प्रभात खबर पहुंचे प्रकाश झा, कहा सत्य को पकड़े रहो रास्ता निकल आयेगा

अनुभव बांटा कहा : देश-समाज के बदलाव और मानवीय संवेदनाओं को छूने का प्रयास करता हूं रांची : फिल्म निर्माता और लेखक प्रकाश झा ने कहा : सत्य की रोशनी होती है. बादल भले ही उसे कुछ समय के लिए छिपा लेता है़ सत्य को पकड़े रहें, रास्ता निकल आयेगा़ विश्वास के साथ चलते रहने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 2, 2016 8:53 AM
अनुभव बांटा
कहा : देश-समाज के बदलाव और मानवीय संवेदनाओं को छूने का प्रयास करता हूं
रांची : फिल्म निर्माता और लेखक प्रकाश झा ने कहा : सत्य की रोशनी होती है. बादल भले ही उसे कुछ समय के लिए छिपा लेता है़ सत्य को पकड़े रहें, रास्ता निकल आयेगा़ विश्वास के साथ चलते रहने की जरूरत है़ श्री झा सोमवार की शाम प्रभात खबर कार्यालय पहुंचे़ चार दशकों के अपने फिल्म निर्माण के अनुभवों को प्रभात खबर के साथ साझा किया़ उन्होंने कहा कि सामाजिक ताना-बाना के साथ सवालों को अपने फिल्म में दिखाने का प्रयास करते है़ं
90 के दशक में दिखा बड़ा बदलाव
प्रकाश झा ने कहा : 90 के दशक में देश ने बड़ा बदलाव देखा़ आरक्षण से समाज जूझ रहा था. साथ ही आर्थिक उदारीकरण की ओर देश बढ़ा़ यह छोटा परिवर्तन नहीं था़ देश-समाज का सोच बदल गया. समय के साथ इश्यू बदलते रहते है़ं मैंने गंगाजल जब बनायी था, तब की व्यवस्था में पुलिस काम करती थी़ यह जरूर था कि कुछ खास लोगों के लिए ही काम करती थी़ आज के दौर में पुलिस और व्यवस्था की मान्यताएं बदल गयी है़ उन्होंने कहा कि आज इन-एक्शेसन का दौर है़ यानी आप चाह कर भी काम नहीं कर सकते है़ं
सामाजिक घटनाओं पर आधारित हैं मेरी फिल्में
मृत्युदंड, गंगाजल, अपहरण, राजनीति, सत्याग्रह और जय गंगाजल सब समाज में चल रही घटनाओं पर आधारित है. धर्म, राजनीति, जमींदारी और ठेकेदारी किस तरह समाज पर हावी है, इसको विभिन्न फिल्मों में उतारा है. राजनीति किस तरह हमारे डिलिवरी सिस्टम को खराब कर रही है, इसको बताने का प्रयास किया है. वर्ष 2003 में फिल्म गंगाजल का निर्माण कास्ट फैक्टर व पुलिस की भूमिका को आधार कर बनाकर किया. अपहरण में समाज में बदलते रिश्ते को परदे पर लाया.
अपनी बातों को फिल्म के माध्यम से कहना बहुत कठिन कार्य होता है. दर्शकों को लुभाना, व्यस्त रखना और मनोरंजन करना, इसमें बहुत मेहनत करनी पड़ती है. इसके पहले वरिष्ठ पत्रकार अनुज सिन्हा ने प्रकाश झा के काम करने और फिल्म निर्माण के उद्देश्य पर प्रकाश डाला. प्रभात खबर के प्रबंध निदेशक केके गोयनका ने दोनाें अतिथियों का प्रतीक चिह्न दे कर सम्मानित किया. कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार विनय भूषण ने किया.
अभी तो बहुत कुछ बाकी है…
प्रकाश झा ने कहा कि यात्रा की शुरुआत तो यही से शुरू हुई थी. फिचर फिल्म बना कर. वर्ष 1975 से, तब मैं झारखंड आया था. जब भी झारखंड आता हूं, यही लगता है कि अभी तो निकलना है. अभी शायद बहुत कुछ बाकी है. अभी तो शायद शुरुआत ही है. हिप हिप हुर्रे पहली फिल्म थी. विकास विद्यालय में फिल्म का निर्माण हुआ. फिल्म बनाते समय कई कलाकारों से जुड़ने का मौका मिला. कई कलाकार मिले. मेरा अच्छा अनुभव रहा, जाे हमेशा याद रहता है.
समाज और पुलिस का संबंध दिखायेगी
रांची : अपनी नयी फिल्म जय गंगाजल के प्रमोशन के लिए निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा ने मल्टीप्लेक्स गिल्ट्ज में मीडिया से बात की. उन्होंने बताया : गंगाजल फिल्म के 13 वर्षों बाद जय गंगाजल के जरिये समाज का द्वंद दिखाने की कोशिश की है. समाज में आये बदलाव को फिल्म के जरिये कहने का प्रयास किया गया है. यह फिल्म व्यवस्था की पोल खोलती है.
पुलिस का द्वंद दिखाती है. बताती है कि वर्तमान परिदृश्य में पुलिस के लिए काम करना कितना मुश्किल है. जय गंगाजल व्यवस्था से लड़ने वाली एक महिला आइपीएस अधिकारी की कहानी है. यह समाज और पुलिस के बीच का संबंध दिखायेगी. आज के समाज और पुलिस का दर्शन करायेगी.
पहली बार खुद निभाया है पूरा किरदार
श्री झा ने कहा : मैं अपनी फिल्मों में छोटा रोल करता रहा हूं. पहली बार जय गंगाजल में पूरा किरदार निभाया है. मुझे लाइफ में नया चैलेंज चाहिए था. मैंने फिल्म बनाने के लिए सबकुछ किया है.
सिर्फ अभिनय नहीं किया था. अब देखना है कि मैं यानी पप्पू जनता की नजर में पास करूंगा या नहीं. फिल्म से जुड़े विवादों की बात करते हुए कहा : बांकेपुर नाम की जगह के बारे में फिल्म बनाते समय बिल्कुल जानकारी नहीं थी. बाद में पता चला कि बांकेपुर बिहार में एक विधानसभा है. वहां के विधायक बहुत अच्छे हैं. मैं बिहार का हूं, इस वजह से मेरी कहानियों में बिहारी नाम होते हैं. फिल्म के पात्र, स्थान और कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है. उन्होंने बताया : चार मार्च को जय गंगाजल रिलीज हो रही है.
प्रभात खबर की प्रशंसा
श्री झा ने कहा कि प्रभात खबर अपनी मान्यताओं और खुद के सोच पर खबर प्रकाशित करता है. मैं भी कुछ इसी तरह काम करने में विश्वास करता हूं. मैं यह देखता हूं कि कैसे समाज में परिवर्तन लाया जाये. वहीं प्रभात खबर का भी यही प्रयास रहता है. मैं जब भी झारखंड या बिहार आता हूं, प्रभात खबर जरूर आता हूं.
बहुत मेहनत की है : मानव कौल
जय गंगाजल में अहम किरदार निभा रहे मानव कौल भी प्रकाश झा के साथ फिल्म का प्रमोशन करने रांची आये थे. कौल इसके पहले काइ पो छे और वजीर जैसी फिल्मों में नजर आ चुके हैं. मीडिया से उन्होंने कहा : जय गंगाजल मेरे दिल के बहुत करीब है. प्रकाश झा की फिल्म में काम करना सपना सच होने जैसा है. फिल्म से जुड़े सभी लोगों ने इस पर बहुत मेहनत की है. रांची पहली बार आया हूं. यह जगह बहुत अच्छी लगी. उम्मीद करता हूं कि लोग जय गंगाजल देखेंगे और हमारे काम की सराहना करेंगे.
साथ दें, झारखंड में भी शूिटंग करूंगा
प्रकाश झा. अपने समय के सवालों से जूझने वाले फिल्मकार. गंभीर विषयों को सहजता से परदे पर लाने वाले कथाकार. दुनिया भर के प्रतिष्ठित फिल्म समारोहों में इनकी फिल्में केंद्र में रही हैं. दुनिया के प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजे गये हैं. हिप-हिप-हुर्रे से फीचर फिल्मों में कैरियर की शुरुआत करनेवाले इस फिल्मकार ने दामुल, मृत्युदंड, गंगाजल, अपहरण, राजनीति, सत्याग्रह जैसी फिल्में बनायी हैं. श्री झा अपनी नयी फिल्म जय गंगाजल के प्रमोशन के सिलसिले में रांची में थे. इस दौरान उन्होंने प्रभात खबर के साथ बातचीत की.
फिल्म निर्देशक प्रकाश झा ने कहा : अाज से कुछ सालों पहले तक झारखंड में फिल्म की शूटिंग का माहौल नहीं था. अब माहौल बना है. झारखंड का प्रशासन और लोग सहयोग करें. लोगों की मानसिकता में परिवर्तन हो, तो मैं झारखंड में भी फिल्में शूट करूंगा. उन्होंने बताया : मैंने भोपाल में अपनी सात फिल्मों की शूटिंग की है. सरकार से कोई रिबेट नहीं लेता. छूट मांगता भी नहीं. लेकिन, भोपाल का स्थानीय प्रशासन और लोग फिल्मों की शूटिंग के लिए जबरदस्त सहयोग करते हैं. मैंने वहां अमिताभ बच्चन जैसे कलाकार को ले जाकर आराम से शूट किया है. दूसरी तरफ, बिहार में नौ घंटे कैमरा लगा कर भी पांच मिनट की शूटिंग नहीं कर सका था. कहा : अब पिछले एक साल से झारखंड में फिल्मों की शूटिंग शुरू हुई है.
यहां माहौल बदला है. मानसिकता बदली है. मैंने तो सैनिक स्कूल तिलैया में अपना बचपन गुजारा है. संत जेवियर से मैच खेलने हमेशा रांची आते थे. विकास विद्यालय और बिशप वेस्टकॉट में अपनी और देश की पहली स्पोर्ट्स फिल्म बनायी है. जमशेदपुर में मेरा काम चल रहा है. अक्सर वहां जाता रहता हूं. सात फिल्मों के बाद अब भोपाल में नया लोकेशन ढ़ूंढ़ने में भी परेशानी है. झारखंड में लोगों का सहयोग मिले, तो जरूर फिल्में बनाऊंगा.
बिहार की नकारात्मक नहीं, आंदोलनकारी क्षवि दिखाता हूं
यह पूछे जाने पर कि आप अपनी फिल्मों में हिंदी पट्टी की नकारात्मक चीजें ही दिखाते हैं, श्री झा ने कहा : मैं हिंदी पट्टी का हूं. बिहार का हूं. झारखंड में पला बढ़ा हूं. हिंदी फिल्में बनाता हूं. स्वाभाविक रूप से मेरे किरदार हिंदी पट्टी के ही होंगे. हिंदी पट्टी की नहीं, बल्कि पूरे समाज की नकारात्मक चीजें दिखाता हूं. आज हमारा समाज, हमारी व्यवस्था सब मर रही है. मैं तो बिहार के समाज को देश का सबसे आंदोलनकारी समाज मानता हूं. यही बिहार का इतिहास रहा है. मेरी नजर में मेरी फिल्में समाज का प्रतिबिंब दिखाती है. आप अब दामुल जैसी फिल्में नहीं बनाते? प्रकाश झा ने कहा : आज बाजार का चैलेंज है. दामुल जैसी फिल्मों को बाजार नहीं मिलता. मैं बाजार में जगह बनाते हुए अपनी बात कहने की कोशिश करता हूं.
सफलता का कोई समीकरण नहीं होता
फिल्मी दुनिया में सफलता के लिए झारखंड के युवाओं को कोई टिप्स. श्री झा ने कहा : सफलता का कोई समीकरण मेरे पास नहीं है. इसका कोई रास्ता भी नहीं है. सबकी अपनी-अपनी कहानी होती है. फुटपाथ पर सोने से लेकर पब्लिक टॉयलेट में नहाने तक की कहानी है. किस्मत से सफल हो गया. अगर सफल न होता, तो भी जीवन इंजॉय करता.
समाज में परफॉर्म करने का प्रेशर
श्री झा ने कहा : आज समाज में आया सबसे बड़ा बदलाव परफाॅर्म करने का प्रेशर है. इसी प्रेशर में कोटा, तमिलनाडु, हैदराबाद में युवा आत्महत्या कर रहे हैं. व्यवस्था विकास की कीमत मांग रही है.
जमीन सबसे बड़ा मुद्दा है. हमारा समाज, हमारी व्यवस्था मर रही है. मैं अपनी फिल्मों के लिए समाज के बीच से ही कहानी खोजता हूं. कोशिश हमेशा समाज को दिखाना होता है. मुझे खुशी है कि लोग मेरी सोच, मेरे नजरिये को पसंद कर रहे हैं.
सौभाग्य से चुनाव हारा हूं
एक सवाल के जवाब में श्री झा ने कहा : मैं राजनीतिज्ञ नहीं हूं. मैं कभी राजनीति में नहीं आना चाहता था. पर, सांसद के रूप में बढ़िया काम जरूर करना चाहता था. पिछली बार कुछ करीबी लोगों के कहने की वजह से चुनाव जरूर लड़ा था. सौभाग्य से चुनाव हार गया. अब ऐसा कोई इरादा नहीं है. नो पॉलिटिक्स. समाज बेहतर बनाने की कोशिश करता रहूंगा. मेरी अगली फिल्म राजनीति टू है.