Pongal 2023: आज से चार दिवसीय पोंगल शुरू, जानें क्या क्या है इसकी मान्यताएं

Pongal 2023 date, shubh muhurat: पोंगल का पर्व 15 जनवरी से 18 जनवरी 2023 तक मनाया जाएगा. पोंगल पर्व पर सुख-समृद्धि के लिए वर्षा, धूप और कृषि से संबंधित चीजों की पूजा अर्चना की जाती है. ऐसे में चलिए जानते हैं पोंगल पर्व का महत्व...

By Shaurya Punj | January 15, 2023 5:45 AM

Pongal 2023 date, shubh muhurat: पोंगल चार दिन तक चलने वाला तमिलनाडु का प्रमुख त्योहार है.  गल के पर्व को चार दिन तक अलग अलग रूप में मनाया जाता है. पहले दिन भोगी पोंगल, दूसरे दिन सूर्य पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल और चौथे दिन कानुम पोंगल मनाते हैं.   पोंगल पर्व पर सुख-समृद्धि के लिए वर्षा, धूप और कृषि से संबंधित चीजों की पूजा अर्चना की जाती है. ऐसे में चलिए जानते हैं पोंगल पर्व का महत्व…

कब से शुरू हो रहा है पोंगल ?

तमिल कैलेंडर के अनुसार, जब सूर्य देव 14 या 15 जनवरी को धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब इसे नववर्ष का शुरुआत माना जाता है. इस साल पोंगल का पर्व 15 जनवरी से 18 जनवरी 2023 तक मनाया जाएगा.

पोंगल का अर्थ जानते है आप

पोंगल का त्यौहार पर हम बुरी चीजों को त्यागकर अच्छी चीजों को ग्रहण करने का प्रण लेते हैं। ऐसे में इस त्यौहार को काफी धूमधाम से मनाया जाता है.

पोंगल पर्व की कथा (Pongal Katha)

पोंगल पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने अपने बिसवा नामक बैल को धरतीलोग पर एक विशेष संदेश के साथ भेजा. इस संदेश में शिव जी ने कहा कि सभी पृथ्वीवासियों से कहना कि प्रतिदिन स्नान के बाद ही भोजन ग्रहण करें. यह संदेश लेकर बिसवा बैल पृथ्वी पर पहुंचा, लेकिन उसने धरती वासियों को गलत संदेश दे दिया. उसने संदेश स्वरूप धरती वासियों से कहा कि एक माह में एक दिन ही भोजन करे. जब यह बात शिवजी को पता चली तब वे बिसवा से क्रोधित हो गए. शिवजी ने बिसवा को धरती पर रहने को कहा और लोगों की कृषि में सहायता करने के आदेश दिए. तब बिसवा बैल की सहायता से अच्छी ऊपज हुई और इसी खुशी में पोंगल का पर्व मनाए जाने की परंपरा की शुरुआत हुई.

पोंगल का महत्व

पोंगल पर्व का मूल कृषि है. सौर पंचांग के अनुसार यह त्यौहार तमिल माह की पहली तारीख यानि 14 या 15 जनवरी को आता है. जनवरी तक तमिलनाडु में गन्ना और धान की फसल पक कर तैयार हो जाती. प्रकृति की असीम कृपा से खेतों में लहलहाती फसलों को देखकर किसान खुश हो जाते हैं और प्रकृति का आभार प्रकट करने के लिए इंद्र, सूर्य देव और पशु धन यानि गाय व बैल की पूजा करते हैं. पोंगल उत्सव करीब 3 से 4 दिन तक चलता है. इस दौरान घरों की साफ-सफाई और लिपाई-पुताई शुरू हो जाती है. मान्यता है कि तमिल भाषी लोग पोंगल के अवसर पर बुरी आदतों को त्याग करते हैं. इस परंपरा को पोही कहा जाता है.

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