Vastu Tips: मुख्य द्वार की दिशा का आपके जीवन पर गहरा प्रभाव, जानें शुभ-अशुभ
Vastu Tips: वास्तु शास्त्र में मुख्य द्वार को 'खुशियों का प्रवेश द्वार' माना जाता है. यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा के प्रवाह को अंदर आने या बाहर रखने का काम करता है, जो घर में स्वास्थ्य, समृद्धि और सद्भाव को बढ़ावा देती है. जिस तरह से घर का प्रवेश द्वार बनाया जाता है, वही तय करता है कि घर में किस प्रकार की ऊर्जा प्रवाहित होगी.
Vastu Tips: क्या आप जानते हैं कि आपके घर का मुख्य द्वार, उसकी दिशा और उससे जुड़ी छोटी-छोटी बातें आपके जीवन की सुख-शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य पर सीधा असर डालती हैं? वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के प्रवेश द्वार की सही दिशा आपके भाग्य को बदल सकती है, जबकि गलत दिशा गंभीर परेशानियां खड़ी कर सकती है। आजकल लोग अपने घरों में सकारात्मक ऊर्जा लाने और समस्याओं से बचने के लिए इस प्राचीन ज्ञान की ओर लौट रहे हैं। यह सिर्फ एक दिशा का मामला नहीं है, बल्कि यह आपके जीवन को संवारने या बिगाड़ने की क्षमता रखता है। इसलिए, यह जानना बेहद ज़रूरी है कि आपका मुख्य द्वार किस दिशा में है और वह आपके लिए शुभ है या अशुभ।
मुख्य द्वार का महत्व और ऊर्जा का प्रवाह
वास्तु शास्त्र में मुख्य द्वार को ‘खुशियों का प्रवेश द्वार’ माना जाता है. यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा के प्रवाह को अंदर आने या बाहर रखने का काम करता है, जो घर में स्वास्थ्य, समृद्धि और सद्भाव को बढ़ावा देती है. जिस तरह से घर का प्रवेश द्वार बनाया जाता है, वही तय करता है कि घर में किस प्रकार की ऊर्जा प्रवाहित होगी. एक सुंदर और सही तरीके से बना मुख्य दरवाजा सुरक्षा की भावना देता है और घर में शांति और खुशहाली को बढ़ावा देता है. घर का मुख्य द्वार घर के बाकी दरवाजों से बड़ा होना चाहिए.
शुभ दिशाएं और उनके प्रभाव
वास्तु शास्त्र के अनुसार, कुछ दिशाओं में मुख्य द्वार होना अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे घर में सकारात्मकता और समृद्धि आती है:
- उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण): यह दिशा सबसे शुभ मानी जाती है. इस दिशा में मुख्य द्वार होने से सौभाग्य और नई संभावनाएं आती हैं. वास्तु के अनुसार, इस दिशा पर दिति देवी का शासन है, जिन्हें बहुत दयालु माना गया है. यह दिशा आध्यात्मिक विकास और समग्र कल्याण चाहने वाले परिवारों के लिए सबसे उपयुक्त है.
- उत्तर दिशा: यह धन के देवता कुबेर द्वारा शासित मानी जाती है. उत्तर दिशा में मुख्य द्वार होने से वित्तीय लाभ, समृद्धि और करियर में वृद्धि होती है. यह धन, अवसरों और प्रचुरता के निरंतर प्रवाह को भी सुनिश्चित करता है. यह उद्यमियों और पेशेवरों के लिए विशेष रूप से शुभ है.
- पूर्व दिशा: सूर्य देव से जुड़ी यह दिशा नई शुरुआत, ऊर्जा और जीवन शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है. पूर्व दिशा वाला मुख्य द्वार घर को सकारात्मकता से भर देता है और अच्छे स्वास्थ्य और सफलता को बढ़ावा देता है. यह घर के लोगों को हर काम में सफलता दिलाता है और धन लाभ के नए मार्ग खोलता है. यह छात्रों और महत्वाकांक्षी व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है.
- पश्चिम दिशा: यह दिशा स्थिरता और दीर्घकालिक सफलता के लिए जानी जाती है. यदि आपका घर पश्चिम दिशा की ओर है, तो मुख्य द्वार आदर्श रूप से उत्तर-पश्चिम या पश्चिम दिशा में होना चाहिए.
अशुभ दिशाएं और उनके संभावित प्रभाव
वास्तु शास्त्र कुछ दिशाओं में मुख्य द्वार बनाने से बचने की सलाह देता है, क्योंकि इनसे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं:
- दक्षिण-पश्चिम दिशा: इस दिशा को आमतौर पर अशुभ माना जाता है, क्योंकि इस पर राहु ग्रह का प्रभाव माना जाता है. दक्षिण-पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार धन ला सकता है, लेकिन यह दुर्भाग्य भी साथ ला सकता है और संघर्ष व दुर्भाग्य का कारण बन सकता है. यह बर्बादी और हानि का कारण बन सकता है.
- दक्षिण-दक्षिण पश्चिम (SSW) दिशा: यदि आपके घर का मुख्य द्वार इस दिशा में है, तो यह जीवन में बार-बार रुकावट, असफलता, पारिवारिक झगड़े और मानसिक तनाव ला सकता है. यह आत्मविश्वास को कमजोर करता है और घर का माहौल अशांत बनाता है.
- पूर्व-दक्षिण पूर्व (ESE) दिशा: इस दिशा से प्रवेश होने पर व्यक्ति को चिंता, अनिद्रा, गुस्सा और रिश्तों में कड़वाहट का सामना करना पड़ सकता है. यह दिशा मन को बेचैन करती है और आत्मविश्वास को कमजोर बनाती है.
- पश्चिम-उत्तर पश्चिम (WNW) दिशा: इस दिशा से घर में प्रवेश होने पर व्यक्ति भ्रमित रहने लगता है, निर्णय गलत होने लगते हैं और करियर में रुकावट आती है. यह दिशा सोचने की शक्ति को प्रभावित करती है.
- दक्षिण-पूर्व दिशा: इस दिशा में मुख्य द्वार होना ठीक नहीं माना जाता है और इसे वास्तु दोष कहा जाता है. अगर घर का मुख्य द्वार दक्षिण-पूर्व दिशा में हो तो इससे परिवार की महिलाओं को सेहत से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं. साथ ही, घर के रिश्तों में अनबन या गलतफहमियां भी बढ़ सकती हैं और लोग जल्दी गुस्सा करने लगते हैं.
वास्तु दोषों को दूर करने के उपाय
यदि मुख्य द्वार अशुभ दिशा में हो, तो कुछ उपायों से नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है:
- मुख्य द्वार के दोनों ओर ‘ओम’ या ‘स्वस्तिक’ का चिन्ह बनाएं.
- दरवाजे के पास पीतल के हाथी रखें, जिनकी सूंड ऊपर की ओर हो.
- हर सुबह गंगाजल या गौमूत्र से दरवाजे का शुद्धिकरण करें.
- तुलसी का पौधा उत्तर या पूर्व दिशा में लगाएं.
- मुख्य द्वार पर लाल रंग का पर्दा लगाएं ताकि नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश न कर सके.
- यदि मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में हो, तो दरवाजे के सामने नीम का हरा-भरा पेड़ लगा सकते हैं या गणेश जी की दो मूर्तियां लगा सकते हैं.
- दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम के दरवाजे को धातु के पिरामिड का उपयोग करके ठीक किया जा सकता है.
- उत्तर-पश्चिम में द्वार होने पर पीतल के पिरामिड और पीतल के हेलिक्स का उपयोग किया जा सकता है, जबकि तांबे के हेलिक्स का उपयोग करके दक्षिण-पूर्व दिशा में द्वार को ठीक किया जा सकता है.
- घर के दरवाजे अगर विपरीत दिशा में खुलते हैं, तो यह वास्तु दोष माना जाता है. इसे दूर करने के लिए प्रवेश द्वार पर तीन तांबे के पिरामिड दक्षिणावर्त तीर लगाने चाहिए.
- अगर दो घरों के मुख्य द्वार एक-दूसरे के आमने-सामने हों, तो मुख्य द्वार पर लाल कुमकुम से बना स्वस्तिक लगाने से वास्तु दोष दूर होता है.
- मुख्य द्वार के सामने की दीवार पर आईने का उपयोग करने से ऊर्जा दीवार में अवशोषित होने के बजाय घर में फैलती है.
- दीवार को शुभ प्रतीकों से सजाएं जैसे – ओम, स्वस्तिक, देवी-देवताओं की तस्वीरें या प्रकृति से प्रेरित कलाकृतियां.
- ऊर्जा को सक्रिय करने के लिए सजावटी लाइट्स लगाएं.
- दीवारों को हल्के और सुखद रंगों से पेंट करें, जैसे पीला या आसमानी नीला.
अन्य महत्वपूर्ण वास्तु नियम
- मुख्य दरवाजा 90 डिग्री पर खुलना चाहिए और उसके सामने कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए.
- दो पल्लों वाला मुख्य दरवाजा जो अंदर की ओर और घड़ी की दिशा में खुले, शुभ माना जाता है.
- मुख्य द्वार को घर के कोने में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि घर के कोनों को खाली छोड़ना निवासियों के लिए शुभ होता है.
- मुख्य द्वार के सामने कोई परित्यक्त संरचना या जर्जर इमारत नहीं होनी चाहिए.
- घर का मुख्य द्वार कभी भी पड़ोसी के घर के मुख्य द्वार के ठीक सामने नहीं होना चाहिए.
- घर में दरवाजों की संख्या सम होनी चाहिए. वास्तु के अनुसार, घर के उत्तर और पूर्व दिशा में दरवाजे अधिक होने चाहिए, न कि दक्षिण और पश्चिम में.
- मुख्य द्वार पर नेमप्लेट लगाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह धन और समृद्धि को आमंत्रित करता है. नेमप्लेट हमेशा साफ-सुथरी होनी चाहिए.
- मुख्य द्वार की ओर जाने वाले रास्ते में अंधेरा नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है.
- मुख्य द्वार टी-जंक्शन या टी-चौराहे के सामने नहीं बना होना चाहिए, क्योंकि इससे घर में अनिष्ट शक्तियों का प्रवेश होता है.
- मुख्य द्वार जमीन से जुड़ा नहीं होना चाहिए और सीढ़ियों की संख्या विषम होनी चाहिए, जैसे 3, 5, 7, 11 आदि.
- मुख्य द्वार के सामने कभी भी लिफ्ट या सीढ़ी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा अधिक आती है.
- मुख्य द्वार के लिए लकड़ी या धातु जैसी ठोस सामग्री का उपयोग करें. यदि आपका मुख्य दरवाजा दक्षिण दिशा में है, तो दरवाजे में लकड़ी और धातु का संयोजन होना चाहिए. पश्चिम दिशा में होने पर धातु का काम होना चाहिए. उत्तर दिशा में स्थित मुख्य द्वार का रंग चांदी का होना चाहिए, और पूर्व दिशा में होने पर वह लकड़ी का बना होना चाहिए और सीमित धातु के सामान से सजा होना चाहिए.
- दरवाजे को पीले, भूरे, सफेद, हल्के पीले या मिट्टी के रंगों से रंगना चाहिए, जो सकारात्मकता का प्रतीक हैं. गहरे रंगों से बचना चाहिए.
