काजी नजरुल संग्रहालय के जीर्णोद्धार विवाद का सुखद अंत,
विद्रोही कवि काजी नजरुल इस्लाम की जन्मस्थली चुरुलिया में उनसे जुड़ी वस्तुओं के संग्रहालय के जीर्णोद्धार को लेकर लंबे समय से चला आ रहा विवाद आखिरकार समाप्त हो गया.
आसनसोल/जामुड़िया.
विद्रोही कवि काजी नजरुल इस्लाम की जन्मस्थली चुरुलिया में उनसे जुड़ी वस्तुओं के संग्रहालय के जीर्णोद्धार को लेकर लंबे समय से चला आ रहा विवाद आखिरकार समाप्त हो गया. जीर्णोद्धार के दौरान संग्रहालय की वस्तुओं को गांव से बाहर नहीं ले जाया जायेगा. गांव में ही स्थित युवा आवास में उन्हें रखा जायेगा और पुलिस तथा सीसीटीवी की पूरी निगरानी रहेगी. सोमवार को काजी नजरुल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ उदय बनर्जी, अतिरिक्त जिलाधिकारी (विकास) कौशिक सिन्हा, राज्य पर्यटन विभाग की अधिकारी अदिति गांगुली, जामुड़िया के बीडीओ तापस पाल, नजरुल विद्यापीठ के शिक्षक प्रभारी दीपंकर मजूमदार, काजी नजरुल परिवार की सदस्य सोनाली काजी आदि की मौजूदगी में बैठक हुई. जिसमें यह निर्णय लिया गया कि जीर्णोद्धार के कार्य के दौरान संग्रहालय की वस्तुओं को गांव में ही रखा जायेगा. कुलपति डॉ बनर्जी ने स्पष्ट किया कि प्रशासन का उद्देश्य संग्रहालय पर कब्जा करना नहीं, बल्कि कवि की विरासतों को सुरक्षित करना है.गौरतलब है काजी नजरुल की पैतृक गांव चुरुलिया को राज्य पर्यटन विभाग की ओर से सजाने संवारने का काम शुरू हुआ है. इस जगह को पर्यटकों के लिए और अधिक आकर्षित बनाने में तहत पर्यटन विभाग करोड़ों रुपये खर्च करने जा रहा है. यहां फिलहाल कुल चार जगहों पर कार्य होगा. जिसमें काजी नजरुल की वस्तुओं से जुड़ा संग्रहालय, उनकी पत्नी प्रमिला देवी की समाधि स्थल, प्रमिला मंच और नजरुल के घर के जीर्णोद्धार का काम होगा. संग्रहालय के कार्य के दौरान वहां के सामानों को बाहर निकालना होगा. जिसे लेकर विवाद शुरू हो गया था. स्थानीय लोग इन सामानों को किसी भी कीमत पर बाहर नहीं ले जाने देना चाहते हैं. उन्हें डर है कि कुछ सामान इधर-उधर न हो जाये. इसी को लेकर विवाद चल रहा था. जिसका समाधान हो गया. सारा सामान चुरुलिया गांव में ही युवा आवास में रखा जायेगा. पुलिस और सीसीटीवी की निगरानी रहेगी. कार्य पूरा होने के बाद फिर से इसे संग्रहालय में रख दिया जायेगा. सोमवार को चुरुलिया पहुंचे कुलपति डॉ उदय बनर्जी ने कहा कि संग्रहालय भवन का निरीक्षण किया और परिवार के सदस्यों से बातचीत की. वर्तमान में संग्रहालय भवन की स्थिति अत्यंत दयनीय हो चुकी है. बारिश और नमी से बहुमूल्य सामग्री को नुकसान पहुंचने का खतरा है. राज्य सरकार के पर्यटन विभाग ने संग्रहालय के पुनर्निर्माण के लिए विशेष फंड आवंटित किया है.उन्होंने बताया कि वह खुद काजी नजरुल इस्लाम का बहुत बड़ा प्रशंसक हैं. वे चाहते हैं कि इस संग्रहालय को एक नया और आधुनिक रूप मिले ताकि आने वाली पीढ़ियां कवि के योगदान को करीब से देख सकें. पिछले कुछ समय से परिवार के सदस्य इस बात को लेकर आशंकित थे कि विश्वविद्यालय इस संग्रहालय पर पूर्ण नियंत्रण करना चाहता है, लेकिन यह भ्रम बैठक में हुए निर्णय के बाद दूर हो गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
