डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, राष्ट्रपति चुनाव से पहले चीन के साथ व्यापार समझौते की जरूरत नहीं

वाशिंगटन : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्हें अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले चीन के साथ व्यापार समझौता करने की जरूरत महसूस नहीं हो रही है. उन्होंने जोर दिया कि वह चीन के साथ एक अधूरा समझौता नहीं, बल्कि पूर्ण समझौता चाहते हैं. दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 21, 2019 5:21 PM

वाशिंगटन : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्हें अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले चीन के साथ व्यापार समझौता करने की जरूरत महसूस नहीं हो रही है. उन्होंने जोर दिया कि वह चीन के साथ एक अधूरा समझौता नहीं, बल्कि पूर्ण समझौता चाहते हैं. दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच पिछले साल मार्च से व्यापार युद्ध चल रहा है. दोनों देशों ने एक-दूसरे के अरबों डॉलर के आयात पर आयात शुल्क लगाया है.

ट्रंप ने शुक्रवार को ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मोरिसन के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नहीं, मुझे नहीं लगता है चुनाव से पहले चीन के साथ समझौते की जरूरत है. उन्होंने जोर दिया कि वह चीन के साथ एक संपूर्ण व्यापार समझौते पर विचार कर रहे हैं. ट्रंप ने बताया कि चीन ने हमारे कृषि उत्पाद खरीदने शुरू कर दिये हैं. यदि आप गौर करें, तो वास्तव में कुछ बड़ी खरीद हुई है, लेकिन ये वो नहीं है, जो मैं चाहता हूं. हम एक बड़े सौदे पर विचार कर रहे हैं. हम इसे इस स्तर पर ले जा रहे हैं.

अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध अगस्त में उस समय तेज हुआ था, जब दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर जवाबी शुल्क लगाया था. हालांकि, हाल के दिनों में एक बार फिर व्यापार युद्ध में नरमी के संकेत मिले हैं और ट्रंप ने चीन के साथ समझौते पर पहुंचने को लेकर आशावादी रुख व्यक्त किया है. अमेरिका और चीन के वार्ताकारों ने इस महीने फिर से बातचीत शुरू की है.

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ने बयान में कहा कि 19 और 20 सितंबर को अमेरिका और चीन के उप-स्तरीय वार्ताकारों ने मुलाकात की और बातचीत को फिर से शुरू किया है. इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों के बीच चर्चा सकारात्मक रही और अमेरिका अक्टूबर में शीर्ष-स्तरीय बैठकों के लिए चीन के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करने के लिए तत्पर है. ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को चीन से आयातित उत्पादों पर शुल्क लगाने से अरबों डॉलर मिल रहे हैं. यह उनकी नीतियों का परिणाम है.

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