नागरिकता संशोधन कानून चिंताजनक: अमरीकी आयोग

<p><strong>अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के भारत दौरे में अब केवल चार दिन रह गए हैं. वो 24 फ़रवरी को भारत आ रहे हैं. लेकिन उनके दौरे से ठीक पहले एक अमरीकी एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में भारत के नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी पर चिंता जताई है.</strong></p><p>अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर नज़र रखने वाली अमरीकी एजेंसी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 20, 2020 10:41 PM

<p><strong>अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के भारत दौरे में अब केवल चार दिन रह गए हैं. वो 24 फ़रवरी को भारत आ रहे हैं. लेकिन उनके दौरे से ठीक पहले एक अमरीकी एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में भारत के नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी पर चिंता जताई है.</strong></p><p>अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर नज़र रखने वाली अमरीकी एजेंसी यूएससीआईआरएफ़ ने बुधवार को अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की.</p><p>इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में धार्मिक उत्पीड़न के मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही है.</p><p>जिस नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी को लेकर भारत के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं उस क़ानून के बारे में भी रिपोर्ट में ज़िक्र है और इसे भी भारत में धार्मिक उत्पीड़न के एक उदाहरण के तौर पर पेश किया गया है.</p><p>एजेंसी ने 2019 के इस वार्षिक रिपोर्ट में भारत को टियर-2 की श्रेणी में रखा है.</p><p>अमरीकी रिपोर्ट में कहा गया है कि एनआरसी मुस्लिमों के साथ भेदभाव के लिए जानबूझकर किया गया प्रयास है. ग़ौरतलब है कि असम में एनआरसी की अंतिम लिस्ट जारी होने के बाद क़रीब 19 लाख लोगों को इससे बाहर रखा गया था.</p><p>पहले गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि पूरे देश में एनआरसी लागू किया जाएगा लेकिन लोगों के विरोध के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक सभा में कहा था कि फ़िलहाल उनकी सरकार का पूरे देश में एनआरसी लाने का कोई इरादा नहीं है.</p><figure> <img alt="सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन" src="https://c.files.bbci.co.uk/32A7/production/_110976921_ddc385db-00cb-4c6d-9ae4-8c06a17a57d5.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>मुसलमान निशाने पर</strong><strong>?</strong></p><p>अमरीकी रिपोर्ट में दिसंबर 2019 में पास हुए नागरिकता संशोधन क़ानून पर चिंता व्यक्त की गई है. रिपोर्ट के अनुसार सीएए से मुस्लिमों को निशाना बनाने की चिंता बढ़ गई है. </p><p>इस क़ानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान के ग़ैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की बात कही गई है. </p><p>रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में सीएए लागू किए जाने के बाद वहां धार्मिक स्वतंत्रता की आज़ादी में कमी आई है.</p><p>इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सीएए लागू होने के तुरंत बाद भारत भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुए और सरकार ने प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ एक हिंसक कार्रवाई की.</p><p>रिपोर्ट में नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर(एनपीआर) पर भी उंगली उठाई गई है. मोदी सरकार ने अप्रैल 2020 से देश भर में एनपीआर अपडेट करने का काम शुरू करने का फ़ैसला किया है.</p><p>लेकिन उसको लेकर भी लोगों में नाराज़गी है और लोग कह रहें हैं कि एनपीआर दरअसल एनआरसी का पहला क़दम है और इसलिए वो इसका भी विरोध करेंगे.</p><p>अमरीकी रिपोर्ट में कहा गया है कि एनपीआर को लेकर ऐसी आशंकाएं हैं कि यह क़ानून भारतीय नागरिकता के लिए एक धार्मिक परीक्षण बनाने के प्रयास का हिस्सा है और इससे भारतीय मुसलमानों का व्यापक नुक़सान हो सकता है.</p><figure> <img alt="सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन" src="https://c.files.bbci.co.uk/80C7/production/_110976923_64e89069-3d69-4505-a1a0-cdf15e6b1101.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>अमरीकी सरकार को सिफ़ारिशें</h3><p>यूएससीआईआरएफ़ ने अमरीकी सरकार से सिफ़ारिश की है कि उसके एक प्रतिनिधिमंडल को भारत की स्थिति का जायज़ा लेने के लिए यात्रा और लोगों से मिलने की इजाज़त के लिए भारत पर दबाव डाला जाए.</p><p>आयोग ने दूसरी सिफ़ारिश की है कि भारत में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ अपराधों से निपटने के लिए रणनीति बनाने के लिए मोदी सरकार के साथ काम किया जाए.</p><p>यूएससीआईआरएफ़ एक स्वतंत्र अमरीकी सरकारी आयोग है. इसे अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 1998 के तहत स्थापित किया गया था, जो दुनियाभर में धार्मिक आज़ादी पर निगाह रखता है. यह अंतरराष्ट्रीय मानकों से धार्मिक आज़ादी का निरीक्षण करके अमरीकी राष्ट्रपति और अन्य सरकारी संस्थाओं को अपनी सिफ़ारिशें भेजता है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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