झारखंड के देवघर में लंकाधिपति दैत्य नहीं देवता, रावणेश्वर धाम में रावण दहन नहीं, देखें क्या है कारण

द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ कामनालिंग बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर को रावणेश्वर धाम कहा जाता है. देवघर में रावण को राजा के रूप में पूजे जाते हैं. दैत्यराज रावण के कारण ही देवघर में मनोकामनालिंग विराजते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 15, 2021 7:50 AM

Dussehra 2021: देवघर में दैत्यराज रावण माने जाते हैं 'देवता', रावण दहन से जुड़ी है खास परंपरा

Deoghar News: देशभर में कोरोना वायरस संकट में दुर्गा पूजा का आयोजन फीका पड़ा है. रावण दहण को लेकर कोई खास उत्साह नहीं दिख रहा है. बड़ी बात है झारखंड की सांस्कृतिक राजधानी देवघर में रावण दहण नहीं होता है. द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ कामनालिंग बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर को रावणेश्वर धाम कहा जाता है. देवघर में रावण को राजा के रूप में पूजे जाते हैं. दैत्यराज रावण के कारण ही देवघर में मनोकामनालिंग विराजते हैं. शास्त्रों और पुराणों में एक कहानी प्रचलित है. कठोर तपस्या के बाद लंकाधिपति रावण ने भगवान शिव से मनचाहा वर प्राप्त किया था. वर में शिवलिंग लेकर रा‍वण उसे कैलाश से लंका जाने के लिए निकला था. इसी दौरान दैत्यराज रावण ने देवघर में शिवलिंग को स्थापित कर दिया था. उस समय से बैद्यनाथ धाम को रावणेश्वर धाम भी कहा जाता है.

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