ढेंकी से अनाज कुटने का प्रचलन हो रहा खत्म, सिर्फ छठ पर्व के प्रसाद की सामग्री की कुटाई में होता उपयोग

Jharkhand News (इटखोरी, चतरा) : जैसे-जैसे समय बदल रहा है, वैसे-वैसे तकनीकी विकास हो रहा है. समय के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों की परंपरा भी बदलती जा रही है. प्राचीन साधन भी विलुप्त होते जा रहा है. अब गांवों में ढेंकी से अनाज (चावल, गेंहू, मक्का, दलहन) कुटने का प्रचलन भी समाप्त हो गया है. आधुनिक मशीनों ने इनका स्थान ले लिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 14, 2021 9:01 PM

Jharkhand News (इटखोरी, चतरा) : जैसे-जैसे समय बदल रहा है, वैसे-वैसे तकनीकी विकास हो रहा है. समय के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों की परंपरा भी बदलती जा रही है. प्राचीन साधन भी विलुप्त होते जा रहा है. अब गांवों में ढेंकी से अनाज (चावल, गेंहू, मक्का, दलहन) कुटने का प्रचलन भी समाप्त हो गया है. आधुनिक मशीनों ने इनका स्थान ले लिया है.

गांवों में अब ढेंकी के धम-धम की आवाज सुनाई नहीं देती है. चतरा जिला के इटखोरी प्रखंड के किसी घर में शायद ही ढेंकी होगा. लोग भी अब मशीनों के आदी हो गये हैं. नगवां गांव की वृद्ध महिला लिलिया देवी के घर में बहुत मुश्किल से ढेंकी मिला. वह केवल छठ पर्व के प्रसाद की सामग्री की कुटाई के लिए ढेंकी का इस्तेमाल करती है.

नगवां गांव की लिलिया देवी ने कहा कि करीब 40 साल से ढेंकी का इस्तेमाल कर रही थी, लेकिन अब मशीन से पिसा हुआ अनाज का भोजन करती हूं. अपने जमाने में गेहूं, चावल, मक्का, दलिया आदि ढेंकी से कूटकर (पीसकर) ही खाना बनाती थी. पहले अगल-बगल की महिलाएं भी गेहूं कुटने आती थी, लेकिन अब सभी मशीनों का पिसा हुआ अन्न ही खाती है.

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पहले छठ पर्व का प्रसाद बनता था

ग्रामीण लिलिया देवी ने कहा कि पहले छठ पर्व के प्रसाद लिए ढेंकी से कूटा हुआ गेहूं का इस्तेमाल होता था. लोग शुद्धता का पूरा ख्याल रखते थे. बिना ढेंकी से कूटा हुआ सामानों का इस्तेमाल वर्जित माना जाता था. लेकिन, अब धीरे-धीरे लोग मशीन से पीसी हुई सामानों का ही उपयोग करने लगे हैं.

ढेंकी से कूटा हुआ अनाज का स्वाद ही कुछ अलग

ग्रामीण तिलक यादव कहते हैं और कि ढेंकी से पिसा हुआ आटा व चावल के भोजन का स्वाद ही अलग है. खाने के बाद मन संतुष्ट हो जाता है तथा रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाता है. ढेंकी चलाने वाली महिला स्वस्थ रहती थी. बीमारी उनके नजदीक भी नहीं आता था. जैसे-जैसे पुराना यंत्र समाप्त हो रहा है, वैसे-वैसे लोगों में बीमारी भी बढ़ रही है.

Posted By : Samir Ranjan.

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