Vinayaka Chaturthi 2022: इस दिन है विनायक चतुर्थी, जानें पूजा मुहूर्त, चंद्रोदय समय और महत्व

Vinayaka Chaturthi 2022: पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 नवंबर दिन शनिवार को शाम 07 बजकर 28 मिनट पर शुरू हो रही है और यह तिथि 27 नवंबर रविवार को शाम 04 बजकर 25 मिनट तक मान्य रहेगी.

By Shaurya Punj | November 23, 2022 6:44 AM

Vinayaka Chaturthi 2022: मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाता है. इस दिन दोपहर तक गणेश जी की पूजा कर लेते हैं और व्रत रखते हैं.  आइए जानते हैं जानते हैं मार्गशीर्ष की विनायक चतुर्थी की तिथि, पूजा मुहूर्त और चंद्रोदय समय के बारे में.

मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी 2022

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 नवंबर दिन शनिवार को शाम 07 बजकर 28 मिनट पर शुरू हो रही है और यह तिथि 27 नवंबर रविवार को शाम 04 बजकर 25 मिनट तक मान्य रहेगी. उदयातिथि के आधार पर मार्गशीर्ष की विनायक चतुर्थी व्रत 27 नवंबर को रखा जाएगा.

विनायक चतुर्थी 2022 पूजा मुहूर्त

जो लोग 27 नवंबर को मार्गशीर्ष की विनायक चतुर्थी व्रत रखेंगे, वे दिन में 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 01 बजकर 12 मिनट के मध्य गणेश जी की पूजा करेंगे. यह विनायक चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त है.

विनायक चतुर्थी पर दो शुभ योग

विनायक चतुर्थी के दिन दो शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहे हैं. 27 नवंबर को सुबह 06 बजकर 53 मिनट से रवि योग लग रहा है, जो दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक है. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से लेकर अगले दिन 28 नंवबर को सुबह 06 बजकर 54 मिनट तक है. ये दोनों ही योग मांगलिक कार्यों के लिए शुभ हैं.

विनायक चतुर्थी 2022 पूजा विधि

विनायक चतुर्थी के दिन उपासक सुबह उठकर स्नानादि करके लाला रंग का साफ सुथरा कपड़ा पहनें. फिर भगवान गणेश जी को पीले फूलों की माला अर्पित करें. उसके बाद गणेश भगवान की प्रतिमा के सामने धूप दीप प्रज्वलित करके नैवेद्य, अक्षत उनका प्रिय दूर्वा घास, रोली अक्षत चढ़ाएं.  इसके बाद भगवान गणेश को भोग लगाएं. आखिरी में व्रत कथा पढ़कर गणेश जी की आरती करें. फिर शाम को व्रत कथा पढ़कर चंद्रदर्शन करने के बाद व्रत को खोलें.

विनायक चतुर्थी का महत्व

विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणपति की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं. भक्तों के कार्यों में आने वाले संकटों को दूर करते हैं. उनकी कृपा से व्यक्ति के कार्य बिना विघ्न बाधा के पूर्ण होते हैं. वे शुभता के प्रतीक हैं और प्रथम पूज्य भी हैं, इसलिए कोई भी कार्य करने से पूर्व श्री गणेश जी की पूजा की जाती है.

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