राज्यपाल में शिष्टाचार नहीं, लोग उनकी बातों को पसंद नहीं कर रहे : ममता बनर्जी

कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ पर ‘प्रचार का भूखा’ रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि लोग उनकी ‘बातें और शिष्टाचार की कमी’ को पसंद नहीं कर रहे हैं. सुश्री बनर्जी ने कहा, ‘जब हम प्रधान मंत्री से मिलते हैं, तो वह हमारा हाथ जोड़कर अभिवादन करते हैं. हम भी यही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 28, 2019 5:09 PM

कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ पर ‘प्रचार का भूखा’ रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि लोग उनकी ‘बातें और शिष्टाचार की कमी’ को पसंद नहीं कर रहे हैं. सुश्री बनर्जी ने कहा, ‘जब हम प्रधान मंत्री से मिलते हैं, तो वह हमारा हाथ जोड़कर अभिवादन करते हैं. हम भी यही करते हैं. यह शिष्टाचार है. संसद के केंद्रीय कक्ष में, हम माकपा के नेताओं को भी शुभकामनाएं देते हैं, लेकिन यह आदमी… मैं उनके स्वस्थ व दीर्घायु जीवन की कामना करती हूं. मैं चाहती हूं कि ये सफलता की सीढ़ी चढ़े और राष्ट्रपति बनें, वह जिस तरह की बात कर रहे हैं, लोग पसंद नहीं कर रहे हैं. उनमें शिष्टाचार की कमी है.

उल्लेखनीय है कि राज्यपाल श्री धनखड़ मंगलवार को विधानसभा में संविधान दिवस कार्यक्रम को संबोधित करने गये थे, तो राज्यपाल और बनर्जी ने कार्यक्रम से पहले या बाद में एक-दूसरे को बधाई नहीं दी और न ही कोई बात की थी, हालांकि मुख्यमंत्री, वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मौजूद थीं. सुश्री बनर्जी ने कहा कि 2011 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से उन्होंने कई राज्यपालों के साथ काम किया है.

2011 के बाद से, हम सत्ता में हैं. केशरी नाथ त्रिपाठी (पूर्व राज्य राज्यपाल) भी आरएसएस के व्यक्ति थे. एक या दो बार उन्होंने हमारे खिलाफ बोला, शायद पार्टी के निर्देशों पर, लेकिन कुल मिलाकर, स्थिति ठीक थी. हमारे बीच बहुत विवाद नहीं हुआ.

राज्यपाल के काली पूजा पर उन के कालीघाट निवास पर जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, उन्हें प्रचार की भूख है. कुछ लोगों को लगता है कि अगर मुझे हर दिन टेलीविजन पर नहीं दिखाया जाये, तो उनकी अपनी नौकरी चली जायेगी.

उन्होंने कहा, उन्होंने मुझे एक पत्र लिखा था.. वह भाईफोटा में आना चाहते थे… लेकिन मैं बचपन से ही सभी जातियों, पंथों और समुदाय के लोगों के साथ एकजुटता दिवस के रूप में भाई फोटा मनाती हूं. मैंने उन्हें लिखा कि वह उस दिन को एकजुटता दिवस के रूप में मनाती हैं. मैंने उससे कहा कि वह काली पूजा पर मेरे घर आने के लिए स्वतंत्र हैं, जैसे उस दिन मेरे निवास पर सभी का स्वागत किया गया. यह शिष्टाचार है, इससे ज्यादा कुछ नहीं.