एक मंच पर आयें सभी िवरोधी दल

कोलकाता : कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और कुछ नहीं, बल्कि ‘एनआरसी का ही छद्म रूप’ हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि असम में एनआरसी की ‘विफलता’ के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने तुरंत सुर बदल लिया और वह अब सिर्फ एनपीआर की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 19, 2020 1:24 AM

कोलकाता : कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और कुछ नहीं, बल्कि ‘एनआरसी का ही छद्म रूप’ हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि असम में एनआरसी की ‘विफलता’ के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने तुरंत सुर बदल लिया और वह अब सिर्फ एनपीआर की बात कर रही है.

चिदंबरम ने यहां संवाददाताओं से कहा कि एनपीआर और कुछ नहीं बल्कि एनआरसी का ही छद्म रूप है. पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि राज्यों द्वारा एनपीआर और सीएए को लागू करने का विरोध करना उचित है, क्योंकि इसकी संवैधानिक वैधता उच्चतम न्यायालय को तय करनी है.
उन्होंने कहा : हमारा उद्देश्य संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनपीआर) की गलत मंशा से लड़ना और उसके खिलाफ जनता के विचार को गति देना है. उन्होंने कहा : हमारा रुख स्पष्ट है कि हम अप्रैल 2020 से शुरू हो रहे एनपीआर पर सहमत नहीं होंगे. चिदंबरम ने कहा : हम एनआरसी और सीएए के खिलाफ लड़ रहे हैं. अभी एक साथ तो कभी अलग-अलग। महत्वपूर्ण बात यह है कि हम लड़ रहे हैं.”
उन्होंने कहा : एनपीआर, सीएए और एनआरसी के खिलाफ लड़ रही सभी पार्टियों को साथ आना चाहिए और मुझे विश्वास है कि वे आयेंगे. उन्होंने कहा कि भाजपा विपक्ष की आवाज दबाने में असफल रही है और उसे लगता है कि यह वक्त निकल जायेगा. एनपीआर पर 17 जनवरी को आयोजित बैठक में विपक्ष शासित राज्यों के शामिल होने के बारे में उन्होंने कहा कि बैठक में शामिल होने का अर्थ स्वीकृति नहीं है.
उन्होंने कहा : यह सिर्फ दूसरे पक्ष की सोच जानने से संबंधित था. चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस कार्य समिति द्वारा सीएए, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के साथ ही उनकी पार्टी के शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्री इस बारे में कदम उठायेंगे. उन्होंने कहा कि राज्यों द्वारा सीएए का विरोध करने में कोई संवैधानिक बाधा नहीं है. उन्होंने कहा : सीएए इस समय उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए राज्य इसके बारे में जैसा सोचते हैं, उनका वैसा कहना उचित है.

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