दीपाली के पैरों में आयी जान, चलने लगी

इलाज के बाद उदास परिवार में आयीं खुशियां सिलीगुड़ी : माटीगाड़ा पाथर कॉलोनी की रहनेवाली 14 वर्षीया दीपाली बर्मन एक बार फिर से अपने पैरों पर चलने-फिरने लगी है. कुछ दिनों पहले एक बीमारी की वजह से उसका चलना-फिरना बंद हो गया था. उसकी पढ़ाई भी बीच में ही छूट गयी थी, लेकिन कुछ समाजसेवियों […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 9, 2017 5:34 AM

इलाज के बाद उदास परिवार में आयीं खुशियां

सिलीगुड़ी : माटीगाड़ा पाथर कॉलोनी की रहनेवाली 14 वर्षीया दीपाली बर्मन एक बार फिर से अपने पैरों पर चलने-फिरने लगी है. कुछ दिनों पहले एक बीमारी की वजह से उसका चलना-फिरना बंद हो गया था. उसकी पढ़ाई भी बीच में ही छूट गयी थी, लेकिन कुछ समाजसेवियों तथा स्थानीय पंचायत के सहयोग से वह दोबारा अपने पैरों पर खड़ी होने लगी है.
जब उसकी हालत खराब थी, उस समय समाजसेवी मदन भट्टाचार्य की अगुवाई में कई समाजसेवी आगे आये और उसकी इलाज कराने में मदद की. अब वह पूरी तरह स्वस्थ है. वह दोबारा अपनी पढ़ाई शुरू करने की योजना बना रही रही है. इस नेक काम में ग्राम पंचायत प्रधान ने भी आर्थिक सहयोग किया.
पाथरघाटा अंचल की पाथर कालोनी की दसवीं कक्षा की छात्रा दीपाली बर्मन लगभग चार महीने पहले एकदिन अचानक स्कूल में गिर गई थी. उसके दोस्तों ने उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया. इलाज के बाद वह थोड़ी स्वस्थ भी हो गई.
लेकिन कुछ दिनों बाद दीपाली का धीरे-धीरे चलना फिरना बंद हो गया. उसके दोनों पैर सुन्न पड़ने लगे. पहले उत्तरबंग मेडिकल कॉलेज व बाद में एक निजी नर्सिंग होम के न्यूरोलॉजिस्टों ने उसे बंगलुरु ले जाकर इलाज करवाने की सलाह दी.
दीपाली के पिता पेशे से दिहाड़ी मजदूर हैं. दीपाली के दो भाई व तीन बहन को लेकर सात लोगों का परिवार है.उसके पिता अपने परिवार को मुश्किल से चला पाते हैं. ऐसे में बंगलुरु ले जाकर बेटी का इलाज करवाना उनके लिए नामुमकिन था.
चार महीने पहले दीपाली के दोनों पैर सुन्न पड़ गये थे
स्कूल नहीं जा पाने से छूट गयी थी पढ़ाई
अब जल्दी ही जाने लगेगी स्कूल
गरीब परिवार के लिए इलाज कराना था मुश्किल
बेंगालुरू जाने के टिकट से लेकर रहने व इलाज का किया गया इंतजाम
समाजसेवियों की मदद से शुरू की नयी जिंदगी
समस्या का पता चलते ही सिलीगुड़ी के कुछ समाजसेवी उसके परिवारवालों से मिले. उन्होंने उसके इलाज की पूरी व्यवस्था की. दीपाली की मां कामिनी बर्मन खुशी से रो पड़ी. उसने बताया कि वह कभी नहीं सोचा था कि उसकी बेटी दोबारा चल पायेगी, लेकिन मदन भट्टाचार्य की मदद से आज उसकी बेटी अपने पैरों पर चल सकती है. दीपाली के पिता सुरेश बर्मन ने बताया कि उनकी बेटी ने नई जंदगी शुरू की है. पिछले 8 नवंबर को वे बंगलुरू के लिए निकले. लगभग 25 दिनों के बाद 3 दिसंबर रविवार रात वे घर लौटे. इलाज के बाद दीपाली अब काफी स्वस्थ है. थोड़े दिनों के विश्राम के बाद वह पहले की तरह चल फिर सकेगी.
इस संबंध में मदन भट्टाचार्य ने बताया कि मीडिया से मामले की जानकारी मिलते ही वे दीपाली के परिवार वालों से मिले व उनकी मदद की. उन्होंने आगे बताया कि दीपाली की मदद कर पाने से उन्हें खुशी है. उन्होंने टेलीफोन पर वहां के डॉक्टरों से बातचीत की व इलाज के बारे में जानकारी ली.दीपाली के इलाज के लिए पाथरघाटा ग्राम पंचायत प्रधान प्रफुल्ल बर्मन ने भी आर्थिक मदद की है. उन्होंने कहा कि दीपाली को दोबारा चलता-फिरता देख बेहद खुशी हो रही है. अब वह पूरी तरह से स्वस्थ्य है.

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