एनएसजी में भारत के प्रवेश को चीन ने नहीं, बल्कि नियमों ने रोका : चीनी मीडिया

बीजिंग : चीन के एक सरकारी अखबार ने आज एनएसजी में भारत के प्रवेश को लेकर नैतिकता की दुहाई दी है. उक्त मीडिया ने कहा है कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश के प्रयास का चीन की ओर से विरोध करना ‘नैतिक रुप से उचित’ कदम है. चीन के इस कदम से […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 28, 2016 1:59 PM

बीजिंग : चीन के एक सरकारी अखबार ने आज एनएसजी में भारत के प्रवेश को लेकर नैतिकता की दुहाई दी है. उक्त मीडिया ने कहा है कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश के प्रयास का चीन की ओर से विरोध करना ‘नैतिक रुप से उचित’ कदम है. चीन के इस कदम से से पश्चिम ने अंतरराष्ट्रीय मामलों में नई दिल्ली को दंभी बनाकर उसे बिगाड दिया है. ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने संपादकीय में कहा कि 48 सदस्यीय समूह में भारत के प्रवेश को चीन ने नहीं, बल्कि नियमों ने रोका. उसने कहा कि चीन सहित करीब 10 देशों ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों को एनएसजी में शामिल करने का विरोध किया.

अखबार के संपादकीय में कहा गया है, ‘‘भारत ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किया है, लेकिन एनएसजी में शामिल होने का सबसे सक्रिय आवेदक है. सोल बैठक से पहले भारतीय मीडिया ने भारत के प्रयास को बढाचढाकर पेश किया. कुछ ने यहां तक दावा कर दिया कि चीन को छोडकर एनएसजी के अन्य 47 सदस्यों ने हरी झंडी दे दी है.’ उसने कहा, ‘‘भारत एनपीटी पर हस्ताक्षर किए बिना एनएसजी में शामिल होकर पहला अपवाद बनना चाहता है. यह चीन और दूसरे सदस्यों के लिए नैतिक रुप से उचित है कि वे सिद्धांतों के बचाव में भारत के प्रस्ताव को गिराएं.’ अपने राष्ट्रवादी रुख की पहचान रखने वाले इस अखबार ने कहा कि भारत पश्चिम के लिए चहेता बनता जा रहा है. उसने भारत के एनएसजी के नाकाम प्रयास को लेकर भारतीय मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया की आलोचना की, हालांकि उसने कहा कि भारत सरकार ने ‘विनम्रतापूर्वक’ व्यवहार किया.

चीन के सरकारी अखबार ने कहा, ‘‘कुछ भारतीय बहुत अधिक अधिक आत्मकेंद्रित और आत्मसंतुष्ट हैं. दूसरी तरफ भारत सरकार ने विनम्रतापूर्वक व्यवहार किया और बातचीत की इच्छुक है. छींटाकसी करना नई दिल्ली के लिए कोई विकल्प नहीं होगा।’ इसके संपादकीय में कहा गया, ‘‘भारत के राष्ट्रवादियों को यह सीखना चाहिए कि उनको कैसे व्यवहार करना है. अगर वे चाहते हैं कि उनका देश बडी ताकत हो तो उनको यह जानना चाहिए कि कैसे बडी ताकतें अपना काम करती हैं.’

अखबार ने कहा, ‘‘अमेरिका के समर्थन से भारत की अकांक्षा को सबसे अधिक प्रोत्साहन मिला. भारत के साथ निकटता बढाकर वाशिंगटन की भारत नीति का असल मकसद चीन को नियंत्रित करना है.’ उसने कहा, ‘‘अमेरिका ही पूरी दुनिया नहीं है. उसके समर्थन का यह मतलब नहीं है कि भारत को पूरी दुनिया का समर्थन मिल गया. इस बुनियादी तथ्य को भारत नजरअंदाज करता आ रहा है.’ भारत के मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था :एमटीसीआर: में प्रवेश पर अखबार ने कहा कि एमटीसीआर ने भारत को सदस्य बना लिया, लेकिन चीन को इनकार कर दिया. इसके बावजूद चीन की जनता में कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई.

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