मेसी के कार्यक्रम में कुप्रबंधन के विरुद्ध हाइकोर्ट में तीन जनहित याचिकाएं दायर
महानगर के सॉल्टलेक स्थित विवेकानंद युवा भारती क्रीड़ांगन में गत शनिवार को दिग्गज फुटबॉलर लियोनेल मेसी के कार्यक्रम के दौरान हुई गड़बड़ी और अराजकता का मामला अब कलकत्ता हाइकोर्ट पहुंच गया है.
संवाददाता, कोलकाता
महानगर के सॉल्टलेक स्थित विवेकानंद युवा भारती क्रीड़ांगन में गत शनिवार को दिग्गज फुटबॉलर लियोनेल मेसी के कार्यक्रम के दौरान हुई गड़बड़ी और अराजकता का मामला अब कलकत्ता हाइकोर्ट पहुंच गया है. सोमवार को वकीलों ने हाइकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजय पॉल और न्यायमूर्ति पार्थसारथी सेन की डिवीजन बेंच से इस मामले में याचिकाएं दाखिल करने की अनुमति मांगी, जिसे स्वीकार कर लिया गया. अनुमति मिलते ही इस प्रकरण में तीन जनहित याचिकाएं दायर कर दी गयीं.
इनमें से दो जनहित याचिकाएं वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा दायर की गयी हैं, जबकि तीसरी याचिका विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की ओर से दाखिल की गयी है.
पहली जनहित याचिका में टिकटों की बिक्री में कथित वित्तीय अनियमितता की व्यापक जांच की मांग की गयी है. याचिका में बताया गया है कि कार्यक्रम के टिकटों की कीमतें 3,000 रुपये से लेकर 12,000 रुपये तक अलग-अलग निर्धारित की गयी थीं. दूसरी जनहित याचिका, जिसे अधिवक्ता मैनाक घोषाल ने दायर किया है, में अदालत की निगरानी में जांच कराने और सभी दर्शकों को टिकट की राशि वापस करने की मांग की गयी है. साथ ही इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (इडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) से कराने का अनुरोध किया गया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस टूर में धन की हेराफेरी हुई है और आयोजन करने वाली संस्था को स्टेडियम की मरम्मत का खर्च भी उठाने का निर्देश दिया जाना चाहिए. तीसरी याचिका में दावा किया गया है कि राज्य सरकार ने एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की है, जबकि राज्य सरकार के पास ऐसी समिति बनाने की शक्ति नहीं है. याचिका में अदालत से इस मामले में हस्तक्षेप करने और भारी कुप्रबंधन के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा देने का आदेश देने की मांग की गयी है.
बताया गया है कि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजय पॉल की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने याचिकाओं को स्वीकार कर लिया है और मंगलवार को इन पर सुनवाई होने की संभावना है. याचिकाओं में अदालत से यह भी अनुरोध किया गया है कि स्टेडियम में हुई अफरा-तफरी की जांच सीबीआई, ईडी और गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) जैसी केंद्रीय एजेंसियों को सौंपी जाये.
शुभेंदु अधिकारी की ओर से पेश होते हुए अधिवक्ता बिलवादल भट्टाचार्य ने शनिवार को मची अराजकता के कारणों की जांच के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग की. उन्होंने राज्य सरकार द्वारा गठित और सेवानिवृत्त न्यायाधीश आशीष कुमार राय की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय जांच समिति को भी चुनौती दी. याचिकाकर्ता का आरोप है कि इस घटना के कारण पश्चिम बंगाल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा.
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