केरल से वापस लौटने की आस में हैं घासमारी के ग्रामीण

नागराकाटा : केरल में आये भीषण प्राकृतिक आपदा से जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. राज्य के चारो और पानी ही पानी है. सड़क मार्ग के साथ-साथ रेलमार्ग पर इसका काफी असर पड़ा है. यातायात व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गया है. इस त्रासदी में काफी लोगों ने अपने प्राण गवां दिये हैं. जो बचे […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 21, 2018 6:11 AM
नागराकाटा : केरल में आये भीषण प्राकृतिक आपदा से जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. राज्य के चारो और पानी ही पानी है. सड़क मार्ग के साथ-साथ रेलमार्ग पर इसका काफी असर पड़ा है. यातायात व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गया है. इस त्रासदी में काफी लोगों ने अपने प्राण गवां दिये हैं. जो बचे हैं उनका अवस्था काफी दयनीय है.
आधे पेट खाना खाकर या भुखमरी में जीवन-यापन करने को लोग बाध्य हैं. पेयजल के साथ ही खाद्य संकट भी गहरा गया है. प्रतिदिन यह घटना सामाचार माध्यमों से जानकर व टीवी पर देखकर नागराकाटा ब्लॉक स्थित घासमारी के निवासी भयभीत हो गये हैं.
बताया जाता है कि घासमारी गांव के प्रत्येक घर से एक-दो या कई घरों का पूरी परिवार ही केरल में रोजी-रोटी की तलाश में रहते हैं. फिलहाल सभी बाढ़ के कारण केरल में ही फंसे हुये हैं. आने के लिये प्रयासरत रहने के बावजूद आने का कोई उपाय नहीं है. सभी अपने-अपने परिजनों से निरंतर मोबाइल पर संपर्क में बने हैं. लेकिन कुछ परिवार ऐसा भई है जिसे अपने बेटे, भाई या अन्य लोगों से संपर्क नहीं हो पा रहा है. सभी अपने परिजनों की खोज खबर के लेने के लिये एक-दूसरे से जानकारी ले रहे हैं.
घांसमारी बस्ती में ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो गयी है कि मां अपने बेटे की चिंता में फूट-फूटकर रोते हुये रात गुजारने को विवश है. पिछले तीन दिनों से बेटे की आस में खाना पीना भी बंद कर दिया है. गांव के सभी लोग भगवान से एक साथ दुआ कर रहे हैं कि सभी कुशलता के साथ घर वापस लौट आयें. इसके साथ ही सभी ने राज्य सरकार से परिजनों के वापसी की गुहार लगा रहे हैं.
घांसमारी बस्ती निवासी मजिना खातून ने बताया कि परिवार की आर्थिक अवस्था कमजोर रहने के कारण मेरे परिवार का बड़ा बेटा इलियास हक, इद्रिस हक, अफताव हक, पोता जावेद अली कुल चार लोग केरल में काम करने के लिए गए थे. लेकिन वहां पर अचानक आए बाढ़ के कारण फंसे हुए हैं. मुझे प्रतिदिन अनहोनी की चिंता सता रही है. टीवी में विभिन्न प्रकार का खबर सुनते हुए दिल सहम जाता है. कोई मेरे बच्चों को घर वापस लाने में मदद करे. मै यही दुआ करती हूं.
इलाके का अब्दुल रहमान ने बताया कि मेरा बेटा काम करने के लिए आठ माह पहले केरल गया था. लेकिन वर्तमान में केरल में जो हालात हैं उसमें वह फंस गया है. बार-बार हमसे फोन कर सहायता की गुहार लगा रहा है परंतु हम बेबस और लाचार हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से हमलोग आग्रह करते हैं कि हमारी मदद करें और हमारे बच्चों को घर लौटाने में मदद करें.
तानजिना खातून के बेटे बक्कर अली, समसुर अली के बेटे जागगीर अली भी केरल में फंसे हुए हैं. उनलोगों ने बताया कि जब से केरल में बाढ़ आया है, तबसे हमारी जिंदगी में भुचाल आ गया है. हमारे बच्चे वहां पर किस हालात में हैं, इसकी कोई खोज खबर नहीं. राज्य सरकार से हम निवदेन करते हैं कि गांव के सभी बच्चों को सकुशल घर वापस लौटाने मदद करें.

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