Ramadan Mubarak, Sehri Time 2020: रमजान मुबारक! मस्जिदों से भी हुआ ऐलान, कल से पहला रोजा

Ramadan 2020, Sehri Time 2020: कोरोना के कहर के बीच इस बार का रमजान मनाया जाना है. इस पर्व को 30 दिनों तक मनाया जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौवें महीने को रमजान मनाने की परंपरा है. इस्लाम धर्म में इस पर्व को काफी पाक माना गया है. केरल स्थित कोझिकोड के कप्पड में चांद नजर आ गया है. कल से रमजान का महीना शुरु होगा, जो 24-25 मई तक चलेगा. कुछ देर पहले तक इस बात को लेकर संशय बना हुआ था कि चांद 23 को दिखेगा या 24 को, पर अब ये साफ हो गया है कि कल से रोजा शुरू हो रहा है. ऐसे में आप यहां से जुड़ कर जान सकते हैं रमजान के शुरू होने का सही समय और तारीक..

By SumitKumar Verma | April 24, 2020 7:15 PM

मुख्य बातें

Ramadan 2020, Sehri Time 2020: कोरोना के कहर के बीच इस बार का रमजान मनाया जाना है. इस पर्व को 30 दिनों तक मनाया जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौवें महीने को रमजान मनाने की परंपरा है. इस्लाम धर्म में इस पर्व को काफी पाक माना गया है. केरल स्थित कोझिकोड के कप्पड में चांद नजर आ गया है. कल से रमजान का महीना शुरु होगा, जो 24-25 मई तक चलेगा. कुछ देर पहले तक इस बात को लेकर संशय बना हुआ था कि चांद 23 को दिखेगा या 24 को, पर अब ये साफ हो गया है कि कल से रोजा शुरू हो रहा है. ऐसे में आप यहां से जुड़ कर जान सकते हैं रमजान के शुरू होने का सही समय और तारीक..

लाइव अपडेट

हजारीबाग और बरही में रमजान का चांद दिखाई दिया. 25 अप्रैल से रमजान मुबारक शुरू होगा. हजारीबाग जामा मस्जिद सरदार चौक मस्जिद समेत सभी मस्जिदों से चांद होने का ऐलान भी किया गया.

शिया कैलेंडर के हिसाब से पहला रोजा का समय

शिया मुसलमानों के कैलेंडर के हिसाब से पहला रोजा 03 बजकर 48 मिनट सुबह से 06 बजकर 30 मिनट शाम तक का है. इस हिसाब से पहले रोजे की अवधि 14 घंटा 42 मिनट की होगी.

इमारत-ए-शरिया ने जारी किया कैलेंडर

इमारत-ए-शरिया फुलवारीशरीफ बिहार ने रमजान के कैलेंडर को जारी किया है जिसके हिसाब से चांद दिखा तो इसबार पहला रोजा 25 अप्रैल से शुरू होगा. यह 03 बजकर 52 मिनट सुबह से 06 बजकर 18 मिनट शाम तक यानी कुल 14 घंटे 26 मिनट का होगा.

लॉकडाउन का होगा पालन, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ होगा इफ्तार

इस साल 2020 में रमजान के माह में लॉकडाउन के नियम का पालन करते हुए ही इबादत की जाएगी.लोग अपने घरों में रहकर ही इबादत करेंगे और सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए इफ्तार करेंगे.भारत के इस्लामिक धर्मगुरुओं ने भी लॉकडाउन का पालन करते हुए ही रमजान में इबादत करने का संदेश दिया है.

इन देशों में दिखा चांद

रमजान का चांद सऊदी अरब,कुवैत,बहरीन,और युएई सहित मलेशिया, मिश्र, सिंगापुर, इंडोनेशिया और फिलिपींस में भी देखा जा चुका है और यहां आज से माह -ए- रमज़ान के शुरुआत का एलान कर दिया गया है.

केरल में दिखा चांद 

केरल के कोझिकोड के कप्पड़ में कल गुरूवार को ही चांद दिखने के कारण केरल में रमजान का महीना आज शुक्रवार से ही शुरू हो गया है.

भारत में कल से रखे जा सकते हैं रोजे

सऊदी अरब में रमजान का महीना शुरू होने का एलान कर दिया गया है.आज शुक्रवार के दिन से सऊदी में रमजान के महीना शुरू हो चुका है.वहीं भारत में रमजान के शुरु होने का इंतजार बेसब्री से किया जा रहा है. इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से भारत मे सऊदी के एक दिन बाद चांद नजर आता है और अगले दिन से रमजान माह के शुरू होने का एलान किया जाता है.यदि आज 24 अप्रैल शुक्रवार को चांद दिखता है तो कल 25 अप्रैल ,शनिवार से हिंदुस्तान में रोजे रखे जाएंगे.

सऊदी में दिखा चांद :

सऊदी अरब में कल 23 अप्रैल गुरुवार को चांद देखा जा चुका है. सऊदी में चांद दिखने का इंतजार भारत के मुसलमानों को भी बेसब्री से रहता है क्योंकि अक्सर इसके एक दिन बाद ही भारत में भी चांद देखा जाता है.

रमजान में खजूर की खासियत

रोजा इफ्तार में खजूर का इस्तेमाल क्यों करना चाहिए ये भी जान लेना चाहिए. तरीका ये है कि रूतब यानि पके हुए ताज़ा खजूर से रोज़ा इफ्तार किया जाए. अगर पके खजूर ने मिले तो सूखे खजूर यानि छोहारे से रोजा इफ्तार किया जाय. अगर वह भी न हो तो पानी से इफ्तार करना चाहिए.

मोबाइल पर वक्त बर्बाद करने से बचें

माह-ए-रमजान में अपने गुनाहों की तौबा करने की सलाह दी जाती है. साथ ही गुनाहों से बचने की कोशिश करें. साथ ही ये भी कहा गया है कि माह-ए-रमजान में लोग फिजूल की बातों से बचें एवं अपना वक्त मोबाइल पर जाया न कर रमजान के कीमती वक्त को ज्यादा से ज्यादा इबादत में गुजारें.

15 घंटे नौ मिनट का होगा पहला रोजा

तेज झुलसती गर्मी में रोजेदार रोजा रखने वाले हैं. आपको बता दें की इस बार रोजे 15 घंटे से ज्यादा वक्त के होने वाले हैं. कल यानी पहला रोजा 15 घंटे नौ मिनट का होगा और अंतिम रोजा 15 घंटे एक मिनट अवधि का होगा. पहला रोजा सुबह 04.22 बजे शुरू होगा जो शाम को 6.53 बजे खत्म होगा.

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केरल में दिखा चांद, रोजा कल से

केरल स्थित कोझिकोड के कप्पड में चांद नजर आ गया है. कल से रमजान का महीना शुरु हो गया है, जो 24-25 मई तक चलेगा. कल के सेहरी का समय सुबह 4 बजकर 22 मिनट का है तो वहीं इफ्तार का वक्त शाम के 6 बजकर 53 मिनट है.

जाने रमजान का इतिहास

मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए रमजान का महीना इसलिए भी जरूरी होता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस महीने की गई इबादत का सवाब बाकी महीनों के मुकाबले 70 गुना मिलता है. रमजान में रोजा नमाज के साथ कुरान पढ़ने की भी काफी फजीलत है, क्योंकि रमजान के महीने में 21वें रोजे को ही पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब पर ही अल्लाह ने ‘कुरान शरीफ’ नाजिल किया था.

रमजान के पूरे महीने कुछ खास बातों का ध्‍यान रखना जरूरी है. आइए जानते हैं कौन सी बातों को ध्‍यान में रखकर रोजे रखने चाहिए:

1. इंसान रमजान की हर रात उससे अगले दिन के रोजे की नियत कर सकता है. बेहतर यही है कि रमजान के महीने की पहली रात को ही पूरे महीने के रोजे की नियत कर लें.

2. अगर कोई रमजान के महीने में जानबूझ कर रमजान के रोजे के अलावा किसी और रोजे की नियत करे तो वो रोजा कुबूल नहीं होगा और ना ही वो रमजान के रोजे में शुमार होगा.

3. बेहतर है कि आप रमजान का महीना शुय होने से पहले ही पूरे महीने की जरूरत का सामान खरीद लें, ताकि आपको रोजे की हालत में बाहर ना भटकना पड़े और आप ज्‍यादा से ज्‍यादा वक्‍त इबादत में बिता सकें.

4. रमजान के महीने में इफ्तार के बाद ज्‍यादा से ज्‍यादा पानी पीयें. दिनभर के रोजे के बाद शरीर में पानी की काफी कमी हो जाती है. मर्दों को कम से 2.5 लीटर और औरतों को कम से कम 2 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए.

5. इफ्तार की शुरुआत हल्‍के खाने से करें. खजूर से इफ्तार करना बेहतर माना गया है. इफ्तार में पानी, सलाद, फल, जूस और सूप ज्‍यादा खाएं और पीएं. इससे शरीर में पानी की कमी पूरी होगी.

6. सहरी में ज्‍यादा तला, मसालेदार, मीठा खाना न खाएं, क्‍यूंकि ऐसे खाने से प्‍यास ज्‍यादा लगती है. सहरी में ओटमील, दूध, ब्रेड और फल सेहत के लिए बेहतर होता है.

7. रमजान के महीने में ज्‍यादा से ज्‍यादा इबादत करें, अल्‍लाह को राजी करना चाहिए क्‍यूंकि इस महीने में कर नेक काम का सवाब बढ़ा दिया जाता है.

8. रमजान में ज्‍यादा से ज्‍यादा कुरान की तिलावत, नमाज की पाबंदी, जकात, सदाक और अल्‍लाह का जिक्र करके इबादत करें. रोजेदारों को इफ्तार कराना बहुत ही सवाब का काम माना गया है.

9. अगर कोई शख्‍स सहरी के वक्‍त रोजे की नियत करे और सो जाए, फिर नींद मगरिब के बाद खुले तो उसका रोजा माना जाएगा, ये रोजा सही है.

10. रमजान के महीने को तीन अशरों में बांटा गया है. पहले 10 दिन को पहला अशरा कहते हैं जो रहमत का है. दूसरा अशरा अगले 10 दिन को कहते हैं जो मगफिरत का है और तीसरा अशरा आखिरी 10 दिन को कहा जाता है जो कि जहन्‍नम से आजाती का है.

आखिरी रोजे की सहरी का समय

आखिरी रोजे की सहरी का समय भी भोर में ही होगा. तीन बजकर 29 मिनट सहरी और शाम को 6.48 बजे इफ्तार होगी

पहले रोजा का समय

पहला रोजा रखने के लिए सेहरी सुबह 3.55 बजे होगी. जबकि इफ्तार शाम को 6.33 में करना होगा. इसी के बाद रोजा खोला जाएगा.

अगर 24 को दिखा चांद तो 922 मिनट का होगा रोजा

धर्मगुरूओं की मानें तो अगर 24 को चांद दिखा तो 25 अप्रैल को पहला रोजा 15 घंटे 22 मिनट यानि कुल 922 मिनट का रखना होगा.

रोजेदारों का होगा सख्त इम्तिहान

रमजान में इस बार रोजेदारों का अल्लाह सख्त इम्तिहान लेने वाला है. हर रोजा इन्हें करीब 15 घंटे यानि 900 मिनट का रखना होगा.

लॉकडाउन के बीच इस बार का रमजान शुरू होना है. इबादत और इफ्तार घरों में रहकर सोशल डिस्टेंसिग के नियमों का पालन करके ही हो पायेगा. इसे लेकर धर्म गुरूओं ने भी लोगों से ख़ास अपील की है की वे नमाज घरों पर ही पढ़ें. 30 दिनों तक चलने वाले इस पाक पर्व में मुसलमान रोजा रखते हैं. इस दौरान वे सुबह सहरी और शाम में इफ्तार करते हैं.

क्यों पाक है रमजान

इस पर्व में रोजे रखने को फर्ज माना गया है. बाकी महीनों की तुलना में 70 फीसदी ज्यादा फलदायी है यह महीना. ऐसी मान्यता है कि इस पाक महीने में अल्लाह अपने बंदों की जायज दुआ कुबूल करते हैं. इस महीने में लोग कोई भी बुरा कार्य करने से बचते हैं. न किसी के बारे बुरा बोलते है न सुनते है. यहां तक कि आंखों से किसी का गलत होते भी नहीं देख सकते. पैरों से न कोई नापाक जगह जाते हैं और न हीं हाथ से किसी बुरे कार्य को करते है.

जानिए क्या है रमजान का इतिहास

इस पाक महीने को रमजान या रमदान कहते हैं. इस्लामी कैलेण्डर के अनुसार यह नवां महीना होता है. मुस्लिम समुदाय इस महीने को पवित्र मानते है. मान्यताओं के अनुसार इस महीने की 27वीं रात शब-ए-क़द्र को क़ुरान का अवतरण हुआ. इसी लिये, इस महीने में क़ुरान ज़्यादा पढ़ना पुण्यकार्य माना गया है. तरावीह की नमाज़ में महीना भर कुरान पढ़ा जाता है.

रमजान के महीने में 21वें रोजे को ही पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब पर ही अल्लाह ने ‘कुरान शरीफ’ नाजिल किया था. यानी इस दौरान कुरान अस्तित्व में आया था. जिस कारण इस महीने में कुरान पढ़ने की भी काफी फजीलत है.

रोजा रखने के पीछे की मान्यता यह है कि रमजान के महीने में ही पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब को अल्लाह ने अपनी पाक किताब कुरान शरीफ दिया. इस्लाम धर्म के अनुयायी ऐसा मानते हैं कि इस माह में अल्लाह जन्नत के दरवाजे खोल देते हैं.इस महीने अपने कर्मों से लोग जन्नत पाते हैं.ऐसा माना जाता है कि रोजा रखने व रोजा का नमाज पढ़ने से अल्लाह इसका सवाब देते हैं.

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