Saradha Chit Fund Case : सुप्रीम कोर्ट के जज ने सुनवाई से खुद को अलग किया, अगली सुनवाई 26 फरवरी को

नयी दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव ने करोड़ों रुपये के सारधा चिट फंड घोटाला मामले की जांच में बाधा डालने के आरोप में पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारियों के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो की याचिका पर सुनवाई से बुधवार को खुद को अलग कर लिया. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 20, 2019 11:37 AM

नयी दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव ने करोड़ों रुपये के सारधा चिट फंड घोटाला मामले की जांच में बाधा डालने के आरोप में पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारियों के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो की याचिका पर सुनवाई से बुधवार को खुद को अलग कर लिया. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने सीबीआई की याचिका पर सुनवाई यह कहते हुए स्थगित कर दी कि उनमें से एक न्यायाधीश इस मामले की सुनवाई का हिस्सा नहीं बनना चाहते.

न्यायमूर्ति राव ने कहा कि चूंकि वह राज्य सरकार की ओर से बतौर वकील पेश हो चुके हैं, इसलिए वह इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते. यह मामला अब 27 फरवरी को उस पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है, जिसका हिस्सा न्यायमूर्ति राव नहीं हैं. न्यायालय के पांच फरवरी के आदेश के तहत 18 फरवरी को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मलय कुमार डे, पुलिस महानिदेशक विरेन्द्र कुमार और कोलकाता के तत्कालीन पुलिस आयुक्त राजीव कुमार ने सारधा चिटफंड प्रकरण से संबंधित अवमानना के मामले में हलफनामे दाखिल किये थे.

सीबीआई ने सारधा चिटफंड घोटाले से संबंधित मामलों की जांच के संबंध में अवमानना कार्यवाही के लिए याचिका दायर की थी. जांच ब्यूरो का आरोप था कि उन्होंने एजेंसी के काम में बाधा डाली और वे सारधा चिटफंड घोटाले से संबंधित मामलों के इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कर रहे थे.

हालांकि, पश्चिम बंगाल सरकार और उसकी पुलिस ने जांच ब्यूरो के इन आरोपों का खंडन किया था कि उन्होंने घोटाले के मामलों की जांच में कोई बाधा डाली थी. प्रदेश की पुलिस ने आरोप लगाया कि केंद्रीय एजेंसी ने बिना उपयुक्त कागजात के तीन फरवरी को कोलकाता के तत्कालीन पुलिस आयुक्त के आवास में जबरन प्रवेश करने की कोशिश की थी. इन तीनों अधिकारियों ने अपने हलफनामे में न्यायालय से बिना शर्त और स्पष्ट शब्दों में क्षमा याचना कर ली थी.

Next Article

Exit mobile version