शरीफ को झटका, जमानत रद्द करने से उच्चतम न्यायालय का इनकार

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने देश के भ्रष्टाचार निरोधक निकाय एनएबी की याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया. एनएबी ने पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के तीन आरोपों में से एवेनफील्ड भ्रष्टाचार मामले में नवाज शरीफ और उनके परिवार के लोगों के जेल की सजा निलंबित रखने के खिलाफ याचिका दायर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 14, 2019 6:27 PM

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने देश के भ्रष्टाचार निरोधक निकाय एनएबी की याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया. एनएबी ने पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के तीन आरोपों में से एवेनफील्ड भ्रष्टाचार मामले में नवाज शरीफ और उनके परिवार के लोगों के जेल की सजा निलंबित रखने के खिलाफ याचिका दायर की थी.

जवाबदेही अदालत ने जुलाई, 2018 में शरीफ को आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में दस वर्ष जेल और राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) के साथ सहयोग नहीं करने के मामले में एक वर्ष कारावास की सजा सुनायी थी. प्रधान न्यायाधीश साकिब निसार की अध्यक्षतावाली पांच सदस्यीय पीठ ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा. उच्च न्यायालय ने शरीफ, उनकी बेटी मरियम नवाज और दामाद कैप्टन (सेवानिवृत्त) मोहम्मद सफदर को एवेनफील्ड भ्रष्टाचार मामले में जेल की सजा निलंबित कर दी थी. यह मामला भ्रष्ट माध्यमों से लंदन में चार लग्जरी फ्लैट खरीदने से जुड़ा हुआ है.

उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि एनएबी जमानत रद्द करने का आधार नहीं बता पाया. तीन बार प्रधानमंत्री रहे 69 वर्षीय शरीफ और उनके परिवार ने किसी भी तरह का गलत कार्य करने से इनकार किया है. अल-अजीजिया स्टील मिल्स भ्रष्टाचार मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अदालत द्वारा 24 दिसम्बर को सात वर्ष कैद की सजा सुनाने के बाद शरीफ वर्तमान में जेल में हैं. अदालत ने पनामा पेपर्स कांड के फ्लैगशिप इन्वेस्टमेंट भ्रष्टाचार मामले में उन्हें बरी कर दिया था. ‘डॉन’ अखबार के मुताबिक, उच्चतम न्यायालय के निर्णय से शरीफ परिवार को काफी राहत मिली है. नवाज और उनके भाई शाहबाज शरीफ वर्तमान में जेल में बंद हैं. जवाबदेही अदालत द्वारा शरीफ परिवार को दिये गये जेल की सजा को पिछले वर्ष 19 सितंबर को इस्लामाबाद उच्चतम न्यायालय ने निलंबित कर दिया था. इसके बाद एनएबी ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.

न्यायमूर्ति आसिफ सईद खोसा ने कहा कि इस्लामाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय अस्थायी है और उच्चतम न्यायालय निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करेगा. न्यायमूर्ति खोसा इस महीने देश के अगले प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ लेंगे. न्यायमूर्ति खोसा ने कहा, व्यक्ति (नवाज शरीफ) जेल में है और जमानत के दुरुपयोग का कोई आरोप नहीं है. हमें संविधान का पालन करना है और हम सुनिश्चित करेंगे कि न्याय हो. हर मामले में निष्पक्ष सुनवाई होगी. एनएबी की अपील खारिज करने के उच्चतम न्यायालय के निर्णय की सराहना करते हुए सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने ट्विटर पर कहा कि शरीफ अब भी जेल में हैं और इसलिए निर्णय का पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेता पर कोई असर नहीं होगा.

उच्चतम न्यायालय द्वारा नवाज को अयोग्य करार दिये जाने के बाद एनएबी ने आठ सितंबर 2017 को उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के तीन मामलों एवेनफील्ड प्रॉपर्टीज मामला, फ्लैगशिप इन्वेस्टमेंट मामला और अल-अजीजिया स्टील मिल्स मामले की जांच की थी. गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने पनामा पेपर्स मामले में जुलाई 2017 में शरीफ को अयोग्य करार दिया था.

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