Lockdown Impact : कोलकाता में ‘Sound of soil’ आर्केस्ट्रा बना रहे हैं पंडित तन्मय बोस

लॉकडाउन (Lockdown) में बंद घरों में कलाकारों की रचनात्मक और निखर कर सामने आ रही है. वे लंबे समय से अधूरी पड़ी ख्वाहिश व सपने को पूरा करने में जुट गये हैं. प्रसिद्ध तबला वादक पंडित तन्मय बोस (Tanmay Bose) लंबे समये ‘साउंड ऑफ सॉइल’ (Sound of Soil) आर्केस्ट्रा बनाना चाह रहे थे, जिसमें केवल प्रकृति (मिट्टी या लकड़ी) से बने भारतीय वाद्य यंत्र से अलग-अलग धुन, ताल व छंद को मिलाकर आर्केस्ट्रा बनाना था.

By Panchayatnama | April 26, 2020 4:13 PM

अजय विद्यार्थी

कोलकाता : कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की वजह से लॉकडाउन (Lockdown) ने लोगों को घर में बंद कर दिया है, लेकिन बंद घरों में कलाकारों की रचनात्मक और निखर कर सामने आ रही है. वे लंबे समय से अधूरी पड़ी ख्वाहिश व सपने को पूरा करने में जुट गये हैं. प्रसिद्ध तबला वादक पंडित तन्मय बोस (Tanmay Bose) लंबे समये ‘साउंड ऑफ सॉइल’ (Sound of Soil) आर्केस्ट्रा बनाना चाह रहे थे, जिसमें केवल प्रकृति (मिट्टी या लकड़ी) से बने भारतीय वाद्य यंत्र से अलग-अलग धुन, ताल व छंद को मिलाकर आर्केस्ट्रा बनाना था.

पंडित बोस बताते हैं कि बहुत दिनों से सोच रहा था इस परियोजना पर काम करने के लिए, लेकिन देश-विदेश में लगातार कार्यक्रम होने के कारण समय नहीं निकाल पा रहा था. अब जब लॉकडाउन (Lockdown) में मैं घर पर हूं, तो साउंड ऑफ सॉइल’ (Sound of Soil) पर काम करना शुरू किया हूं. मिट्टी व लड़की से बने जितने ताल वाद्य हैं जैसे तबला, पखावज, घटम, दोतारा सहित अन्य भारतीय वाद्य यंत्र से संगीत बना रहा हूं. ये सभी वाद्य अलग-अलग छंद में बजेंगे. इनकी अनुमात्रा अलग-अलग होगी.

Also Read: Corona warriors : बेंगलुरु में फंसे हजारों प्रवासी मजदूरों के लिए मददगार बने कर्नाटक आइजी सीमांत सिंह

पौराणिक ग्रंथों में विभिन्न देवी-देवताओं के वर्णना हैं. गणेश पर्ण, काली पर्ण, दुर्गा पर्ण व स्तोत्रम हैं. इन सभी के छंद अलग-अलग हैं. ब्रह्मा, विष्णु, महेश की वर्णना व स्तोत्रम अलग-अलग ताल में हैं. इन्हें समाहित कर रिद्म तैयार कर रहे हैं. यह श्रोताओं के लिए एक विलक्षण संगीत होगा. उन्होंने कहा कि यह लॉकडाउन हमारे लिए ‘बलेसिंग इन डिस्गाइज’(Balancing in disguise) जैसा है. घर में बंद हैं और रियाज कर रहे हैं. कंपोजिशन बना रहे हैं. बड़ों की रिकार्डिंग सुन रहे हैं और अपनी रिकार्डिंग कर रहे हैं. इतने समय तक पहली बार घर में रहने का मौका मिल रहा है.

पंडित रविशंकर की जयंती पर हमें इस समय विदेश में रहना था, लेकिन सभी कार्यक्रम रद्द हो गये हैं. मैं खुद किस्मत था, लॉकडाउन के दो दिन पहले ही जर्मनी से घर आ गया था. लगभग प्रत्येक दिन फेसबुक व जूम पर लाइव प्रोग्राम कर रहा हूं. खाना-पीना जम कर हो रहा है. इस वायरस से पूरा विश्व व्यथित है. सभी को इसे गंभीरता से लेना चाहिए. विश्व के धनी से धनी देश जैसे ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका, जापान, स्पेन व इटली में हजारों लोगों की मौत हुई है. उनकी मूलभूत व स्वास्थ्य सुविधा हमारे देश से अच्छी है. ऐसे में हमें और ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए.

Also Read:
विदेशों में बसे बंगाली डॉक्टरों ने ममता दीदी को लिखा पत्र, बंगाल में कोविड-19 की कम जांच व आंकड़े में फेरबदल पर जतायी चिंता

यदि किसी को एक संक्रमण होगा, तो घर के सारे लोगों को होगा. उन देशों के मुकाबले हम कुछ भी नहीं हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत ही सुंदर कहा है ‘जान है तो जहान है’. बहुत ही सुंदर लगा. हमें उसका पालन करना है. जो लोग पालन नहीं कर रहे हैं वे अपने साथ-साथ अपने पूरे परिवार, समाज और देश को संकट में खड़ा कर रहे हैं.

Next Article

Exit mobile version