Arattai से पहले WhatsApp को टक्कर देने आये थे ये देसी ऐप्स, फीचर्स पर टेकने पड़े घुटने
Desi Apps vs WhatsApp: भारत का देसी मैसेंजर ऐप Arattai काफी चर्चे में है. इस ऐप का सीधा टक्कर WhatsApp से देखने को मिल रहा है. क्योंकि, इस देसी ऐप में ऐसे कई फीचर्स हैं जो व्हाट्सऐप में नहीं मिलते. लेकिन क्या आपको पता ही कि Arattai से पहले व्हाट्सऐप को टक्कर देने के लिए कई मैसेंजर ऐप्स आए. लेकिन ज्यादा दिन मार्केट में टीक नहीं पाए. जानिए यहां उन ऐप्स के बारे में डिटेल्स में.
Desi Apps vs WhatsApp: WhatsApp के यूजर्स दुनियाभर में हैं. भारत में ही इस ऐप का इस्तेमाल करोड़ों लोग करते हैं. क्योंकि, WhatsApp न सिर्फ यूजर्स को अपनों से जोड़ता है बल्कि उनकी प्राइवेसी का भी ख्याल करता है. WhatsApp का दबदबा इतना है कि Arattai से पहले कई देसी ऐप्स लॉन्च हुए और कई ने WhatsApp को टक्कर देने की कोशिश की. लेकिन कुछ न कुछ कमी को लेकर वे WhatsApp के सामने ज्यादा दिन टीक नहीं पाए. भारत में भी कई ऐसे देसी (Made-in-India) ऐप्स या यूं कह लें कि अपनों को जोड़ने वाले मैसेंजर ऐप्स आए. हालांकि, वे ज्यादा लंबे समय तक यूजर्स के दिलों पर छा नहीं पाए. आज हम उन्हीं ऐप्स के बारे में जानेंगे जो Arattai से पहले WhatsApp को टक्कर देने के लिए आए और कहीं खो गए.
Arattai से पहले कौन-कौन से भारतीय मैसेजिंग ऐप्स आए?
Hike Messenger
Hike भारत का मैसेंजर ऐप है. 2012 से लेकर 2019 तक ये काफी चर्चे में रहा. Hike Messenger को 12 दिसंबर 2012 में कविन भारती मित्तल ने लॉन्च किया था. Hike ऐप में ऐसे कई यूनिक फीचर्स थे. जैसे स्टिकर्स, हिडन चैट, ऑफलाइन मैसेजिंग, थीम्स, ग्रुप चैट में 1000 मेंबर्स तक की कैपेसिटी और लोकल लैंग्वेज सपोर्ट था. लॉन्च होने के बाद भारत में Hike एक फेमस ऐप था. वहीं, साल 2016 तक यह ऐप भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैसेजिंग ऐप बन गया था, जिसके 10 करोड़ से ज्यादा यूजर्स थे. लेकिन बाद में WhatsApp और Facebook Messenger जैसे ग्लोबल प्लेटफॉर्म्स से मुकाबला बढ़ता गया और Hike के लिए यूजर्स को रोकना मुश्किल होता गया. अपने यूजर्स को रोकने के लिए यहां तक कि Hike ने नए-नए फीचर्स भी लाए. लेकिन स्लो इनोवेशन और टफ कॉम्पिटीशन के कारण हाइक ऐप पीछे रह गया. जिसके बाद जनवरी 2021 में ऑफिशियली तौर पर Hike ऐप बंद हो गया.
Kimbho
पतंजलि आयुर्वेद ने साल 2018 में WhatsApp को टक्कर देने के लिए देसी व्हाट्सऐप Kimbho लॉन्च किया. इस ऐप का स्लोगन कंपनी ने “अब भारत बोलेगा” रखा था. इसमें WhatsApp की तरह टेक्स्ट मैसेज, वीडियो/वॉइस कॉलिंग, स्टिकर्स, ग्रुप चैट और मीडिया शेयरिंग जैसे फीचर्स दिए गए थे. वहीं, लॉन्च होते ही Google Play Store पर इस ऐप को 1 अरब से ज्यादा डाउनलोड किया गया. हालांकि, सिक्योरिटी कमियों, डेटा प्रोटेक्शन और खराब यूजर इंटरफेस के कारण इस ऐप को हटाना पड़ा. लेकिन बाद में पतंजलि ने ऐलान किया था कि यह ऐप सिर्फ “ट्रायल वर्जन” था और जल्दी ही इसका फाइनल वर्जन लॉन्च किया जाएगा, जो कभी नहीं आया.
Sandes
WhatsApp को टक्कर देने के लिए साल 2020 में Sandes (संदेश) ऐप लॉन्च किया गया. इस ऐप को भारत सरकार की संस्था राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) ने लॉन्च किया था. इस ऐप में भी व्हाट्सऐप की तरह टेक्स्ट मैसेज, वॉइस/वीडियो कॉल, डॉक्यूमेंट शेयरिंग और इमेज-वीडियो भेजने की सुविधा थी. यहां तक की ऐप में एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का दावा भी किया गया था. लेकिन व्हाट्सऐप और टेलीग्राम की तरह एडवांस फीचर्स न होने के कारण यह ऐप उतना नहीं चला. साथ ही इस ऐप को पहले सरकारी ऐप समझा गया था, जिस वजह से भी यह उतना यूजर्स के बीच पॉप्युलर नहीं हो पाया.
JioChat
WhatsApp को टक्कर देने के लिए Reliance Jio ने भी अपना ऐप JioChat लॉन्च किया था. Reliance Jio Infocomm Ltd. ने साल 2015 में इस ऐप को लॉन्च किया था. इस ऐप में भी व्हाट्सऐप की तरह टेक्स्ट मैसेज, वॉइस/वीडियो कॉल, डॉक्यूमेंट, इमेज और वीडियो शेयरिंग, ग्रुप चैट और स्टिकर्स भेजने जैसे फीचर्स दिए गए थे. लेकिन WhatsApp की पॉपुलैरिटी के आगे जियो का ये देसी मैसेजिंग ऐप भी नहीं टीका.
WhatsApp के आगे क्यों नहीं टीक पाए ये ऐप्स?
सिक्योरिटी और प्राइवेसी: सबसे बड़ा कारण प्राइवेसी और सिक्योरिटी है. WhatsApp अपने यूजर्स को एंड-टू-एंड-एन्क्रिप्शन, पासवर्ड/OTP सिक्योरिटी जैसे फीचर्स ऑफर करता है. लेकिन Kimbho जैसे देसी ऐप्स में प्राइवेसी और सिक्योरिटी जैसे फीचर्स की कमी थी. जिस वजह से यूजर्स इन ऐप्स पर भरोसा नहीं कर पाए और ये ऐप्स व्हाट्सऐप से पिछड़ गए.
फीचर्स अपडेट: WhatsApp में मिलने वाले फीचर्स भी इन्हीं कारणों में से एक है. व्हाट्सऐप अपने यूजर्स को कई सारे फीचर्स ऑफर करता है. यहां तक कि इस ऐप का यूजर इंटरफेस भी स्मूद है. जबकि देसी ऐप्स में फीचर्स व्हाट्सऐप की तरह होते थे या फिर नए अपडेट्स बहुत देर से आते थे.
नेटवर्क-इफेक्ट: मैसेजिंग ऐप्स में सबसे जरूरी चीज होती है कि आपके सारे दोस्त-परिवार या कॉन्टैक्ट्स किस ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं. उसी हिसाब से ही आपको भी उनसे कनेक्ट रहने के लिए ऐप का इस्तेमाल करना पड़ेगा. ऐसे में अगर आपके सारे दोस्त-परिवार व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करेंगे तो आप भी व्हाट्सऐप का ही इस्तेमाल करेंगे. भले ही दूसरा ऐप ज्यादा बेहतर और फीचर्स ऑफर कर रहा हो.
टफ कॉमपीटीशन: सिर्फ WhatsApp ही नहीं बल्कि Telegram, Signal, Messenger जैसे ग्लोबल ऐप्स भी आ गए और इनके यूजर बेस भी अच्छे-खासे थे. ऐसे में देसी ऐप्स के सामने सिर्फ व्हाट्सऐप नहीं बल्कि और भी इंटरनेशनल ऐप्स खड़े हो गए.
देसी चैट ऐप्स में सबसे ज़्यादा पॉपुलर कौन-सा रहा?
अब तक का सबसे ज़्यादा पॉपुलर देसी मैसेंजर ऐप Hike Messenger रहा है. Hike अपने स्टिकर्स और थीम्स की वजह से यूथ के बीच पॉपुलर था. हालांकि, एक समय के बाद इसके फीचर्स और यूजर बेस दोनों में गिरावट आ गई.
Hike, Kimbho और Sandes जैसे ऐप्स क्यों फेल हो गए?
इन देसी ऐप्स में सिक्योरिटी-प्राइवेसी की कमी थी. साथ ही फीचर अपडेट्स भी बहुत लेट से मिलते थे, जिस वजह से ये यूजर्स के बीच उतना पॉपुलर नहीं हो पाए.
क्या Arattai WhatsApp को रिप्लेस कर सकता है?
Arattai ऐप में कई सारे ऐसे फीचर्स दिए गए हैं, जो WhatsApp में भी नहीं है. लेकिन WhatsApp की पहुंच और भरोसे से मुकाबला करना आसान नहीं. हालांकि, लोकल लैंग्वेज सपोर्ट और देसी यूजर एक्सपीरियंस इसे धीरे-धीरे मजबूत बना सकते हैं.
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