विज्ञान, वाणिज्य और कला संकाय के 905 विद्यार्थियों पर सिर्फ एक शिक्षक
दुुर्गापुर का नेपाली पाड़ा हिंदी हाइस्कूल.
दुर्गापुर का मामला आसनसोल. 26000 शिक्षकों और गैर शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पश्चिम बर्दवान जिले में स्थित हिंदी माध्यम के स्कूलों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है. शीर्ष अदालत के आदेश पर जिले के कुल 454 शिक्षक व गैर शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति रद्द हो गयी है. इसमें 35 हिंदी माध्यम स्कूलों के 107 शिक्षक शामिल हैं. अदालत का आदेश आने के बाद से ये शिक्षक काम पर नहीं आ रहे हैं. पहले से ही शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हिंदी माध्यम स्कूलों पर यह आदेश गाज बनकर गिरा है. जिले के सबसे प्रतिष्ठित स्कूलों की सूची में शामिल नेपाली पाड़ा हिंदी हाइस्कूल दुर्गापुर में कक्षा 12 में वाणिज्य, विज्ञान और कला संकाय में पढ़ने वाले कुल 905 विद्यार्थियों पर सिर्फ एक शिक्षक बच गये हैं. वह भी विज्ञान संकाय के भौतिक विज्ञान विषय के शिक्षक हैं. स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ कलीमुल हक ने बताया कि कक्षा 11-12 के तीनों संकाय में कुल 15 विषय हैं और शिक्षक एक हैं. निचली कक्षा के शिक्षकों को लेकर किसी तरह काम चल रहा था. आठ शिक्षकों के निकल जाने से स्कूल की पूरी शिक्षा व्यवस्था चरमरा गयी है. अभी परीक्षा चल रही है. असली समस्या 16 अप्रैल से शुरू होगी, जब क्लास शुरू होगी. इस स्कूल के कक्षा पांच से 12 तक विद्यार्थियों की संख्या 4200 है. शिक्षकों की संख्या कुल 33 थी, जो घटकर 25 हो गयी है. कक्षा 11-12 में दो शिक्षक और नौ-दस के छह शिक्षक निकल जाने से स्थिति काफी भयावह हो गयी है. गौरतलब है कि पश्चिम बर्दवान जिला में पहले से ही हिंदी माध्यम स्कूल उपेक्षा के शिकार रहे हैं. शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार कक्षा छह-10 तक के लिए 40 विद्यार्थी पर एक शिक्षक और कक्षा 11-12 के लिए हर विषय का शिक्षक होना अनिवार्य है. यह नियम जिला के किसी भी स्कूल में लागू नहीं होता है. नेपाली पाड़ा हिंदी हाइस्कूल में कक्षा पांच से 10 तक कुल 3295 विद्यार्थियों पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद 23 शिक्षक बच गये हैं और कक्षा 11-12 के 15 विषयों के लिए सिर्फ एक शिक्षक हैं. यहां छात्र और शिक्षा की क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. प्रधानाचार्य डॉ हक ने कहा कि उनके स्कूल के लिए कुल 52 शिक्षकों की वैकेंसी बनी थी. जिसमें से 30 सेकेंडरी के लिए और तीन उच्च माध्यमिक के लिए ही शिक्षक मिले थे. अन्य शिक्षकों की नियुक्ति ही नहीं हुई. जरूरत करीब सौ शिक्षकों की है. सृजित पद के आधार पर ही शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अनेकों बार आवेदन करने के बाद भी कोई परिणाम नहीं मिला है. अब तो स्थिति और भी भयावह होगी.
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