1392.86 करोड़ की धोखाधड़ी में कोलकाता लिंक उजागर

बैंक धोखाधड़ी के एक बड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कड़ी कार्रवाई करते हुए मेसर्स एलाइड स्ट्रिप्स लिमिटेड (एएसएल) तथा उससे जुड़े निदेशकों, शेयरधारकों और कोलकाता स्थित एक एंट्री ऑपरेटर के खिलाफ अभियोजन शिकायत दाखिल किया है.

By AKHILESH KUMAR SINGH | December 19, 2025 1:28 AM

संवाददाता, कोलकाता

बैंक धोखाधड़ी के एक बड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कड़ी कार्रवाई करते हुए मेसर्स एलाइड स्ट्रिप्स लिमिटेड (एएसएल) तथा उससे जुड़े निदेशकों, शेयरधारकों और कोलकाता स्थित एक एंट्री ऑपरेटर के खिलाफ अभियोजन शिकायत दाखिल किया है. यह शिकायत गुरुग्राम स्थित विशेष पीएमएलए अदालत में दायर की गयी है. मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कंसोर्टियम, विशेष रूप से केनरा बैंक को लगभग 1392.86 करोड़ रुपये के नुकसान का आरोप है. इडी के अनुसार, एएसएल के तत्कालीन निदेशक गौरव अग्रवाल और मोहेंद्र अग्रवाल, कोलकाता आधारित एंट्री ऑपरेटर जगदीश प्रसाद पुरोहित तथा अन्य संबंधित और असंबंधित इकाइयां जांच के दायरे में हैं.

इडी ने बताया कि एएसएल स्टील उत्पादों के निर्माण से जुड़ी कंपनी थी और वर्ष 2018 में इसे कॉरपोरेट इंसॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस (सीआइआरपी) में शामिल किया गया था. एनसीएलएटी के 6 मई 2022 के आदेश के तहत जीपी ग्लोबल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को लगभग 233.71 करोड़ रुपये की समाधान योजना के साथ सफल आवेदक घोषित किया गया था.

इडी की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) द्वारा दर्ज एफआइआर के आधार पर शुरू हुई थी. केनरा बैंक की शिकायत में आरोप लगाया गया था कि एएसएल ने अपने निदेशकों, प्रमोटरों और कर्मचारियों के माध्यम से फंड की हेराफेरी, आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी की. जांच में सामने आया कि कंपनी ने अपने बैंक खातों से विभिन्न फर्मों और विक्रेताओं को एडवांस और अन्य भुगतानों के जरिए धन डायवर्ट किया. इन एडवांस की वसूली के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए गये. इडी के अनुसार, यह फंड डायवर्जन की एक सुनियोजित रणनीति थी. कई मामलों में एडवांस के बदले नकद राशि प्राप्त कर उसे कोलकाता स्थित एंट्री ऑपरेटर की मदद से कंपनी तक पहुंचाया गया और बाद में इस धन का इस्तेमाल अचल संपत्तियों की खरीद में किया गया. इडी ने बताया कि यूरेकस इंफ्रास्ट्रक्चर, सनसिटी प्रोजेक्ट्स, जुबिलेंट मॉल्स, क्रेटोस प्रोजेक्ट्स और एचएनएस प्रोजेक्ट्स जैसी असंबंधित कंपनियों को करीब 48.68 करोड़ रुपये का ऋण डायवर्ट किया गया, जो कभी वापस नहीं हुआ. इससे पहले इडी ने इस मामले में लगभग 44.09 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां कुर्क की थीं. इडी के अनुसार, अब तक इस मामले में कुल कुर्की और जब्ती की राशि 45.51 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है.

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