आश्चर्य : कोलकाता में बेटी व कुत्ते के कंकाल को खाना खिलाते थे पिता-पुत्र

कोलकाता : बेटा और पिता कई महीने तीन कंकालों के साथ महानगर के एक मकान में रहे. उन्हें खाना खिलाते और उनके साथ एक ही बिस्तार पर सोते रहे, लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी. हैरानी की बात यह है कि इनमें दो कंकाल उनके कुत्ते और एक कंकाल पिता की बेटी की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 12, 2015 6:52 AM
कोलकाता : बेटा और पिता कई महीने तीन कंकालों के साथ महानगर के एक मकान में रहे. उन्हें खाना खिलाते और उनके साथ एक ही बिस्तार पर सोते रहे, लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी. हैरानी की बात यह है कि इनमें दो कंकाल उनके कुत्ते और एक कंकाल पिता की बेटी की थी. मामले का खुलासा गुरुवार को उस समय हुआ, जब महानगर के शेक्सपीयर सरणी इलाके के रॉबिंसन स्ट्रीट में एक फ्लैट में पिता द्वारा आग लगाकर जान देने की घटना के बाद पुलिस वहां जांच करने पहुंची.
इस मकान में आग लगने की खबर पाकर शेक्सपीयर थाने की पुलिस दमकल विभाग के साथ वहां पहुंची, तो वहां बाथरूम से अरविंद दे (77) नामक एक व्यक्ति का जला शव मिला. उसने ज्वलनशील पदार्थ से खुद को बाथरूम में बंद कर आग लगा ली थी. इसके कारण उसका शव जलकर काला हो गया था. कोलकाता पुलिस के विशेष अतिरिक्त व संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) पल्लव कांति घोष ने बताया कि घर में आग कैसे लगी, इस बारे में पूछताछ के लिए अरविंद दे के बेटे पार्थ दे (45) को पुलिस थाने ले गयी. देर रात पूछताछ में उसने बताया कि उसकी बहन व दो कुत्ते उस मकान में भूखे हैं. उन्हें खाना देने की जरूरत है. इससे पुलिस को हैरानी हुई, क्योंकि आग बुझाते समय मकान में और कोई नहीं था. लिहाजा पार्थ को लेकर पुलिस वहां पहुंची, तो देखा कि मकान के कमरे के बिस्तर पर तीन कंकाल हैं. उनके आसपास काफी काजू-किशमिश बिखरे पड़े हैं. पार्थ ने बताया कि उनमें से एक उसकी बहन देबजानी दे (47) है, बाकी दो उसके घर के कुत्ते हैं. तीनों गहरी नींद में सो रहे हैं. उन्हें खाना देने का समय हो गया है.
पुलिस ने जांच की, तो पता चला कि बहन की मौत दिसंबर 2014 में, जबकि 2014 के अगस्त व सितंबर में दोनों कुत्तों की मौत हो गयी थी. इसके बाद तीनों कंकालों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. पार्थ को हिरासत में लेकर अदालत में पेश किया गया, जहां उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं होने की आशंका जताते हुए अदालत के निर्देश पर उसे मानसिक अस्पताल में भेज दिया गया. इस घटना के खुलासे के बाद से इलाके के लोग स्तब्ध हैं.

बहन और कुत्ते के शव के साथ रहनेवाले पार्थ ने पुलिस को बताया, पिता के शव को भी साथ रखने की थी प्लानिंग
शेक्सपीयर सरणी इलाके के रॉबिंसन लेन में बुधवार देर रात को एक फ्लैट में लगी आग ने कई रहस्यों से परदा उठा दिया. घटना के खुलासे के बाद शेक्सपीयर सरणी थाने की पुलिस को अरविंद घोष के बेटे पार्थो घोष ने बताया कि उसके पिता की मौत की खबर असापास के लोगों से पुलिस को नहीं मिलती तो वह अपने पिता के शव को भी सारी जिंदगी अपनी दीदी और दोनों कुत्ताें के साथ रखता. पुलिस के आने के कारण पूरा मामला बिगड़ गया. उसने बताया कि उनके पिता बंगलुरु में आल्फ्रेड हर्बट्स संस्थान के निदेशक के पद पर कार्यरत थे. वर्ष 1987 में वे रिटायर हुए और 1988 में कोलकाता आये और कुछ दिन यहां रहने के बाद स्थायी तौर पर रॉबिनशन लेन में आकर रहने लगे. वर्ष 2005 में मां की मौत हो गयी थी. उस समय दीदी देवजानी दे महानगर के दो स्कूलों में म्यूजिक सिखाती थी जबकि वह बीपीओ में नौकरी करता था. मां को पूरा परिवार काफी चाहता था, इसके कारण मां की मौत के बाद पूरा परिवार काफी सदमें में आ गया. एक दूसरे से अलग नहीं होने के कारण दोनों भाई बहनों ने शादी भी नहीं की थी. इसके बाद वर्ष 2014 के अगस्त व सितंबर में एक के बाद एक दो कुत्ते भी मर गये. इसी के गम में दीदी उपवास रखने लगी और इसी उपवास के कारण कमजोरी से दिसंबर में उनकी दीदी भी मर गयी. लेकिन परिवार के किसी सदस्य को अपने से अलग नहीं रखने के कारण तीनों के शव को कमरे में रख उन्हें जिंदा मान कर उन्हें रोजाना खाना दिया जाता था.
हमेशा घर में बजता था बहन का पसंदीदा संगीत
पुलिस सूत्रों के मुताबिक फ्लैट की तलाशी लेने पर काफी म्यूजिक सिस्टम के पास पेन ड्राइव व सीडी रखी थी. इस बारे में पूछताछ में पार्थो दे ने पुलिस को बताया कि दीदी को भक्ति गाना काफी पसंद था, इसके कारण पूरे फ्लैट के अलावा बाथरूम में भी म्यूजिक सिस्टम में मंत्रोच्चरण बजता था. इसके बाद रोजाना बिस्तर पर दीदी के शव को और उसके आसपास दोनों कुत्ते के शव को सुलाकर वह नीचे जमीन पर सो जाया करता था. दीदी के साथ कुछ टेडी बियर भी मौजूद रहते थे.
पिछले महीने हुई पार्टी में नहीं मिली कोई जानकारी
प्राथमिक जांच में पुलिस को पता चला कि एक महीने पहले पार्थो दे का जन्मदिन था. इस दिन उसके फ्लैट में आसपास के लोग भी आये थे. लेकिन जिन कमरे में मरी बहन व कुत्ते सोते थे उस कमरे को कुछ इस तरह से ये बंद रखता था, जिससे किसी को दरुगध का एहसास भी नहीं हुआ था. पार्टी में लोगों ने बहन के बारे में पूछताछ भी की, लेकिन चिकित्सा होने का बहाना बना कर दोनों बाप बेटे बात को टाल गये.
कंकाल रखने के विरोध खुद को लगायी थी आग
प्राथमिक जांच में पुलिस को पता चला कि घर में बेटी व दो कुत्ते के कंकाल को रखने की शुरुआत में समर्थन करने के बाद वे इसके खिलाफ हो गये थे. इसके कारण वे अक्सर बेटे को इस काम के लिए रोकते थे. बुधवार रात को भी दोनों में झगड़ा हुआ था. जिसके बाद खुद को बाथरूम में बंद कर अरविंद ने खुद को आग लगा कर जान दे दी.
कमरे में मिला सुसाइड नोट और एक डायरी
पुलिस को जांच में कमरे से अंगरेजी में लिखा एक सुसाइड नोट मिला है. यह आठ जून को लिखा गया था. इसमें उन्होने लिखा है कि मैं पृथ्वी छोड़कर जा रहा हूं, इसके लिए कोई दूसरा जिम्मेवार नहीं है. भगवान पार्थो का भला करे. प्यारे पिता. पुलिस को एक डायरी भी मिली है, जिसमें वे अपने बेटी व परिवार के सदस्य को कितना चाहते थे, इसके सबूत उसमें लिखे है. कुल मिलाकर बेटे की मानसिक स्थिति को ठीक करने के लिए पार्क सर्कस के एक मानसिक अस्पताल में उन्हें भेजा गया है.

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