Holi 2021 : जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर सरायकेला में निकलेगी राधा-कृष्ण की दोल यात्रा, भक्तों संग खेलेंगे रंग-गुलाल, देखें Pics

Holi 2021, Jharkhand News (सरायकेला) : दोल यात्रा पर सरायकेला में भगवान श्रीकृष्ण अपने प्रियसी राधारानी के साथ नगर भ्रमण करेंगी. इस दौरान शहर के हर घर में दस्तक देकर भक्तों के साथ रंग-गुलाल खेलेंगे. इसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है. दोल यात्रा के दौरान कृष्ण-हनुमान मिलन और हरि-हर मिलन भी होता है. इसे भी इस धार्मिक अनुष्ठान का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 28, 2021 12:23 PM

Holi 2021, Jharkhand News (सरायकेला), रिपोर्ट- शचिंद्र कुमार दाश : इस साल भी सांस्कृतिक नगरी सरायकेला की होली अन्य शहरों से कई मायनों में अलग होगी. सरायकेला की होलिका दहन के दिन वर्षों से चली आ रही उत्कल की प्राचिन एवं समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा की झलक दिखाई देगी. यहां जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर राधा-कृष्ण की दोल यात्रा निकाली जायेगी. 28 मार्च, 2021 को दोल पूर्णिमा के दिन दोपहर 4.15 बजे के बाद यहां राधा-कृष्ण के पवित्र दोल यात्रा का आयोजन होगा.

दोल यात्रा पर सरायकेला में भगवान श्रीकृष्ण अपने प्रियसी राधारानी के साथ नगर भ्रमण करेंगी. इस दौरान शहर के हर घर में दस्तक देकर भक्तों के साथ रंग-गुलाल खेलेंगे. इसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है. दोल यात्रा के दौरान कृष्ण-हनुमान मिलन और हरि-हर मिलन भी होता है. इसे भी इस धार्मिक अनुष्ठान का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है.

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मृत्युंजय खास मंदिर से होगी दोल यात्रा की शुरुआत

दोल पूर्णिमा (होली) के मौके पर भगवान श्रीकृष्ण एवं राधा रानी की दोल यात्रा की शुरुआत कंसारी टोला स्थित मृत्युंजय खास श्रीराधा कृष्ण मंदिर से शुरू होगी. 200 सौ साल पुरानी इस मंदिर में विधिपूर्वक राधा-कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना होगी. इस दौरान राधा-कृष्ण की कांस्य प्रतिमाओं का भव्य शृंगार किया जायेगा. इसके बाद विशेष विमान (पालकी) पर राधा-कृष्ण होंगे. यहां उन्हें मलाई भोग लगाया जायेगा. फिर कान्हां राधा रानी भगवान कृष्ण के साथ पालकी पर सवार होकर भक्तों के साथ होली खेलने के लिए नगर भ्रमण पर निकलेंगे. नगर भ्रमण के दौरान राधा रानी के साथ कान्हा हर घर में दस्तक देंगे और नगरवासियों के साथ गुलाल की होली खेलेंगे.

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शंखध्वनि व उलुध्वनि से होगा राधा-कृष्ण का स्वागत

दोल पूर्णिमा पर राधा-कृष्ण के नगर भ्रमण के दौरान भक्त पारंपरिक वाद्य यंत्र मृदंग, झंजाल, गिनी आदी के साथ दोल यात्रा में शामिल होते हैं. इस दौरान हर घर में शंखध्वनि और उलुध्वनि के साथ भगवान श्रीकृष्ण का स्वागत किया जाता है. हर घर में दीपक जला कर आरती उतारते हैं. इस दौरान महिलाएं मनन्त मांगने के साथ- साथ मन्नत पूरी होने पर चढ़ावा भी चढ़ाती हैं. राधा-कृष्ण के स्वागत के लिए श्रद्धालु अपने घर के सामने गोबर लेपने के साथ-साथ रंग-बिरंगी अल्पना भी बनाते हैं.

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दोल यात्रा में घोडा नाच व ढाक बाजा होगा मुख्य आकर्षण

इस वर्ष दोल यात्रा के दौरान ढाक बाजा और पारंपरिक घोडा नाच आकर्षण का मुख्य केंद्र होगा. भगवान राधा-कृष्ण के विमान के आगे कलाकार घोड़ा नाच प्रस्तुत कर उत्कल की समृद्ध परंपरा को प्रदर्शित करेंगे.

पहले 7 दिनों का होता था दोल पूर्णिमा

सरायकेला में दोल यात्रा का आयोजन आध्यात्मिक उत्थान श्री जगन्नाथ मंडली के द्वारा किया जाता है. आयोजन समिति के प्रमुख ज्योतिलाल साहू ने बताया कि आध्यात्मिक उत्थान श्री जगन्नाथ मंडली वर्ष 1990 से उक्त आयोजन करती आ रही है. वर्तमान में दोल यात्रा का आयोजन एक ही दिन दोल पूर्णिमा पर होता है. राज-राजवाड़े के समय में इसका आयोजन फागू दशमी से दोल पूर्णिमा तक होता था. वर्तमान पूरा आयोजन स्थानीय लोगों के सहयोग से होता है.

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दोले तु दोल गोविंदम, चापे तु मधुसुदनम, रथे तु मामन दृष्टा, पुर्नजन्म न विद्यते…क्षेत्र में प्रचलित इस श्लोक के अनुसार दोल (झुला या पालकी), रथ व नौका में प्रभु के दर्शन के मनुष्य को जन्म चक्र से मुक्ति मिलती है. इस कारण दोल यात्रा के दौरान प्रभु के दर्शन को दुर्लभ माना जाता है. दोल यात्रा एकमात्र ऐसा धार्मिक अनुष्ठान है, जब प्रभु अपने भक्त के साथ गुलाल खेलने के लिए उसके चौखट में पहुंचते हैं. इस क्षण का क्षेत्र के हर व्यक्ति को इंतजार रहता है. दोल यात्रा जगत के पालनहार कोटी ब्रम्हांडपति श्रीकृष्ण के द्वादश यात्राओं में से एक महत्वपूर्ण यात्रा है.

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राधा-कृष्ण के दर्शन से होती है मोक्ष की प्राप्ति : ज्योतिलाल साहू

आध्यात्मिक उत्थान श्री जगन्नाथ मंडली, सरायकेला के संस्थापक ज्योतिलाल साहू के अनुसार, आध्यात्मिक उत्थान श्री जगन्नाथ मंडली के द्वारा हर वर्ष दोल यात्रा का आयोजन किया जाता है. प्रभु राधा-कृष्ण विशेष विमान पर सवार होकर घर-घर दस्तक देते हैं. दोल यात्रा एक धार्मिक कार्यक्रम है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, दोल यात्रा के दौरान प्रभु राधा-कृष्ण के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस वर्ष का दोल यात्रा कार्यक्रम ऐतिहासिक होगा. पारंपरिक घोड़ा नाच आकर्षण का केंद्र होगा.

Posted By : Samir Ranjan.

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