गोलू-मोलू नहीं हेल्दी हो लाड़ला

हम सभी को गोलू-मोलू बच्चों को देख कर प्यार आता है. दरअसल, छोटे बच्चे के मोटापे को हम किसी शारीरिक समस्या से नहीं, बल्कि सुंदरता और स्वास्थ्य से जोड़ कर देखते हैं. वहीं दुबले-पतले बच्चे को अस्वस्थ्य मान लेते हैं. ... मगर यह सच नहीं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की मानें तो अगर नवजात का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 22, 2014 10:59 AM

हम सभी को गोलू-मोलू बच्चों को देख कर प्यार आता है. दरअसल, छोटे बच्चे के मोटापे को हम किसी शारीरिक समस्या से नहीं, बल्कि सुंदरता और स्वास्थ्य से जोड़ कर देखते हैं. वहीं दुबले-पतले बच्चे को अस्वस्थ्य मान लेते हैं.

मगर यह सच नहीं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की मानें तो अगर नवजात का भार सामान्य से अधिक है, तो उसके अंगों और मस्तिष्क का विकास प्रभावित हो सकता है. आखिर क्या होती है स्वस्थ बच्चे की परिभाषा? परवरिश में किन बातों का रखें ध्यान, ताकि लाड़ले को मिले सही ग्रोथ, पढ़ें कवर स्टोरी में.

आपका बच्चा गोल-मटोल हो या दुबला-पतला, यह बात मायने नहीं रखती. अहम यह है कि बच्चे का वजन सामान्य है या नहीं. कई बार गोल-मटोल दिखनेवाले बच्चों का वजन सामान्य होता है. यही बात दुबले बच्चों पर भी लागू होती है. कुछ बच्चों की लंबाई अधिक होती है, इसलिए वे पतले दिखते हैं, लेकिन वे वास्तव में स्वस्थ्य होते हैं. फिर भी आपको लगता है आपका बच्चा अस्वस्थ है, तो पहले चिकित्सक से उसकी जांच कराएं. यह भी गलत धारणा है कि हमेशा ठूंस-ठूंस कर खानेवाला बच्च ही हेल्दी होगा. बच्चों के सही विकास के लिए उम्र के अनुसार डायट चार्ट व उसके वजन के बारे में माताओं को जानना जरूरी है.

बच्चे का सामान्य वजन
जन्म के बाद बच्चे के वजन व लंबाई के आधार पर सामान्य विकास के बारे में पता लगा सकते हैं. नवजात का सामान्य वजन करीब 3 किग्रा माना गया है. शुरू के दिनों में यह 10 प्रतिशत यानी 300 ग्राम कम भी हो सकता है, लेकिन 10 दिनों में शिशु उस वजन को प्राप्त कर लेता है. पहले तीन महीने तक प्रतिदिन शिशु का वजन 25-30 ग्राम बढ़ता है. एक साल तक वजन लगभग 400 ग्राम तक बढ़ता है. इस आधार पर 3 किग्रा के नवजात का वजन 3 माह बाद 6 किग्रा, 1 साल बाद 9 किग्रा और 2 साल बाद 12 व 3 साल बाद लगभग 15 किग्रा होना चाहिए.

बच्चे का वजन अधिक हो तो
सामान्यत: नौ महीने के शिशु का वजन अधिक नहीं होता. यदि प्रसव निर्धारित समय के बाद यानी पोस्ट टर्म डिलीवरी हुई है, तो उसका वजन सामान्य से अधिक हो सकता है. जन्म के समय जिन बच्चों का वजन 4 किग्रा या उससे ज्यादा है, तो भविष्य में मोटापे की समस्या हो सकती है. आमतौर पर बच्चे का वजन तब भी अधिक हो सकता है जब मां को गर्भावस्था के समय डायबिटीज हो. कुछ मामलों में मोटापे की समस्या जीन्स के कारण हो सकती है, यानी यदि माता-पिता मोटे हैं, तो बच्चा भी मोटा हो सकता है.

डॉ सचिन भार्गव (शिशु रोग विशेषज्ञ)

पारस अस्पताल दिल्ली-एनसीआर