड परीक्षा को हल्के में लेना आपके कैरियर के लिए घातक हो सकता है. […]
आर्ट्स स्ट्रीम के विद्यार्थियों के लिए भी पिछले कुछ वर्षो में कैरियर संभावनाओं का विस्तार हुआ है. इसलिए अब प्रतिभावान छात्रों ने भी 12वीं से ही इस ओर रुख करना शुरू कर दिया है. जाहिर है, आर्ट्स स्ट्रीम की 12वीं की बोर्ड परीक्षा को हल्के में लेना आपके कैरियर के लिए घातक हो सकता है. अवसर के इस अंक में आप विस्तार से जानेंगे कि बाकी बचे दिनों में आर्ट्स स्ट्रीम के प्रमुख विषयों की तैयारी कैसे करें.
बारहवीं की परीक्षा महज एक परीक्षा नहीं होती, बल्कि यह किसी छात्र के भविष्य की बुनियाद तैयार करती है. बारहवीं कक्षा में अपने लिए विषय चयन के साथ ही छात्र तय करते हैं कि उन्हें आगे चल कर क्या करना है और उनके इस लक्ष्य को पूरा करने में बारहवीं बोर्ड परीक्षा के अंकों का महत्वपूर्ण योगदान होता है.
बोर्ड परीक्षा में अब ज्यादा दिन शेष नहीं बचे हैं, इसलिए इसे लेकर छात्रों में उहापोह स्वाभाविक है. लेकिन यही वह वक्त है, जब आप अपनी अब तक की तैयारी को पूरे आत्मविश्वास के साथ अंतिम रूप प्रदान करें. परीक्षा कोई भी हो, उसमें परीक्षार्थियों के आत्मविश्वास की अहम भूमिका होती है. आम तौर पर देखा गया है कि बोर्ड परीक्षा नजदीक आने पर बहुत से विद्यार्थियों के मन में परीक्षा पैटर्न, मार्किग स्कीम, प्रमुख प्रश्नों, मॉडल/ सैंपल पेपर्स, टाइम टेबल आदि को लेकर बेचैनी पैदा होने लगती है. कुछ विद्यार्थी अपने आत्मविश्वास के दम पर इस समस्या से आसानी से निजात पा लेते हैं, जबकि कुछ के लिए इस स्थिति से गुजरना बेहद कठिन साबित होता है. आज हम अवसर की कवर स्टोरी में आर्ट्स स्ट्रीम के विषयों की तैयारी के लिए विशेषज्ञों की सलाह प्रस्तुत कर रहे हैं, जो परीक्षा से पहले के शेष कुछ दिनों में आपके लिए मददगार हो सकती है.
विषयवार तैयारी की जानकारी से पहले कुछ जरूरी बातें. आर्ट्स विषयों में छात्रों को अधिक अंक तभी मिलते हैं, जब प्रस्तुतीकरण, तथ्यों, चित्र और आंकड़ों की कसौटी पर वे पूरी तरह से खरे उतरें. 12वीं में आर्ट्स स्ट्रीम के विषय सरसरी तौर पर देखने में भले ही आसान प्रतीत होते हों, लेकिन इसमें छात्रों को अन्य स्ट्रीम की अपेक्षा अधिक लिखना होता है. इसलिए बोर्ड परीक्षा की तैयारी के दौरान ही यह तय करें कि आपको पहले किस तरह के प्रश्नों को हल करना हैं. इस संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि ज्यादातर छात्र पहले उन्हीं प्रश्नों को हल करते हैं, जो उन्हें अच्छी तरह से याद हों. पेपर हल करने का सही तरीका भी यही है. इस पद्धति से छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ता है और समय की भी बचत होती है.
इसके अलावा प्रश्नों का उत्तर लिखते समय तिथियों को लिखने में सावधानी बरतें. जो तथ्य बेहद महत्वपूर्ण लगे, उसे अंडरलाइन कर दें. जहां उदाहरण देना अथवा कोट लिखना जरूरी हो वहां इसे जरूर लिखें. आर्ट्स के ज्यादातर पेपरों की प्रकृति विस्तृत होती है, इसलिए छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे इन्हें हल करते समय अपने विचारों को खुला रखें. आर्ट्स के विभिन्न विषयों की तैयारी के लिए एनसीइआरटी की पुस्तकों को बहुत ही कारगर माना जाता है. इसलिए छात्र अध्ययन और तैयारी में उन्हें अवश्य शामिल करें.
बोर्ड परीक्षा के लिए शेष बचे समय में अपने टाइम टेबल को कुछ इस तरफ बनाएं कि सभी महत्वपूर्ण चीजों का पर्याप्त रिवीजन हो सके.अगर आपने सालभर पढ़ाई का रुटीन सही रखा है और सभी विषयों का कोर्स पूरा हो चुका है, तो अब आपको टाइम टेबल में कुछ ऐसे अध्यायों को भी जोड़ना चाहिए, जो आपको कुछ कठिन लगते हों. इससे उन चैप्टर्स की तैयारी बेहतर की जा सकती है. रिवीजन की रणनीति इस तरह बनाएं कि ज्यादा अंकों के टॉपिक्स समय से पहले तैयार हो जायें. इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और परीक्षा से जुड़ा दबाव कम होगा.
बुलंद हौसले से पार होगी आर्ट्स स्ट्रीम की नैया
बोर्ड परीक्षा से पहले के कुछ दिनों में आर्ट्स स्ट्रीम के विषयों की तैयारी के लिए सही रणनीति और बेहतर समय प्रबंधन की आवश्यकता होती है. बचे हुए दिनों में कैसे करें आर्ट्स के प्रमुख विषयों की तैयारी, जानते हैं इस आलेख में.
राजनीति विज्ञान : कम शब्दों में स्पष्ट करें
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में राजनीति विज्ञान बहुत मायने रखता है. यदि छात्र की रुचि इसमें है, तो यह विषय आगे चल कर उनके कैरियर पर रोचक प्रभाव छोड़ता है. इसकी तैयारी के लिए समसामयिक जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है. इसलिए देश-विदेश की घटनाओं व प्रमुख हलचलों के प्रति अपडेट रहें. एनसीइआरटी की पुस्तकें इसमें बेहद कारगर होती हैं. इस विषय को दो पुस्तकों में बांटा गया है. समकालीन विश्व राजनीति व स्वतंत्र भारत की राजनीति. इन दोनों के अंक समान हैं और दोनों का अध्ययन भी अनिवार्य है. विश्व राजनीति में मुख्यत: अमेरिकी वर्चस्व, सत्ता के वैकल्पिक केंद्र, समकालीन दक्षिण एशिया आदि से अधिक प्रश्न पूछे जाते हैं. जबकि स्वतंत्र भारत में राष्ट्र निर्माण की चुनौतियां, नियोजित विकास की राजनीति, आपातकाल के कारण व परिणाम, संयुक्त राष्ट्र एवं भारत की विदेश नीति से कई प्रश्न पूछे जाते हैं. छात्रों को चाहिए कि राजनीति के सिद्धांतों, अवधारणाओं, चुनौतियों आदि को अच्छी तरह समङों. इसमें शुरू के जो 15 मिनट प्रश्नपत्र पढ़ने के लिए मिलते हैं, उसी समय उसे हल करने की रूपरेखा भी तैयार कर लें. इस विषय में चार तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं. एक-एक अंक के 10 प्रश्न, दो-दो अंक के 10 प्रश्न, चार-चार अंक के 10 प्रश्न और छह अंक वाले पांच प्रश्न शामिल होते हैं. ध्यान से पढ़ने के साथ ही छात्रों के लिए यह जरूरी होता है कि वे यह देखें कि वास्तव में प्रश्न में पूछा क्या गया है. उत्तर लिखते समय जो बिंदु जरूरी लगे, उसे अंडरलाइन करते जायें.
कुछ महत्वपूर्ण निर्देश : प्रश्नों को समय के अनुसार बांट लें.
उत्तर देते समय शब्दों की सीमा पर विशेष ध्यान दें.
हेडिंग को मोटे अक्षरों में लिखें.
सरल व आसान भाषा में लिखें.
जहां जरूरी हो, वहां चित्र व काटरून का प्रयोग करें.
इतिहास : घटनाओं को जरूर याद रखें
इतिहास का अध्ययन वर्तमान और भविष्य को समझने में मदद करता है. इसके साथ ही यह सामाजिक परिवर्तनों पर भी गहराई से प्रकाश डालता है. जरूरी बात है कि यदि इसकी तैयारी अच्छी तरह की जाये, तो भविष्य के लिए अच्छा होता है. अतीत की घटनाओं को वर्तमान समय की कसौटी पर कसने में इससे काफी मदद मिलती है. इसमें अच्छे अंक लाने के लिए अपने पाठ्यक्रम को भलीभांति पढ़ें. फिर अपनी रणनीति बनाएं. भले ही इसका पाठ्यक्रम विस्तृत हो, लेकिन छात्रों को इसका उत्तर तय शब्दों में देना होता है. धर्म का इतिहास, भक्ति व सूफी संतों के आचार-विचार, विजय नगर की राजनीतिक व्यवस्था, वास्तुकला, उपनिवेशवाद व ग्रामीण समाज, महात्मा गांधी का राष्ट्रीय आंदोलन, विभाजन व संविधान का निर्माण आदि का अध्ययन पूरी तन्मयता से करें. अध्ययन के समय महत्वपूर्ण तिथियों, घटनाचक्र, ऐतिहासिक कड़ियों को एक जगह नोट करते जाएं. इसके अलावा राजवंशों के कालचक्र में विदेशी यात्रियों के यात्र वृत्तांत को ध्यान से पढ़ें और उनके अनुभवों को अपने शब्दों में लिखने का अभ्यास करें. इन ऐतिहासिक तथ्यों को एक कहानी के रूप में समझने का प्रयास करें. इससे वे आपके मानस पटल पर अंकित हो जायेंगे. जहां जरूरी हो वहां मैप का अध्ययन करें, क्योंकि परीक्षा में मैप आधारित प्रश्न भी होते हैं. कुछ प्रश्न विस्तृत होने के अलावा वैल्यूबेस्ड होते हैं. इनका उत्तर आप अच्छे से देते हैं, तो इसके पूरे अंक मिलते हैं. पैसेज से संबंधित प्रश्नों के लिए पुराने प्रश्नपत्रों को हल करने की कोशिश करें.
कुछ महत्वपूर्ण निर्देश :
अपना कांसेप्ट क्लीयर रखें.
तिथियों व घटनाओं को तिथिवार याद रखें. त्ननपे-तुले शब्दों में उत्तर लिखने की कोशिश करें.
पुराने प्रश्नपत्र व मॉडल पेपर हल करें.
मैप का नियमित अभ्यास करें.
अर्थशास्त्र : संख्यात्मक प्रश्नों का अध्ययन
अर्थशास्त्र के अध्ययन में देश की समस्त आर्थिक नीतियों, अर्थव्यवस्था आदि बिंदुओं को शामिल किया जाता है. इस विषय में छात्रों की समझ विकसित हो जाये, तो उन्हें परीक्षा में पूरे अंक मिलते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो अर्थशास्त्र एक कंज्यूमर बिहैवियर की तरह है. इसके अंतर्गत उपभोक्ताओं के सोच को रखा जाता है. अर्थशास्त्र में थ्योरी व न्यूमेरिकल दोनों का मिश्रण होता है. अच्छे अंक पाने के लिए छात्र एक सधी रणनीति के तहत परीक्षा की तैयारी करें. 12वीं कक्षा के अर्थशास्त्र को दो भागों में बांटा जा सकता है- माइक्रो इकोनॉमिक्स व मैक्रो इकोनॉमिक्स. माइक्रो इकोनॉमिक्स में जहां अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएं अनधिमान वक्र विेषण से उपभोक्ता के संतुलन का अध्ययन, मांगी गयी मात्र में परिवर्तन व मांग में परिवर्तन में अंतर, स्थिर व परिवर्तित लागत में अंतर, एमसी-एआर में संबंध, मांग को मापने की विधियां, बाजार पूर्ति का अर्थ, मांग व पूर्ति के खिसकाव का संतुलन, पूर्ण प्रतियोगिता बाजार, कीमत पर प्रभाव आदि बिंदुओं को शामिल किया जाता है, वहीं मैक्रो इकोनॉमिक्स में आय के संतुलन स्तर का निर्धारण, अभावी व अतिरेक मांग, मुद्रा के कार्य, व्यापारिक बैंकों द्वारा साख सृजन, केंद्रीय बैंकों को कार्य, बजट का अर्थ, पूंजीगत व्यय का अर्थ, विदेशी विनियम दर का अर्थ व निर्धारण, व्यापार संतुलन के घटक आदि से प्रश्न पूछे जाते हैं. छात्रों को चाहिए कि वे आय की गणना के संख्यात्मक प्रश्नों की तैयारी अवश्य करें. कई बार प्रश्नों को हल करते समय रेखाचित्रों का प्रयोग जरूरी होता है. छात्र इसके प्रयोग में कोताही न बरतें. रेखाचित्र बनाने के लिए आपको अंश का सटीक नामांकन होना चाहिए और चित्र का अनुपात सही होना चाहिए.
कुछ महत्वपूर्ण निर्देश :
रेखाचित्र बनाने में पेंसिल का प्रयोग करें.
उत्तर में मुख्य बिंदुओं को रेखांकित करें.
ग्राफ का नियमित अभ्यास जरूरी.
न्यूमेरिकल के लिए नियमित अभ्यास करें.
प्रश्नों को चुनते समय सावधानी बरतें.
भूगोल : एनसीइआरटी की पुस्तकें तैयारी में सहायक
कला विषयों में भूगोल एक ऐसा विषय है जो छात्रों को न सिर्फ 12वीं की परीक्षा में अच्छे अंक दिलाता है, बल्कि आगे चल कर सिविल व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता का आधार बनता है. इसकी खासियत यह भी है कि मौसम का आकलन, जनसंख्या, नगर नियोजन, आर्थिक नियोजन, जीपीएस, उपग्रह प्रणाली, आधुनिक व विकसित संचार प्रणाली में इसका ज्ञान काफी सहूलियत प्रदान करता है. इसमें मुख्य रूप से नगरीय व ग्रामीण जनसंख्या, आंकड़ों संबंधी जानकारी, रॉ मटेरियल क्लाइमेट, रोड ट्रांसपोर्ट, कृषि अध्याय से संबंधित विभिन्न कृषि व डेयरी आदि की जानकारी रखनी पड़ती है. जबकि प्रैक्टिकल परीक्षा के लिए मिन्स, मीडियन व मोड के बारे में अच्छे तरीके से समझ लें. मानचित्रों के अभ्यास में कोई कोताही न बरतें अन्यथा आपकी पूरी मेहनत बेकार हो सकती है. पंचवर्षीय योजनाओं सहित सूखा संभावित क्षेत्रों और पहाड़ी क्षेत्रों के विकास के लिए भारत सरकार द्वारा उठाये गये कदम का विस्तृत अध्ययन करें. रेखाचित्रों पर नाम अंकित करने के लिए भारत के प्रमुख पत्तन, वायु पत्तन, कृषि राज्यों के नाम, कोयला व लोहा क्षेत्र, सॉफ्टवेयर पार्क, नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र आदि प्रमुख शहरों का अभ्यास करें. विभिन्न प्रदेशों में उत्पादित होने वाले विभिन्न वस्तुओं पर भी प्रश्न पूछे जाते हैं, इनका अध्ययन कुंजी बना कर करें.
कुछ महत्वपूर्ण निर्देश :
लिख कर प्रश्नों का उत्तर देने का अभ्यास करें.
आंकड़ों पर आधारित प्रश्नों का उत्तर देते समय सावधानी बरतें. त्नविज्ञान से संबंधित पत्रिकाओं का अध्ययन जरूरी.
प्रैक्टिकल परीक्षा के लिए भी कमर कसें.
रेखाचित्रों पर नाम अंकित करने का अभ्यास करें.
गृह विज्ञान : लें आधारभूत जानकारी
आर्ट्स संकाय में गृहविज्ञान अत्यंत उपयोगी एवं महत्वपूर्ण विषय है. इसके अंतर्गत घर के प्रबंधन से लेकर शिशुओं व बुजुर्गो की देखभाल का अध्ययन किया जाता है. कई प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता का दारोमदार भी इसी पर होता है. इसका अध्ययन जीवन के कई मौकों पर काम आता है. इसकी तैयारी के क्रम में छात्रों को सबसे पहले उन्हें विषय की आधारभूत जानकारी से अवगत होना जरूरी है. इसमें गृह विज्ञान का इतिहास, विकास में योगदान, सिद्धांत, ह्यूमन फिजियोलॉजी आदि के बारे में सही जानकारी हासिल की जाती है. प्रसार शिक्षा, आहार एवं पोषण, वस्त्र विज्ञान व परिधान, गृह प्रबंध एवं आंतरिक सज्जा, बाल विकास एवं पारिवारिक संबंध इसके प्रमुख भाग हैं. इस विषय के 100 अंकों में से 30 अंक प्रैक्टिकल और 70 अंक थ्योरी के होते हैं. इसमें सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं से प्रश्न आ सकते हैं.
कुछ महत्वपूर्ण निर्देश :
कोई टॉपिक छूटे नहीं.
रटने की बजाय समझने का प्रयास करें.
पुराने प्रश्नपत्रों को हल करने की आदत डालें.
जो प्रश्न नहीं आता है, उसे छोड़ कर आगे बढ़ जायें.
प्रमाणित सामग्री से ही अध्ययन आरंभ करें.
