World Wide Web हुआ 30 साल का, पर इसे बनानेवाले Tim Burners Lee ने कह दी ऐसी बात

नयी दिल्ली : सर्च इंजन गूगल (Google) ने डूडल बनाकर वर्ल्ड वाइड वेब (www) के 30 साल पूरे होने पर विश किया है. आज www अपनी 30वीं सालगिरह मना रहा है और इस मौके पर गूगल ने डूडल (Google Doodle Today) भी तैयार किया है. इसमें कंप्‍यूटर के भीतर धरती को घूमते हुए दिखाया गया […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 12, 2019 4:00 PM

नयी दिल्ली : सर्च इंजन गूगल (Google) ने डूडल बनाकर वर्ल्ड वाइड वेब (www) के 30 साल पूरे होने पर विश किया है. आज www अपनी 30वीं सालगिरह मना रहा है और इस मौके पर गूगल ने डूडल (Google Doodle Today) भी तैयार किया है. इसमें कंप्‍यूटर के भीतर धरती को घूमते हुए दिखाया गया है जो एक स्विच से जुड़ी है.

आज से 30 साल पहले 12 मार्च 1989 को ब्रिटेन के भौतिक विज्ञानी टिम बर्नर्स ली ने www की खोज की थी, जिससे आज दुनियाभर में इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा रहा है. बताते चलें कि www एक एप्लिकेशन है जिसे html, url और http से बनाया गया है.

सर टिम बर्नर्स ली ने वेब को इन्वेंट किया और पहला वेब क्लाइंट सर्वर और सर्वर तैयार किया. टिम ने ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हैं. सर टिम 1989 में यूरोप की मशहूर संस्‍था CERN में काम करते थे और यहीं उन्होंने वर्ल्‍ड वाइड वेब का निर्माण किया.

इसके बाद 1991 में पहले वेब ब्राउजर worldwideweb.app को रिलीज किया गया था. यह अाविष्कार कितना महत्वपूर्ण था, इसका अंदाजा आज इंटरनेट के बढ़ चुके विस्तार को देखकर लगाया जा सकता है.

12 मार्च 1989 को सर टिम बर्नर्स ली ने www को इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट के नाम से सबमिट किया था, इसी को www की शुरुआत माना जाता है. बता दें कि टिम ने ही पहली वेबसाइट भी डिजाइन की थी. 20 दिसंबर 1990 को NeXT कंप्यूटर पर इन्होंने दुनिया की पहली वेबसाइट लाइव की थी. हालांकि इसे अगस्त 1991 में आम लोगों के लिए लाइव किया गया.

इंटरनेट (Internet) के 30 साल के होने के मौके पर सर टिम ने एक ओपन लेटर जारी किया है. इसमें उन्हंने बताया है कि कैसे इंटरनेट ने दुनिया बदली है और वेब को मनवता के लिए बेहतर बनाने के लिए क्या करना होगा.

सर टिम बर्नर्स ली के मुताबिक, ये चीजें आज वेब को प्रभावित कर रही हैं-
1. स्टेट स्पॉन्सर्ड हैकिंग और अटैक्स, क्रिमिनल बिहेवियर और ऑमलाइन हैरेसमेंट
2. ऐसे सिस्टम डिजाइन जो यूजर्स की वैल्यू की कद्र नहीं करता. उदाहरण के तौर पर विज्ञापन बेस्ड रेवेन्यू मॉडल जो क्लिकबेट पर काम करता है और गलत जानकारियां फैलाता है.

सर टिम बर्नर्स ली के लिखे इस ओपन लेटर से बातें निकल कर आती हैं कि इंटरनेट के लिए और मानवता के लिए विज्ञापन आधारित मॉडल सही नहीं हैं. मालूम हो कि फेसबुक और गूगल एक तरह से विज्ञापन आधारित मॉडल पर काम करते हैं. सीधे तौर पर टिम बर्नर्स ली ने किसी खास कंपनी को निशाना नहीं बनाया है, लेकिन उन्हें उनका इशारा साफ है.

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