UPPCL: यूपी में छह उत्पादन इकाइयां हुईं ठप, बिजली कटौती का करना पड़ सकता है सामना

UPPCL: पावर कॉरपोरेशन की ओर से उत्पादन इकाइयों के ठप होने की वजह तकनीकी खामी (ब्वायलर ट्यूब लिकेज) बताया जा रहा है. इन यूनिटों के ठप होने से उत्पादन कम हो रहा है.

By Sandeep kumar | August 27, 2023 11:50 AM

UPPCL: यूपी में बारिश थमते ही भीषण गर्मी का प्रकोप देखने को मिल सकता है. क्योंकि छह बिजली उत्पादन इकाइयां ठप हो गई हैं. इससे 1937 मेगावाट कम बिजली उत्पादन हो रहा है. ऐसे में प्रदेशवासियों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ सकता है. उत्पादन ठप होने की वजह तकनीकी खामी बताई जा रही है. पिछले सप्ताह चार विद्युत उत्पादन इकाई ठप हो गई थीं.

इस बार छह उत्पादन इकाई ठप हुई हैं. इसमें टांडा की दो यूनिटों से 220 मेगावाट, मेजा से 528 मेगावाट, रिहंद से 189 मेगावाट, अनपरा की दो यूनिटों से एक हजार मेगावाट बिजली पावर कॉरपोरेशन को मिलती थी. इसमें टांडा की एक और मेजा की एक यूनिट रविवार को शुरू हो सकती है, जबकि रिहंद और अनपरा की उत्पादन इकाइयां 29 अगस्त तक शुरू होने की संभावना है.

प्रदेश में 24 हजार मेगावाट बिजली की मांग

वहीं, पावर कॉरपोरेशन की ओर से उत्पादन इकाइयों के ठप होने की वजह तकनीकी खामी (ब्वायलर ट्यूब लिकेज) बताया जा रहा है. इन यूनिटों के ठप होने से उत्पादन कम हो रहा है. ऐसी स्थिति में गर्मी बढ़ी तो प्रदेशवासियों को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि, अभी प्रदेश में बिजली की मांग करीब 24 हजार मेगावाट है.

इसमें उत्पादन निगम की यूनिटों से 3915 मेगावाट बिजली मिल रही है, जबकि 12 हजार मेगावाट आयातित बिजली से काम चलाया जा रहा है. फिलहाल इस मौसम में भी ग्रामीण इलाके में 18 घंटे के बजाय 17.58 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा किया जा रहा है. विभागीय रिपोर्ट में सिर्फ ग्रामीण इलाके में दो मिनट की कटौती दिखाई जा रही है.

तकनीकी कारणों से बंद हुई यूनिटें

वहीं, पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष डा. आशीष कुमार गोयल ने बताया कि प्रदेश में बिजली का इंतजाम है. उपभोक्ताओं को किसी तरह की समस्या नहीं होगी. कुछ यूनिट तकनीकी कारणों से बंद हुई हैं. इस तरह की समस्या कभी-कभार आती रहती है. टीमें लगी हुई हैं. जल्द ही ये इकाइयां फिर से बिजली उत्पादन करने लगेंगी.


बिजली उपभोक्ताओं को बिल में सकती है राहत

उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियां अब बड़े उपभोक्ताओं के कनेक्शन तथा बिजली से संबंधित अन्य कार्यों में सिर्फ सुपरविजन के आधार पर कार्य के पूरे एस्टीमेट पर जीएसटी नहीं लेंगी. बिजली कंपनियां सिर्फ सुपरविजन चार्ज और इस चार्ज पर लागू जीएसटी ही उपभोक्ता से ले सकेंगी. इस फैसले से उपभोक्ताओं को बिजली कनेक्शन तथा अन्य कार्यों में खर्च होने वाली बड़ी धनराशि की बचत होगी.

अभी यह व्यवस्था पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में लागू की गई है. पूर्वांचल ने अपीलेट अथारिटी आफ एडवांस रूलिंग जीएसटी उ.प्र. में याचिका दायर की थी. अथारिटी ने आदेश दिया कि उपभोक्ता द्वारा बिजली कंपनियों की सुपरविजन में खुद कराए जाने वाले कार्यों के लिए पूरे एस्टीमेट राशि पर जीएसटी नहीं देंगे. उपभोक्ता बिजली कंपनियों को सिर्फ सुपरविजन चार्ज और इसी चार्ज पर जीएसटी देगा.

एमडी ने सभी बिजली कंपनियों को इसके लिए अपील करने को कहा

पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की याचिका पर हुए आदेश से प्रदेश की अन्य बिजली कंपनियों को अवगत कराया है. आदेश दिया है कि सभी कंपनियां एडवांस रूलिंग याचिका दायर कर तीन सप्ताह में अवगत कराया जाए.

उन्होंने निर्देश दिए हैं कि सभी बिजली कंपनियां एडवांस रूलिंग याचिका दायर कर इस आशय का आदेश प्राप्त कर लें. जिससे भविष्य में जीएसटी विभाग द्वारा बिजली निगमों पर जीएसटी डिमांड, पेनाल्टी लगाए जाने के कारण होने वाली वित्तीय हानि से बचा जा सके. जीएसटी अधिनियम की धारा-103 के मुताबिक अथारिटी द्वारा पारित आदेश सिर्फ आवेदक के कार्यक्षेत्र पर ही लागू होता है.

अन्य बिजली कंपनियां उपभोक्ता से लेंगी क्षतिपूर्ति बांड

आदेश दिया गया है कि अन्य बिजली कंपनियों के पास जब तक अथारिटी से एडवांस रूलिंग नहीं मिल जाए तब तक उपभोक्ता को यह विकल्प दिया जाए कि वह निगम को सिर्फ सुपरविजन चार्ज और उस पर देय जीएसटी का भुगतान करे. साथ ही स्टांप पेपर पर क्षतिपूर्ति बांड जमा कराएं.

जिसमें यह लिखा हो कि अथारिटी द्वारा संबंधित प्रकरण में यदि यह आदेश आता है कि उपभोक्ता द्वारा बिजली कंपनियों के सुपरविजन में स्वयं द्वारा विद्युत संरचना का निर्माण, संशोधन तथा स्थानांतरण कराने पर भी पूरे इस्टीमेट राशि पर जीएसटी देय होगा अथवा जीएसटी विभाग द्वारा पूरे इस्टीमेट पर जीएसटी की मांग किए जाने पर उपभोक्ता इस्टीमेट की राशि पर लागू ब्याज, पेनाल्टी सहित एक माह के अंदर निगम को भुगतान करेगा.

ऐसे उपभोक्ताओं को मिली राहत

निर्माण इकाइयां व ठेकेदार

परियोजना क्षेत्र में बिजली लाइन शिफ्टिंग का कार्य इनके द्वारा बड़े पैमाने पर कराए जाते हैं.

अपार्टमेंट व बड़ी हाउसिंग सोसाइटियां

इनके द्वारा भी कनेक्शन के लिए लाइन खींचने व सेपरेट ट्रांसफार्मर लगाने के काम कराए जाते हैं.

उद्योग व अन्य बड़े उपभोक्ता

जिनके कनेक्शन में विद्युत लाइन ले जाने व सेपरेट ट्रांसफार्मर की जरूरत होती

सुपरविजन शुल्क

  • 2.5 फीसदी एनएचएआई देता है.

  • 05 पीडब्ल्यूडी व अन्य विभाग.

  • 15 अन्य उपभोक्ता व निजी औद्योगिक व व्यापारिक प्रतिष्ठान.

  • 18 है जीएसटी की दर.

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