नक्सलियों के गढ़ में बड़े पैमाने पर लहलहा रहीं अफीम की फसलें,नशे के कारोबार पर नकेल क्यों नहीं कस पा रही पुलिस

Jharkhand News: पिछले एक दशक से बड़े पैमाने पर अफीम की खेती कर नशे का कारोबार चल रहा है. कार्रवाई की खानापूर्ति तो होती है, लेकिन अंकुश लगाने में पुलिस विफल रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 9, 2021 4:52 PM

Jharkhand News: झारखंड के हजारीबाग व चतरा एवं बिहार के गया जिले के बाराचट्टी की सीमावर्ती दैहर/ चोरदाहा पंचायत उग्रवाद प्रभावित इलाका है. नक्सलियों के गढ़ में इन दिनों बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की जा रही है. विभिन्न गांवों के जंगली क्षेत्रों में सौ एकड़ से अधिक भूमि पर अफीम की खेती की जा रही है. इस क्षेत्र में पिछले एक दशक से बड़े पैमाने पर अफीम की खेती कर नशे का कारोबार चल रहा है. वैसे मादक पदार्थों के विरुद्ध पुलिसिया कार्रवाई तो होती रही है, लेकिन नशे के कारोबार पर अंकुश लगाने में पुलिस विफल रही है.

गरीबी, बढ़ती बेरोजगारी एवं नशे के कारोबार में शॉर्टकट तरीके से अच्छे पैसे के लालच में ग्रामीण जंगली क्षेत्रों में अफीम की खेती कर रहे हैं. पिछले दिनों चतरा डीएसपी केदार राम ने इटखोरी पुलिस के साथ इटखोरी-चौपारण के सीमावर्ती जंगल क्षेत्रों में अभियान चलाया था. इस दौरान चौपारण क्षेत्र में सौ एकड़ से अधिक भूमि पर अफीम की खेती मिली थी. अभियान में चतरा डीएसपी, इटखोरी सीओ एवं वन विभाग के कर्मियों द्वारा निरीक्षण के बाद यह मामला उजागर हुआ था. निरीक्षण में यह भी बात सामने आयी थी कि पोस्ते की खेती एवं डोडा-अफीम जैसे मादक पदार्थों के धंधे में प्रतिबंधित नक्सली संगठन व तस्करों का गठजोड़ है.

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जब पुलिस जंगल में पोस्ते की खेती का निरीक्षण कर रही थी. तो पोस्ते के खेत में काम कर रहे लोगों ने डुगडुगी जैसा कोई यंत्र बजा दिया था. विशेष ध्वनि मिलने पर आसपास के गांव के लोग वहां जमा हो गए थे तथा सरकारी अधिकारियों का विरोध करना शुरू कर दिया था. जिसके कारण पुलिस को बैरंग लौटना पड़ा था.

हजारीबाग जिले के चौपारण प्रखंड के सीमावर्ती दैहर एवं चोरदाहा के जंगल-पठार के बीच ग्राम ढोढिया, दुरागड़ा, मोरनियां, जमुनियातरी, मूर्तिया, सिलोदर, अहरी, नावाडीह, दनुआ सहित दर्जनभर जंगली क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की जा रही है. धीरे-धीरे इस कार्य का दायरा बढ़ता ही चला जा रहा है. पुलिस इन तस्करों पर नकेल कसने में सक्षम नहीं दिख रही है.

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अफीम तस्करों एवं अफीम की खेती करने वालों के खिलाफ पुलिस व वन विभाग द्वारा कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति होती रही है. जिसके कारण तस्करों का मनोबल बढ़ता जा रहा है. हजारीबाग जिले का खुफिया विभाग भी इस दिशा में फेल साबित हो रहा है. झारखंड-बिहार के सीमावर्ती क्षेत्र के गौतम बुद्ध वन्य प्राणी क्षेत्र में भी बड़े हिस्सों में अफीम की खेती हो रही है.

रिपोर्ट : अजय ठाकुर

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