पूर्व बर्दवान : भागीरथी में गंगा डॉल्फिन संरक्षण
पूर्व बर्दवान जिले के कटवा क्षेत्र में भागीरथी नदी में गंगा डॉल्फिन के संरक्षण को लेकर वन विभाग की गतिविधियां लगातार जारी हैं.
बर्दवान/पानागढ़.
पूर्व बर्दवान जिले के कटवा क्षेत्र में भागीरथी नदी में गंगा डॉल्फिन के संरक्षण को लेकर वन विभाग की गतिविधियां लगातार जारी हैं. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बीते वर्षों की तुलना में डॉल्फिन की मृत्यु दर में कमी या गिरावट आयी है. हालांकि हाल के दिनों में स्थानीय मछुआरों के एक समूह ने कटवा शहर के पास अग्रद्वीप इलाके में भागीरथी नदी में एक मृत व विघटित गंगा डॉल्फिन देखने का दावा किया है. मछुआरों का कहना है कि डॉल्फिन की स्थिति से इलेक्ट्रिक चिप के जरिये मछली पकड़ने के कारण मौत की आशंका जतायी जा रही है, लेकिन इस दावे की आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं हो सकी है.मरी नहीं मिलने से मौत का कारण स्पष्ट नहीं
सूचना मिलने के बाद वन विभाग ने पूरे दिन भागीरथी नदी के विभिन्न हिस्सों में नावों के माध्यम से खोजबीन की. कटवा वन विभाग के रेंजर शिवप्रसाद सिन्हा ने बताया कि व्यापक प्रयास के बावजूद मृत डॉल्फिन का शव बरामद नहीं हो सका है. आशंका है कि शव नदी की धारा में बह गया हो. ऐसी स्थिति में न तो मौत के स्थान की पुष्टि हो पा रही है और न ही कारण स्पष्ट हो सका है.संरक्षण केंद्र व आंकड़ों का दावा
वन विभाग के सूत्रों के अनुसार 2025 में अब तक केवल दो गंगा डॉल्फिन के शव मिले हैं, जबकि 2024 में यह संख्या लगभग आठ थी. कटवा के कल्याणपुर से पाटुली तक करीब 32 किलोमीटर क्षेत्र गंगा डॉल्फिन का प्रवास क्षेत्र माना जाता है. राज्य वन विभाग की पहल पर शंखाई घाट पर गंगा डॉल्फिन संरक्षण केंद्र स्थापित किया गया है, जहां नियमित शोध और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं. अनुमान है कि वर्तमान में इस क्षेत्र में 32 से 35 गंगा डॉल्फिन मौजूद हैं. पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि भागीरथी को प्रदूषण मुक्त रखना और डॉल्फिन के लिए अनुकूल जलीय वातावरण तैयार करना अब भी बड़ी चुनौती बना हुआ है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
