पार्टी बचाने के लिए नाराज बिलावल की जगह बेटी बख्तावर को बेनजीर की जागीर देंगे जरदारी

इस्लामाबाद : पाकिस्तान की राजनीति में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. पाकिस्तान की प्रमुख राजनीतिक पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) अपने घरेलू झगड़े की वजह से कई महीनों से चर्चा में है. पीपीपी वही पार्टी है, जिसकी अगुवाई कभी पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो किया करती थीं. बेनजीर की पाकिस्तान में आतंकी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 1, 2015 12:57 PM
इस्लामाबाद : पाकिस्तान की राजनीति में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. पाकिस्तान की प्रमुख राजनीतिक पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) अपने घरेलू झगड़े की वजह से कई महीनों से चर्चा में है. पीपीपी वही पार्टी है, जिसकी अगुवाई कभी पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो किया करती थीं. बेनजीर की पाकिस्तान में आतंकी घटना में हत्या हो जाने के बाद पार्टी की कमान उनके पति आसिफ अली जरदारी ने सम्हाली थी. पीपीपी की पाकिस्तान की राजनीति में पकड़ का ही नतीजा रहा कि कभी सालों तक भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में सजा काट चुके आसिफ जरदारी पीपीपी पार्टी की बदौलत पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने.
बेनजीर की हत्या के बाद से पार्टी की कमान सम्हाल रहे जरदारी ने देश की राजनीति में पार्टी की धार मजबूत बनाये रखने के लिए पार्टी के उत्तराधिकारी के तौर पर अपने बेटे बिलावल भुट्टो को राजनीति में उतारा. जरदारी को उम्मीद थी कि बेनजीर के समर्थकों को बिलावल भुट्टो के राजनीति में आने से ख़ुशी होगी और पार्टी को जनता का भावनात्मक समर्थन मिलेगा.
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद बिलावल भुट्टो जरदारी आधिकारिक तौर पर पिछले साल राजनीति में उतरे थे लेकिन पार्टी मामलों से निपटने को लेकर शीघ्र ही उनका अपने पिता से मतभेद हो गया. बिलावल पाकिस्तान से वापस इंगलैंड चले गए. उनकी तरफ से लोगों को ये बताया गया कि बिलावल राजनीति से दो साल के लिए ब्रेक ले रहे हैं ताकि आगे की पढाई पूरी कर सकें. लेकिन पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से छपी खबरों के मुताबिक, बाप-बेटे में बात यहां तक बढ़ गयी थी कि आपसी मतभेद की वजह से बिलावल अपनी मां बेनजीर की मौत की बरसी पर भी पाकिस्तान नहीं आये.
सूत्रों के मुताबिक, आसिफ अली जरदारी और पार्टी के दूसरे नजदीकी नेताओं ने भी बिलावल को मनाने की कोशिशें की थीं मगर बिलावल पार्टी को अपने तरीके से चलाना चाह रहे थे जबकि अनुभवी जरदारी के काम करने का तरीका थोड़ा अलग था. ये बात भी दीगर है कि बिलावल कश्मीर को लेकर कई विवादास्पद और बचकाना बयान भी दे चुके हैं, जिसकी वजह से सोशल मीडिया पर उनकी खूब खिंचाई हुई थी और उनके नाम पर जोक बनने शुरू हो गए थे. शायद जरदारी और पीपीपी बिलावल की अनुभवहीनता को समझ गए थे और इसी वजह से उनके मनमाने तरीके से पार्टी को चलाने की सोच पर अंकुश लगाया गया था.
अब ये खबर सामने आ रही है कि बिलावल के राजनीतिक ब्रेक की घोषणा से उपजे खालीपन को भरने के लिए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को भुट्टो परिवार के ही किसी चेहरे की जरुरत है. इसी वजह से आसिफ अली जरदारी ने अब अपनी बेटी बख्तावर को पाकिस्तान की राजनीति में उतारने का मन बना लिया है. आपको बता दें कि बेनजीर भुट्टो की बेटी बख्तावर ने ब्रिटेन की सबसे अच्छी यूनिवर्सिटीज में से एक मानी जाने वाली यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग से ग्रेजुएशन किया है. पार्टी को उम्मीद है कि पाकिस्तान की अवाम को उनके अन्दर बेनजीर का अक्स दिखाई देगा और अब पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की नैया बख्तावर भुट्टो जरदारी के नाम पर राजनीति के समुद्र को पार करेगी.

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