न चेते तो शुक्र ग्रह की तरह होगी पृथ्वी, तापमान होगा 250 डिग्री सेल्सियस
नेशनल कंटेंट सेलदुनिया के जाने-माने वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिन्स ने आगाह किया है कि धरती का तापमान उस स्तर तक पहुंच जायेगा, जहां मानव के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगेगा. जलवायु परिवर्तन करीब सात करोड़ साल पहले के क्षुद्र ग्रहों की उस टकराव से भी ज्यादा खतरनाक है, जिसकी वजह से डायनासोर विलुप्त हुए. टीवी […]
नेशनल कंटेंट सेल
दुनिया के जाने-माने वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिन्स ने आगाह किया है कि धरती का तापमान उस स्तर तक पहुंच जायेगा, जहां मानव के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगेगा. जलवायु परिवर्तन करीब सात करोड़ साल पहले के क्षुद्र ग्रहों की उस टकराव से भी ज्यादा खतरनाक है, जिसकी वजह से डायनासोर विलुप्त हुए. टीवी चैनल आइटीवी के गुड मॉर्निंग ब्रिटेन कार्यक्रम में उन्होंने कहा, क्षुद्र ग्रहों से ज्यादा बड़ा खतरा जलवायु परिवर्तन है. जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र का तापमान बढ़ेगा, जिससे बर्फ पिघलेगी और वायुमंडल में भारी मात्रा में कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन होगा. ये दोनों कारण हमारी जलवायु को शुक्र ग्रह के समान बना सकते हैं. 462 डिग्री सेल्सियस के औसत सतही तापमान के साथ शुक्र सौर मंडल में सबसे तप्त ग्रह है. स्टीफन के मुताबिक, पृथ्वी का तापमान करीब 250 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है.
स्टीफन ही नहीं, दुनिया के कमोबेश सभी जाने-माने वैज्ञानिक पिछले एक दशक से मानवजनित ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से आगाह कर रहे हैं. 1988 में ग्लोबल वार्मिंग के खतरों के प्रति पहली बार दुनिया को आगाह करने वाले नासा के वैज्ञानिक जेम्स हैन्सन ने हाल ही में कहा कि उनका जो पहले का आकलन था, हालात कहीं ज्यादा खतरनाक है. यदि हम जलवायु में खतरनाक बदलाव को रोकना चाहते हैं, तो हमें कार्बन आधारित ईंधन में हरेक साल कम-से-कम छह फीसदी की कटौती करनी होगी.
लगातार गरम हो रही है हमारी दुनिया
ऐसा क्यों : उद्योग व कृषि से उत्सर्जित गैस और प्राकृतिक गैस सूर्य की उष्मा को अवशोषित करने वाली ग्रीन हाउस को प्रभावित कर रही है. मानवीय गतिविधि जैसे जीवाश्म ईंधन, कोयला, तेल आदि के जलने से वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है. जंगल सिकुड़ रहे हैं. पिछले आठ लाख वर्षों में कार्बन डाई ऑक्साइड की सघनता पिछले कुछ वर्षों में सबसे ज्यादा रही. (स्त्रोत : मौउना लोवा ऑब्जर्वेटरी)
असर : दुनिया में तापमान में बढ़ोतरी, बड़ी मौसमी घटनाएं, मौसम में बदलाव, समुद्र तल का ऊंचा उठना ये सब आपस में जुड़ी हुई हैं. 1900 से अब तक समुद्र तल औसतन 19 सेंमी ऊंचा उठा है. 2050 तक मुंबई व कोलकाता जैसे शहरों पर खतरा मंडरा रहा है.
भविष्य : कहना मुश्किल, लेकिन शुद्ध जल की कमी, खाद्यान्न उत्पादन में बड़ा बदलाव, बाढ़ से व्यापक क्षति, सूखा व लू का प्रकोप होगा.
न संभले तो : यदि ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन जारी रहा, तो भारत में तीन डिग्री सेल्सियस तक तापमान में बढ़ोतरी होगी. वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि तापमान दो डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा, तो जलवायु पर गहरा असर पड़ेगा.
(स्त्रोत: इंटरनेशनल पैनल ऑन क्लाइमेट रिपोर्ट, एआर)
