अनुच्छेद 370 हटाने के भारत के उद्देश्य का अमेरिका ने किया समर्थन, कश्मीर के हालात को लेकर कह दी ये बात

वाशिंगटन : अनुच्छेद 370 हटाने के भारत के उद्देश्य का समर्थन करते हैं पर कश्मीर में हालात पर चिंतित हैं. यह बात अमेरिका ने कही है. ट्रंप प्रशासन ने मंगलवार को कहा कि वह जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के पीछे के भारत के मकसद का समर्थन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 22, 2019 11:43 AM

वाशिंगटन : अनुच्छेद 370 हटाने के भारत के उद्देश्य का समर्थन करते हैं पर कश्मीर में हालात पर चिंतित हैं. यह बात अमेरिका ने कही है. ट्रंप प्रशासन ने मंगलवार को कहा कि वह जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के पीछे के भारत के मकसद का समर्थन करता है, लेकिन वह घाटी में मौजूदा स्थिति को लेकर चिंतित है. उसने कहा कि वह भारत के पांच अगस्त के इस फैसले के बाद से राज्य में हालात पर करीब से नजर रख रहा है.

दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की अमेरिकी कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री एलिस जी वेल्स ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति की एशिया, प्रशांत एवं निरस्त्रीकरण उपसमिति को बताया कि भारत सरकार ने तर्क दिया है कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त करने का फैसला आर्थिक विकास करने, भ्रष्टाचार कम करने और खासकर महिलाओं एवं अल्पसंख्यकों के संदर्भ में जम्मू-कश्मीर में सभी राष्ट्रीय कानूनों को समानता से लागू करने के लिए लिया गया है.

वेल्स ने कहा कि हम इन उद्देश्यों का समर्थन करते हैं, लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्रालय कश्मीर घाटी में हालात को लेकर चिंतित है जहां पांच अगस्त के बाद करीब 80 लाख लोगों का दैनिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद से अमेरिका जम्मू-कश्मीर में हालात पर करीब से नजर रख रहा है. वेल्स ने कहा कि हालांकि जम्मू और लद्दाख में हालात सुधरे हैं, लेकिन घाटी में स्थिति सामान्य नहीं हुई है.

वेल्स ने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत नेताओं और स्थानीय निवासियों को हिरासत में लेने को लेकर भारत सरकार के समक्ष चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि हमने भारत सरकार से मानवाधिकारों का सम्मान करने और इंटरनेट एवं मोबाइल नेटवर्कों समेत सेवाओं तक पूर्ण पहुंच बहाल करने की अपील की है. वेल्स ने कहा कि कश्मीर में हुए घटनाक्रम को विदेशी और स्थानीय पत्रकारों ने बड़े पैमाने पर कवर किया है लेकिन सुरक्षा संबंधी पाबंदियों के कारण उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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