बांके बिहारी मंदिर का चढ़ावा, संपत्ति और प्रशासन अब न्यास के हवाले, जानें UP सरकार के अध्यादेश की खास बातें

Banke Bihari: उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास के गठन के लिए अध्यादेश जारी किया. इस अध्यादेश के तहत न्यास को मंदिर की सभी चल-अचल संपत्तियों और चढ़ावे का अधिकार सहित कई अन्य जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी. स्वामी हरिदास की परंपरा को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से इस न्यास का गठन किया जाएगा.

By Neha Kumari | August 13, 2025 2:05 PM

Banke Bihari: उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास के गठन का रास्ता साफ कर दिया है. इस अध्यादेश के तहत जल्द ही श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास का गठन किया जाएगा. अध्यादेश के अनुसार, न्यास के पास मंदिर की सभी चल-अचल संपत्तियों और चढ़ावे का अधिकार होगा. इसके अलावा, मंदिर में मौजूद मूर्तियां, परिसर और उसकी सीमा के भीतर की जमीन-जायदाद, देवताओं को मिली भेंट-उपहार, धार्मिक कार्यक्रमों के लिए दी गई संपत्ति, नकद या वस्तु रूप में अर्पित चढ़ावा—सब पर न्यास का अधिकार होगा. यहां तक कि डाक, बैंक ड्राफ्ट, चेक या ऑनलाइन माध्यम से भेजे गए दान, आभूषण, हुंडी से मिली रकम, अनुदान और योगदान सहित मंदिर की हर संपत्ति का प्रबंधन और नियंत्रण अब न्यास के पास होगा.

बताया जा रहा है कि स्वामी हरिदास की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए ही न्यास का गठन किया जाएगा. सरकार ने कहा है कि स्वामी हरिदास के समय से जो रीति-रिवाज, समारोह, त्योहार और अनुष्ठानों की परंपरा चली आ रही है, वह बिना किसी बदलाव के जारी रहेगी. भगवान बांके बिहारी के दर्शन का समय, पुजारियों की नियुक्ति, उनका वेतन और भत्ते—सब न्यास द्वारा तय किए जाएंगे. इसके अलावा, मंदिर की सुरक्षा, प्रशासन और प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी भी न्यास के पास होगी.

श्रद्धालुओं को मिलेंगी ये सुविधाएं

न्यास बनने के बाद सरकार का लक्ष्य है कि श्रद्धालुओं को आधुनिक और आरामदायक सुविधाएं मिलें. इसके तहत मंदिर परिसर और आसपास कई व्यवस्थाएं विकसित की जाएंगी. इनमें प्रसाद वितरण केंद्र, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए अलग दर्शन मार्ग, साफ पेयजल की व्यवस्था, आराम करने के लिए बेंच, आसान पहुंच और कतार प्रबंधन के लिए कियोस्क शामिल होंगे. इसके अलावा गौशालाएं, अन्नक्षेत्र, रसोईघर, होटल, सराय, प्रदर्शनी कक्ष, भोजनालय और प्रतीक्षालय भी बनाए जाएंगे, ताकि आने वाले भक्तों को किसी तरह की परेशानी न हो और उन्हें बेहतरीन अनुभव मिल सके.

न्यास के सदस्यों का चुनाव कैसे होगा?

न्यास में कुल 11 मनोनीत और 7 पदेन सदस्य होंगे.

  •  वैष्णव परंपरा से 3 सदस्य होंगे . इनमें साधु-संत, मुनि, गुरु, विद्वान, मठाधीश, महंत, आचार्य या स्वामी जैसे प्रतिष्ठित लोग शामिल हो सकते हैं.
  •  सनातन धर्म की परंपरा से भी  3 सदस्य होगें. इसके अलावा सनातन धर्म की किसी भी शाखा से 3 सदस्य होंगे.  इनमें प्रतिष्ठित व्यक्ति, शिक्षाविद, विद्वान, उद्यमी, पेशेवर या समाजसेवी हो सकते हैं.
  •  गोस्वामी परंपरा से  स्वामी हरिदास के वंशज के 2 सदस्य,  जिनमें से एक राज-भोग सेवादारों का और दूसरा शयन-भोग सेवादारों का प्रतिनिधि होगा.

न्यास की बैठक, जिम्मेदारियां और आर्थिक अधिकार

नए मंदिर न्यास की बैठक हर तीन महीने में होगी. बैठक की तारीख तय होने से कम से कम 15 दिन पहले सभी सदस्यों को नोटिस भेजा जाएगा. आर्थिक मामलों में न्यास को 20 लाख रुपये तक की चल या अचल संपत्ति खरीदने का अधिकार होगा. अगर खरीद की राशि इससे ज्यादा है, तो सरकार की मंजूरी आवश्यक होगी. न्यास का संचालन एक मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) करेंगे, जो एडीएम स्तर के अधिकारी होंगे.

यह भी पढ़े: Mukesh Ambani Net Worth: अंबानी परिवार के पास देश की जीडीपी के 12% के बराबर संपत्ति, तो अदाणी के पास कितनी?