भूकंपों के डायनामाइट पर बसा है नेपाल का पोखरा

काठमांडो : नेपाल का दूसरा सबसे बड़ा शहर और प्रमुख पर्यटक केंद्र पोखरा मध्यकाल में आये भारी भूकंपों के कारण पैदा हुये मलबे पर बना हुआ है. यह जानकारी एक नये अध्ययनमें सामने आयी है. करीब आठ की तीव्रता वाले तीन भूकंप 1100, 1255 और 1344 में आए थे जिसके कारण भारी पैमाने पर विध्वंस, […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 20, 2015 4:25 PM

काठमांडो : नेपाल का दूसरा सबसे बड़ा शहर और प्रमुख पर्यटक केंद्र पोखरा मध्यकाल में आये भारी भूकंपों के कारण पैदा हुये मलबे पर बना हुआ है. यह जानकारी एक नये अध्ययनमें सामने आयी है. करीब आठ की तीव्रता वाले तीन भूकंप 1100, 1255 और 1344 में आए थे जिसके कारण भारी पैमाने पर विध्वंस, बडे पैमाने पर बर्बादी हुयी थी और पर्वत श्रृंखला पर मलबा चारों तरफ बिखर गया था. जर्मनी में पॉट्सडैम विश्वविद्यालय के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने खुलासा किया है कि बजरी, पत्थर और रेत का यह मलबा अन्नपूर्णा पुंजक की उंची पर्वत चोटियों से नीचे 60 किलोमीटर के इलाके में फैल गया था.

पॉट्सडैम में जियोसाइंसेज के जीएफजेड जर्मन रिसर्च सेन्टर के क्रिस्टोफ एंडे्रमन ने बताया कि 14 सी रेडियो कॉर्बन का इस्तेमाल करके हमने अवरुद्ध सहायक नदी घाटियों में झील तलछट का पता लगाया है. तलछट के गाद की उम्र पता लगायी गयी तो मालूम हुआ कि यह क्षेत्र में आये भयंकर भूकंप के काल से जुड़ा हुआ है. तलछट के गाद में स्थित एक उंचे पत्थर को लेकर वैज्ञानिकों में दिलचस्पी रही. एंड्रेमन ने बताया कि इस पत्थर का व्यास करीब 10 मीटर है और वजन करीब 300 टन है. इस पत्थर के शीर्ष पर हमने बेरेलियम समस्थानिक का संकेंद्रन मापा जो कॉस्मोजेनिक विकरण द्वारा निर्मित है.

परिणाम बताते हैं कि तलछट में पड़ा यह बड़ा पत्थर 1681 में आये दूसरे बड़े भयंकर भूकंप के काल से मेल खाता है. शोधकर्ताओं ने बताया कि पोखरा 8,000 मीटर उंचाई वाले अन्नपूर्णा पुंजक के नीचे स्थित है जहां पर अंतिम भूकंप के दौरान पत्थर मलबे के साथ वहां आया था या सिर्फ तेज झटकों के कारण गिरा था, इसकी आगे जांच करने की जरुरत है. फिर भी, इस बडे पत्थर को इस शक्तिशाली भूकंप से जोड़ कर देखा जा सकता है.

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