पेरू: हुआंचाको में मिला 227 बच्चों का कंकाल, अल-नीनो तूफान को रोकने के लिए दी गई थी बलि

लिमा: पेरू में पुरातत्वविदों को प्राचीन चिमू संस्कृति के काल में बलि का शिकार बनाए गए 227 बच्चों के अवशेष मिले हैं. पुरातत्वविद, बलि स्थल हुआंचाको में पिछले साल से खुदाई कर रहे हैं. हुआंचाको लीमा के उत्तर में स्थित एक पर्यटक शहर है. हुआंचाको वह स्थान है जहां चिमू संस्कृति के दौर में बलि […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 28, 2019 1:31 PM

लिमा: पेरू में पुरातत्वविदों को प्राचीन चिमू संस्कृति के काल में बलि का शिकार बनाए गए 227 बच्चों के अवशेष मिले हैं. पुरातत्वविद, बलि स्थल हुआंचाको में पिछले साल से खुदाई कर रहे हैं. हुआंचाको लीमा के उत्तर में स्थित एक पर्यटक शहर है. हुआंचाको वह स्थान है जहां चिमू संस्कृति के दौर में बलि दी जाती थी. पेरु नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गेब्रियल प्रिटो के मुताबिक, बलि की जगह को चिमू साम्राज्य में ही बनाया गया था.

मुख्य पुरातत्वविद् फेरन कैस्टिलो ने मंगलवार को कहा कि इस जगह से उन बच्चों के सबसे अधिक संख्या में अवशेष मिले हैं, जिनकी बलि दी गई थी. कैस्टिलो ने बताया कि चिमू संस्कृति में भगवान को प्रसन्न करने के लिए किए जाने वाले अनुष्ठान के तहत इन बच्चों की बलि दी गई थी. इन बच्चों की उम्र चार से 14 वर्ष के बीच है. उन्होंने कहा कि ‘अल नीनो’ के बाद उनकी बलि दी गई थी और ऐसे संकेत मिल हैं कि बारिश के मौसम में उनकी हत्या की गई थी.

माना जाता है कि अल नीनो की वजह से पेरू के पास स्थित समुद्र में तूफान आया था, जिसकी वजह से त्रुजिलो में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई थी. इस बार से बचने के लिए लोगों ने भगवान को अपने बच्चों की बलि चढ़ाई थी.

समुद्र को खुश करने के लिए चढ़ाई थी बलि

बता दें कि अल-नीनो के प्रभाव से प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह गर्म हो जाती है, इससे हवाओं के मार्ग और रफ्तार में परिवर्तन आ जाता है और इसके चलते मौसम चक्र बुरी तरह से प्रभावित होता है. मौसम में बदलाव के कारण कई स्थानों पर सूखा पड़ता है तो कई जगहों पर बाढ़ आती है. बच्चों के शवों के मुंह समुद्र की ओर हैं. आशंका जताई जा रही है कि बच्चों को समुद्र की ओर मुंह करके दफनाया गया होगा ताकि उसे प्रसन्न किया जा सके.

बलि के बाद निकाला गया था बच्चों का दिल

शवों का परीक्षण करने के दौरान पता चला कि बच्चों के शरीर पर गहरे जख्म के निशान हैं. उनकी पसलियां टूटी हुई हैं और ऐसे साक्ष्य मिले हैं जिससे पता चलता है कि बलि के बाद उन बच्चों का दिल निकाल लिया गया था. बच्चों के शरीर के अवशेषों में से कुछ पर अब भी मांस और बाल हैं. हालांकि यहां काफी संख्या में बच्चों की लाशें मिली है लेकिन कुछ अवशेष युवाओं की भी है.

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