Pitru Paksha 2023: पूर्णिमा श्राद्ध के साथ पितृपक्ष शुरू, यमलोक से धरती पर पधारे पूर्वज, ऐसे तृप्त होंगे पितर

Pitru Paksha 2023: आज से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है. आज पूर्णिमा श्राद्ध है. पितृ दोष से मुक्ति के लिए इस पक्ष में श्राद्ध, तर्पण करना शुभ होता है. इसीलिए हमें पितृ पक्ष में विधि-विधान के साथ पिंडदान करना चाहिए. श्राद्ध अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा की अभिव्यक्ति है.

By Radheshyam Kushwaha | September 29, 2023 8:56 AM

Pitru Paksha 2023: आज से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है. आज पूरी श्रद्धा के साथ पूर्णिमा श्राद्ध किया जा रहा है. मान्यता है कि आज के दिन ही पितर यमलोक से धरती लोक पर पधारते है. अब पितर अमावस्या तिथि तक धरती पर रहेंगे. इसलिए पितृ पक्ष में पितर संबंधित कार्य करने से व्यक्ति का जीवन खुशियों से भर जाता है और उनके जीवन में कभी किसी भी प्रकार की समस्या नहीं बनी रहती है. इसके साथ ही पितृ दोष से निजात पाते है. इस पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और अपने संतान को जीवनभर खुशहाल रहने का आर्शीवाद देते हैं. पितृ दोष से मुक्ति के लिए इस पक्ष में श्राद्ध, तर्पण करना शुभ होता है. इसीलिए हमें पितृ पक्ष में विधि-विधान के साथ पिंडदान करना चाहिए. शास्त्रों में भी पिंडदान और तर्पण का अपना एक अलग महत्व बताया गया है.


पूर्णिमा श्राद्ध प्रारंभ

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से प्रारम्भ होकर श्राद्ध पक्ष आश्विन मास की अमावस्या तक होता है. पूर्णिमा का श्राद्ध उनका होता है, जिनकी मृत्यु वर्ष की किसी पूर्णिमा के दिन हुई हो. वैसे, ज्ञात, अज्ञात सभी का श्राद्ध आश्विन मास की अमावस्या को किया जाता है. पितृ पक्ष में पिंडदान करने से पितर की आत्मा को शांति मिलती हैं.

श्राद्ध में ‘जल और तिल ही क्यों अर्पित किया जाता है?

पितृ पक्ष में जल और तिल (देवान्न) द्वारा तर्पण किया जाता है, जो जन्म से लय (मोक्ष) तक साथ दे, वही जल है. तिलों को देवान्न कहा गया है. इससे ही पितरों को तृप्ति होती है. पितृ पक्ष के दौरान काले तिल और जल का विशेष महत्व होता है. इसका उपयोग श्राद्ध कर्म आदि में भी किया जाता है. ऐसे में पितृ पक्ष के दौरान घर में काले तिल लाना बेहद ही शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान काले तिल घर लाने से पितरों की नाराजगी दूर होती है.

Also Read: Pitru Paksha 2023 Live: पूर्णिमा श्राद्ध आज, जानें पिंडदान-तर्पण विधि और नियम
तीन पीढ़ियों तक का ही श्राद्ध

श्राद्ध केवल तीन पीढ़ियों तक का ही होता है. धर्मशास्त्रों के मुताबिक सूर्य के कन्या राशि में आने पर परलोक से पितृ अपने स्वजनों के पास आ जाते हैं. देवतुल्य स्थिति में तीन पीढ़ी के पूर्वज गिने जाते हैं. पिता को वसु के समान, रुद्र दादा के समान और परदादा आदित्य के समान माने गए हैं. इसके पीछे एक कारण यह भी है कि मनुष्य की स्मरण शक्ति केवल तीन पीढ़ियों तक ही सीमित रहती है.

कौन कर सकता है तर्पण

  • पुत्र, पौत्र, भतीजा, भांजा कोई भी श्राद्ध कर सकता है. जिनके घर में कोई पुरुष सदस्य नहीं है, लेकिन पुत्री के कुल में हैं तो धेवता और दामाद भी श्राद्ध कर सकते हैं.

  • कौआ, कुत्ता और गाय को यम का प्रतीक माना गया है. गाय को चैतरिणी पार करने वाली कहा गया है. कौआ भविष्यवक्ता और कुत्ते की अनिष्ट का संकेतक कहा गया है. इसलिए, श्राद्ध में इनको भी भोजन दिया जाता है. चूंकि हमको पता नहीं होता कि मृत्यु के बाद हमारे पितृ किस योनि में गए, इसलिए प्रतीकात्मक रूप से गाय, कुत्ते और कौआ को भोजन कराया जाता है.

  • पितृ अमावस्या जिनकी मृत्यु तिथि याद नहीं रहती या किन्ही कारण से हम श्राद्ध नहीं कर पाते, ऐसे ज्ञात-अज्ञात सभी लोगों का श्राद्ध पितृ अमावस्या को किया जा सकता है. इस दिन श्राद्ध कर्म अवश्य करना चाहिए. इसके बाद ही पितृ हमसे विदा लेते हैं.

कैसे करें श्राद्ध

  • पहले यम के प्रतीक कौआ, कुत्ते और गाय का अंश निकालें (इसमें भोजन की समस्त सामग्री में से कुछ अंश डालें)

  • फिर किसी पात्र में दूध, जल, तिल और पुष्प लें. कुश और काले तिलों के साथ तीन बार तर्पण करें. ऊं पितृदेवताभ्यो नमः पढ़ते रहें. वस्त्रादि जो भी आप चाहें पितरों के निमित निकाल कर दान करें.

Also Read: Pitru Paksha 2023 Video: पितृ पक्ष में ऐसे करें पितरों का तर्पण, इस दौरान भूलकर भी न करें ये काम
सूक्ष्म विधि

दूरदराज में रहने वाले, सामग्री उपलब्ध नहीं होने, तर्पण की व्यवस्था नहीं हो पाने पर एक सरल उपाय के माध्यम से पितरों को तृप्त किया जा सकता है. दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके खड़े हो जाइए. अपने दाएं हाथ के अंगूठे को पृथ्वी की ओर करिए. 11 बार पढ़ें. ऊं तस्मै स्वधा नमः । यह पितरों के प्रति आपकी भावांजलि होगी.

श्राद्ध के दिन

पितृ पक्ष का प्रारंभ 29 सितंबर से हो रहा है. अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा की अभिव्यक्ति है श्राद्ध इसको महालय भी कहा जाता है. पितृ पक्ष का आरम्भ भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से ही हो जाता है. इस बार पितृ पक्ष या महालय 29 सितंबर से शुरू होकर 14 अक्तूबर तक रहेंगे.

Also Read: Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष में जरूर करना चाहिए इन चीजों का दान, पारिवारिक कलह से मिलेगी मुक्ति
इस बार यह विशेष

इस बार श्राद्ध की कुछ तिथियों में समय भेद होने के कारण सभी 16 श्राद्ध एक क्रम में नहीं है. चतुर्थी का क्षय हो रहा है और एकादशी दो दिन पड़ रही है. प्रतिपदा और द्वितीया का श्राद्ध एक ही दिन है.

Next Article

Exit mobile version