परमाणु हथियार रखने वाले देशों के बीच भारत चाहता है सार्थक वार्ता

संयुक्त राष्ट्र : परस्पर विश्वास निर्मित करने और रक्षा सिद्धांतों में परमाणु हथियारों की प्रमुखता को कम करने के लिए भारत ने परमाणु हथियार रखने वाले देशों के बीच ‘सार्थक वार्ता’ की सलाह दी है.परमाणु निरस्त्रीकरण सम्मेलन में भारत के स्थाई प्रतिनिधि वेंकटेश वर्मा ने कल कहा कि भारत ने समग्र परमाणु हथियार संधि पर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 8, 2015 2:55 PM
संयुक्त राष्ट्र : परस्पर विश्वास निर्मित करने और रक्षा सिद्धांतों में परमाणु हथियारों की प्रमुखता को कम करने के लिए भारत ने परमाणु हथियार रखने वाले देशों के बीच ‘सार्थक वार्ता’ की सलाह दी है.परमाणु निरस्त्रीकरण सम्मेलन में भारत के स्थाई प्रतिनिधि वेंकटेश वर्मा ने कल कहा कि भारत ने समग्र परमाणु हथियार संधि पर वार्ता शुरू करने के लिए निरस्त्रीकरण सम्मेलन में गुट निरपेक्ष आंदोलन के प्रस्ताव का समर्थन किया है.
वर्मा ने संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण आयोग (यूएनडीसी) के एक सत्र में यहां कहा ‘हमने परस्पर विश्वास निर्मित करने और अंतरराष्ट्रीय मामलों एवं रक्षा सिद्धांत में परमाणु हथियारों की प्रमुखता को कम करने के लिए परमाणु हथियार रखने वाले सभी देशों के बीच सार्थक वार्ता का आह्वान किया है.’
उन्होंने कहा ‘भारत वैश्विक, भेदभाव रहित, सत्यापन योग्य परमाणु निरस्त्रीकरण और समयबद्ध तरीके से परमाणु हथियारों को पूरी तरह खत्म किए जाने को प्राथमिकता देता है. वर्मा ने कहा कि परस्पर विश्वास निर्मित करने वाले कदमों की शुरुआत और अपनाने से संबंधित दायित्व देशों का विशेषाधिकार तथा उनकी सहमति का विषय होना चाहिए और इसे ऐसे तरीके से क्रियान्वित किया जाना चाहिए कि यह संबद्ध देशों के लिए आसान हो.
वर्मा ने कहा कि भारत इस उम्मीद के साथ परमाणु हथियारों के मानवीय प्रभाव विषय पर आयोजित वियना सम्मेलन में शामिल हुआ कि मानवता के अस्तित्व के लिए सबसे गंभीर खतरे पर नए सिरे से ध्यान दिए जाने से इन हथियारों के इस्तेमाल पर रोक और अंतरराष्ट्रीय कानूनी परिप्रेक्ष्य में असंतुलन को दूर करने के लिए गति उत्पन्न करने में मदद मिलेगी जो खासकर परमाणु हथियार रखने पर रोक को लेकर केंद्रित रहा है.
उन्होंने जोर देकर कहा कि यूएनडीसी की वर्तमान मुश्किलें मशीनरी में किन्हीं निहित खामियों से कम संबंधित हैं और उसका ज्यादा रिश्ता सदस्य देशों की बहुपक्षीय मंचों पर जाने की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी से है जो समूचे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए महत्वपूर्ण होता. वर्मा ने कहा ‘ऐसे समय जब अविश्वास और अंतरराष्ट्रीय तनाव बढ रहा है, तब वार्ता और सहयोग के लिए मंच के रूप में इस आयोग की भूमिका का काफी महत्व है.
आयोग एजेंडे पर ध्यान देकर तथा परिणामोन्मुखी चर्चा के जरिए अपनी कार्यशैली में सुधार के लिए अधिक प्रयास कर सकता है.’ भारत ने आयोग के 2015 के एजेंडे में किसी भी नए सुधार के प्रति समर्थन व्यक्त किया है, बशर्ते यह सर्वसम्मति बनाने के लिए आधार तैयार करता हो और निरस्त्रीकरण एजेंडे से जुडी नई तथा उभरती चुनौतियों से सार्थक ढंग से निपटने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद करता हो. ठोस दिशा निर्देश अपनाने में 15 साल के इसके गतिरोध के बावजूद वार्ता को आगे बढाने के नजरिए से निरस्त्रीकरण आयोग दो दिन की गहन चर्चा के दो दिन बाद वर्तमान त्रि-वर्षीय चक्र के लिए अस्थाई एजेंडा स्वीकार करने में सफल हुआ.

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