अमेजन से शोध कर लौटे रायगंज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर

बताया, वहां के जंगल आज भी हैं समृद्ध व स्वस्थ्य लोगों को जागरूक करने व स्थानीय गरीबी दूर करने की दी सलाह रायगंज : पूरा विश्व इनदिनों अमेजन के जंगलों में लगी भयावह आग के बाद की स्थिति के बारे में जानने के लिए व्याकुल है. ऐसे में रायगंज विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के सहकारी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 13, 2019 2:46 AM

बताया, वहां के जंगल आज भी हैं समृद्ध व स्वस्थ्य

लोगों को जागरूक करने व स्थानीय गरीबी दूर करने की दी सलाह
रायगंज : पूरा विश्व इनदिनों अमेजन के जंगलों में लगी भयावह आग के बाद की स्थिति के बारे में जानने के लिए व्याकुल है. ऐसे में रायगंज विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के सहकारी प्रोफेसर डॉ. तापस पाल पश्चिम अमेजन से 100 किलोमीटर गहरे जंगल कुनिया झील में शोध के लिए पहुंच गये.
उनके साथ यूनिवर्सिटी ऑफ रणडोनिया के प्रोफेसर फ्लावियो डी साव पेड्रो, डॉ. इजावेल, रणडोनिया मिलिटरी पुलिस व दो स्पीड बोट थे. पर्यावरणविद प्रोफेसर तापस पाल अमेजन की वर्तमान स्थिति को विश्व के सामने पेश करने के उद्देश्य से वहां गये.
रणडोनिया सरकार की अनुमति लेकर पोर्टोवेलो शहर से रणडोनिया पर्यावरण मिलिटरी के सात अमेजन रेन फॉरेस्ट के भीतर जमीरा नदी, मदीरा नदी होते हुए घने जंगल में पहुंचे डॉ. तापस पाल. उन्होंने बताया की आज भी अमेजन के जंगलों में उतनी ही भयावहता कायम है. वहां की नदियों में मगरमच्छों, शाम ढलते ही एनाकोंडा, जगुआर सहित भयावह जंगली जानवरों व पक्षियों का कलरव वैसी ही है. उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटि ऑफ रणडोनया के प्रोफेसरो व उनके दस दिन के प्रत्यक्ष सर्वे के बाद पता चला कि अमेजन जंगल में आग को लेकर मीडिया में कुछ ज्यादा ही दिखाया गया है.
नुकसान तो कुछ हद तक हुआ ही है. लेकिन अमेजन आज भी अपने जैव विविधता से भरा पड़ा व स्वस्थ्य है. उन्होंने 100 किलोमीटर में सर्वे किया है उसमें कहीं आग के निशान नहीं मिले. उन्होंने बताया कि ब्राजील व आसपास की शहरों में प्लास्टिक का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. इससे जंगल को नुकसान पहुंच रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि अमेजन की सबसे लंबी उपनदी मादीरा में अवैध तरीके से सोना खनन चल रहा है. उनके सर्वे के दौरान नदी में कई अवैध बोट व यंत्रांश मिले.
उनकी इस यात्रा का व्यय ब्राजील के फिमका, जाइटेक, रणडोनिया यूनिवर्सिटि व रुरल फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ रणडोनिया ने वहन किया है. उन्होंने कहा कि अमेजन की संपदा इंसान के इस्तेमाल करने के लिए नहीं है. अमेजन को बचाने के लिए इंसान को उससे दूर हीं रहना चाहिए. उन्होंने यह संदेश रणडोनिया विश्वविद्यालय में भी दिया है.
साथ ही विश्वविद्यालय से उन्होंने अमेजन में शोध के लिए आजीवन की छूट प्रमाणपत्र लेकर आये हैं. उन्होंने बताया कि अमेजन में बोटो मछली के अतिरिक्त शिकार के कारण मछली विलुप्त हो रही है. लोगों को जागरुक करने व स्थानीय दरिद्रता को दूर करने के लिए पोर्टेवेलो के स्थानीय सरकार को कुछ सलाह भी दी है.

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