शहरों के 19% लोग अिनद्रा से हैं परेशान
तनाव मुक्त रहने व स्वस्थ जीवन के लिए बेहतर नींद जरूरी है. हालांकि, शहरी क्षेत्रों में रहनेवाले लोग नींद की समस्या से जूझ रहे हैं.
वर्ल्ड स्लीप सोसाइटी व इसकी कोलकाता इकाई के संयुक्त शोध में हुआ खुलासा
संवाददाता, कोलकातातनाव मुक्त रहने व स्वस्थ जीवन के लिए बेहतर नींद जरूरी है. हालांकि, शहरी क्षेत्रों में रहनेवाले लोग नींद की समस्या से जूझ रहे हैं. एक शोध रिपोर्ट के अनुसार देश के शहरी क्षेत्रों में तनाव व आरामदायक जीवनशैली के कारण 19 फीसदी लोग सही ढंग से नींद नहीं ले पा रहे हैं. इस कारण शहरी क्षेत्रों के लोग मोटापे के भी शिकार हो रहे हैं. वर्ल्ड स्लीप सोसाइटी व इसकी इकाई कोलकाता स्लीप सोसाइटी के एक संयुक्त शोध में यह खुलासा हुआ है. शोध के अनुसार, शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र के लोग बेहतर नींद लेते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 11.2% लोग नींद की समस्या से जूझ रहे हैं. सोमनोस स्लीप क्लिनिक के वरिष्ठ स्लीप मेडिसिन स्पेशलिस्ट और वर्ल्ड स्लीप सोसाइटी के क्षेत्रीय समन्वयक व कलकत्ता स्लीप सोसाइटी के सचिव डॉ सौरभ दास ने कोलकाता प्रेस क्लब में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी. मौके पर कोलकाता स्लीप सोसाइटी के अध्यक्ष और स्लीप एपनिया व ईएनटी सर्जन डॉ उत्तम अग्रवाल भी उपस्थित थे. डॉ सौरभ दास ने बताया कि समग्र स्वास्थ्य में नींद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. उन्होंने बताया कि तनाव व अति व्यस्त जीवनशैली से नींद बाधित हो रही है, इसलिए अच्छी नींद पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गयी है.महिलाओं में नींद संबंधी समस्या ज्यादा :
पुरुषों की तुलना में महिलाएं नींद संबंधित समस्याओं से ज्यादा जूझ रही हैं. रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं को अधिक जोखिम का सामना करना पड़ता है. ऐसे में चिकित्सकों ने खासकर महिलाओं व बुजुर्गों में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और स्लीप एपनिया प्रबंधन पर जोर दिया है. क्या है स्लीप एपनिया : स्लीप एपनिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें नींद के दौरान सांस बार-बार रुकती और फिर शुरू होती है, जिससे नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है और दिन के समय थकान महसूस होती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
