कुलपति नियुक्ति मामले की सुनवाई जनवरी तक स्थगित
उच्चतम न्यायालय ने बंगाल में राज्य सरकार से सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों में नियमित कुलपतियों की नियुक्ति से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई बुधवार को अगले वर्ष जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी.
कोलकाता.
उच्चतम न्यायालय ने बंगाल में राज्य सरकार से सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों में नियमित कुलपतियों की नियुक्ति से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई बुधवार को अगले वर्ष जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी. प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची की पीठ ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस के कार्यालय की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि की दलीलों पर गौर किया, जिसमें उन्होंने कहा कि इस मामले में कुछ सकारात्मक प्रगति हुई है. शीर्ष अदालत ने अटॉर्नी जनरल और राज्य सरकार के वकील के संयुक्त अनुरोध पर मामले की सुनवाई जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी. पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार के सहायता प्राप्त 36 विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच लंबे समय से विवाद जारी है. इस टकराव को समाप्त करने के उद्देश्य से उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष आठ जुलाई को पूर्व प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता में एक खोज-सह-चयन समिति का गठन किया था, ताकि कुलपतियों की नियुक्ति की प्रक्रिया की निगरानी की जा सके. शीर्ष अदालत ने 22 अप्रैल को उस याचिका पर राज्यपाल कार्यालय से जवाब मांगा था, जिसमें पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2022 को मंजूरी देने में देरी का आरोप लगाया गया था. यह विधेयक जून 2022 में राज्य विधानसभा द्वारा पारित किया गया था. राज्य विधानसभा ने 2022 में एक विधेयक पारित कर सभी राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री को नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा था. न्यायालय ने उस समय राज्यपाल के प्रधान सचिव और भारत सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
