Navratri Live : मां दुर्गा के नौ रुपों की होती है पूजा

नवरात्रि का त्योहार हिन्दू धर्म में विशेष स्थान रखता है. नवरात्रि के पर्व में नौ दिनों तक शक्ति मां दुर्गा की उपासना की जाती है. नवरात्पर का आयोजन वर्ष में दो बार होता है, पहला नवसंवत्सर के शुरुआत में जब चैत्र प्रतिपदा का आरंभ होता है तब चैत्र नवरात्र का आरंभ होता है. इसी तरह वर्ष में दूसरी बार आश्विन के शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्र का आयोजन किया जाता है.

By Shaurya Punj | March 24, 2020 8:40 PM

मुख्य बातें

नवरात्रि का त्योहार हिन्दू धर्म में विशेष स्थान रखता है. नवरात्रि के पर्व में नौ दिनों तक शक्ति मां दुर्गा की उपासना की जाती है. नवरात्पर का आयोजन वर्ष में दो बार होता है, पहला नवसंवत्सर के शुरुआत में जब चैत्र प्रतिपदा का आरंभ होता है तब चैत्र नवरात्र का आरंभ होता है. इसी तरह वर्ष में दूसरी बार आश्विन के शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्र का आयोजन किया जाता है.

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मां दुर्गा के नौ रुपों की होती है पूजा

1. माता शैलपुत्री : पर्वतराज हिमालय की पुत्री माता दुर्गा का प्रथम रूप है. इनकी आराधना से कई सिद्धियां प्राप्त होती हैं.

प्रतिपदा को मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्ये नम:' की माला दुर्गा जी के चित्र के सामने यशाशक्ति जप कर घृत से हवन करें.

2. माता ब्रह्मचारिणी : माता दुर्गा का दूसरा स्वरूप पार्वतीजी का तप करते हुए है। इनकी साधना से सदाचार-संयम तथा सर्वत्र विजय प्राप्त होती है. चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन पर इनकी साधना की जाती है.

द्वितिया को मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:', की माला दुर्गा जी के चित्र के सामने यशाशक्ति जप कर घृत से हवन करें.

3. माता चन्द्रघंटा : माता दुर्गा का यह तृतीय रूप है. समस्त कष्टों से मुक्ति हेतु इनकी साधना की जाती है.

तृतीया को मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:' की 1 माला जप कर घृत से हवन करें.

4. माता कूष्मांडा : यह मां दुर्गा का चतुर्थ रूप है. चतुर्थी इनकी तिथि है. आयु वृद्धि, यश-बल को बढ़ाने के लिए इनकी साधना की जाती है.

चतुर्थी को मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै नम:' की 1 माला जप कर घृत से हवन करें.

5. माता स्कंदमा‍ता : दुर्गा जी के पांचवे रूप की साधना पंचमी को की जाती है। सुख-शांति एवं मोक्ष को देने वाली हैं.

पांचवें दिन मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमा‍तायै नम:' की 1 माला जप कर घृत से हवन करें.

6. मां कात्यायनी : मां दुर्गा के छठे रूप की साधना षष्ठी तिथि को की जाती है। रोग, शोक, संताप दूर कर अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष को भी देती हैं.

छठे दिन मंत्र- 'ॐ क्रीं कात्यायनी क्रीं नम:' की 1 माला जप कर घृत से हवन करें.

7. माता कालरात्रि : सप्तमी को पूजित मां दुर्गा जी का सातवां रूप है। वे दूसरों के द्वारा किए गए प्रयोगों को नष्ट करती हैं.

सातवें दिन मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:' की 1 माला जप कर घृत से हवन करें.

8. माता महागौरी : मां दुर्गा के आठवें रूप की पूजा अष्टमी को की जाती है. समस्त कष्टों को दूर कर असंभव कार्य सिद्ध करती हैं.

आठवें दिन मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:' की 1 माला जप कर घृत या खीर से हवन करें।

9. माता सिद्धिदात्री : मां दुर्गा के इस रूप की अर्चना नवमी को की जाती है। अगम्य को सुगम बनाना इनका कार्य है.

नौवें दिन मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नम:' की 1 माला जप कर जौ, तिल और घृत से हवन करें.

माता दुर्गा के किसी भी चि‍त्र की स्थापना कर यथाशक्ति पूजन कर, नियत तिथि को मंत्र जपें तथा गौघृत द्वारा यथाशक्ति हवन करें. तंत्र का नियम आदि किसी विद्वान व्यक्ति द्वारा समझकर करें.

नवरात्र में ऐसे करें मां दुर्गा की उपासना

घर पर नवरात्रि पूजा विधि-

-नवरात्रि पर सुबह जल्दी उठें और नित्यकर्म और स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें और पूजा घर को साफ करें

- नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना करने से पहले सभी तरह की पूजा सामग्रियों को एक जगह एकत्रित करें

- पूजा की थाली को सजाएं उसमें सभी तरह की पूजा सामग्री को रखें- माँ दर्गा की फोटो को लाल रंग के कपड़े में रखें- मिट्टी के पात्र में जौ के बीज को बोएं और नौ दिनों तक उसमें पानी का छिड़काव करें

- नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर शुभ मुहूर्त में कलश को लाल कपड़े में लपटेकर स्थापित करें

- फिर कलश में गंगा जल डाले और आम की पत्तियाँ रखकर उस पर जटा नारियल रखें। नारियल में लाल चुनरी को कलावा के माध्यम से बांधें

- इसके बाद कलश को मिट्टी के बर्तन के पास जिसमें जौ बोएं है उसके पास रख दें- फूल- माला, रौली, कपूर, अक्षत और ज्योति के साथ मां दुर्गा की पूजा करें

यही प्रकिया रोज करें

- नौ दिनों तक माँ दुर्गा का मंत्र का जाप करें और सुख-समृद्धि की कामना करें

- अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं को घर पर बुलाकर उनका पूजन करें और उन्हें भोग लगाएं

- नवरात्रि के आखिरी दिन मां दुर्गा की पूजा के बाद घट विसर्जन करें फिर बेदी से कलश को उठाएं

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