पुनर्वास और मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन

रेलवे ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से पुनर्वास और मुआवजे की मांग को लेकर जारी धरना रविवार को 999 दिन पूरे कर चुका है.

By SUBODH KUMAR SINGH | August 25, 2025 1:08 AM

999 दिनों से जारी है धरना सोमवार को होंगे एक हजार दिन पूरे

ईस्टर्न रेल डेडिकेटेड फ्रेड कोरिडोर के तहत लुधियाना से डानकुनी तक वाया धनबाद होकर तकरीबन 237 किलोमीटर जमीन अधिग्रहण

रेलवे ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने पुनर्वास और मुआवजे की मांग को लेकर शुरु किया था आंदोलन

संतोष विश्वकर्मा, आसनसोल.

रेलवे ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से पुनर्वास और मुआवजे की मांग को लेकर जारी धरना रविवार को 999 दिन पूरे कर चुका है. सोमवार को आंदोलन का एक हजारवां दिन होगा. बावजूद इसके दुकानदार अब भी रेलवे प्रबंधन से न्याय की उम्मीद में धरने पर डटे हुए हैं.

जमीन अधिग्रहण से उपजा विवाद

एसोसिएशन के सचिव आशीष कृष्ण चटर्जी ने बताया कि लुधियाना से डानकुनी तक धनबाद होकर 237 किलोमीटर लंबे ईस्टर्न रेल डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण होना है. इस परियोजना के लिए रेलवे निजी जमीन पर बने लगभग 70 साल पुराने व्यावसायिक बाजार को ध्वस्त करने की कोशिश कर रहा है.

वर्ष 2014 में जमीन अधिग्रहण के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था. उस समय जमीन मालिकों ने दुकानदारों को आश्वासन दिया था कि उन्हें पुनर्वास दिए बिना नहीं हटाया जायेगा. लेकिन बाद में रेलवे ने केएस रोड और धधका रोड पर स्थित दो हिस्सों में बंटी जमीन पर अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू कर दी.

मुआवजा जमीन मालिकों को, दुकानदारों की अनदेखी : चटर्जी ने बताया कि 2015 में एसोसिएशन के बैनर तले आंदोलन शुरू हुआ और विभिन्न स्तरों पर ज्ञापन सौंपा गया. इसके बावजूद 2022 में रेलवे ने जमीन मालिकों, संतोष दास, प्रकाश दास, गोपाल दास, तापस दास, नवकुमार दास और श्यामल कुमार भद्र को ऑनलाइन भुगतान कर दिया. मुआवजा लेने के बाद ये मालिक आसनसोल छोड़कर चले गये. इसके बाद रेलवे ने अधिग्रहण अभियान शुरू किया और दुकानदारों को हटाने के लिए अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया. लेकिन एसोसिएशन ने इसका कड़ा विरोध किया.

धरना और राजनीतिक सहयोग

नवंबर 2021 में एसोसिएशन के पदाधिकारी और 125 दुकानदार धरने पर बैठ गये. धीरे-धीरे आंदोलन ने राजनीतिक रंग ले लिया और राज्य के श्रम व विधि न्याय मंत्री मलय घटक ने भी धरनास्थल पहुंचकर सहयोग का आश्वासन दिया. चटर्जी ने कहा कि अधिकांश दुकानदारों के पास कोई दूसरा रोजगार विकल्प नहीं है. वे पांच दशक से इसी बाजार में दुकान चला रहे हैं और कई की दूसरी पीढ़ी भी गुजर चुकी है. ऐसे में विस्थापन उनकी आजीविका पूरी तरह खत्म कर देगा.

एक हजार दिन पूरे होने पर सभा

धरनास्थल पर आंदोलन के एक हजार दिन पूरे होने पर सोमवार को विशेष सभा का आयोजन किया जायेगा. दुकानदारों का कहना है कि वे न्याय मिलने तक धरने से पीछे नहीं हटेंगे.

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