मायावती ने दी भाजपा को चेतावनी, नहीं तो समर्थकों के साथ त्याग दूंगी हिंदू धर्म

आजमगढ़ : बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने मंगलवारको भाजपा को खुली चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उसने दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के प्रति अपनी सोच नहीं बदली, तो वह हिंदू धर्म त्यागकर बौद्ध धर्म अपना लेंगी. मायावती ने यहां पार्टी की एक रैली में कहा कि बाबा साहब भीमराव अांबेडकर ने हिंदू […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 24, 2017 5:50 PM

आजमगढ़ : बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने मंगलवारको भाजपा को खुली चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उसने दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के प्रति अपनी सोच नहीं बदली, तो वह हिंदू धर्म त्यागकर बौद्ध धर्म अपना लेंगी.

मायावती ने यहां पार्टी की एक रैली में कहा कि बाबा साहब भीमराव अांबेडकर ने हिंदू धर्म की वर्ण व्यवस्था के तहत दलितों और दबे-कुचलों के साथ भेदभाव की परिपाटी को देखकर तत्कालीन शंकराचार्यों और संतों से मजहबी व्यवस्था की इन कमियों को दूर करने का आग्रह किया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसी कारण अांबेडकर ने अपने निधन से कुछ समय पहले नागपुर में अपने अनुयायियों के साथ हिंदू धर्म त्यागकर बौद्ध धर्म अपना लिया था. इसके बावजूद हिंदू धर्म की कमियों को दूर नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा, मैं भाजपा को खुली चेतावनी देती हूं कि अगर उन्होंने दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों तथा धर्मांतरण करनेवाले लोगों के प्रति अपनी हीन, जातिवादी और सांप्रदायिक सोच नहीं बदली, तो मुझे भी हिंदू धर्म छोड़ कर बौद्ध धर्म अपनाने का फैसला लेना पड़ेगा. बसपा अध्यक्ष ने कहा कि ऐसा करने से पहले वह शंकराचार्यों, धर्माचार्यों तथा भाजपा के लोगों को अपनी सोच बदलने का मौका दे रही हैं. नहीं तो, अंत में और उचित समय पर वह भी अपने करोडों अनुयायियों के साथ हिंदू धर्म त्याग कर बौद्ध धर्म की दीक्षा ले लेंगी.
मायावती ने भाजपा पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जातिवादी एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए हैदराबाद में रोहित वेमुला कांड और गुजरात में ऊना कांड कराने का आरोप लगाया. बसपा अध्यक्ष ने भाजपा पर हाल में जातीय संघर्ष का शिकार हुए सहारनपुर जिले के शब्बीरपुर गांव में पहुंचने पर उनकी हत्या की साजिश रचने का भी इल्जाम लगाते हुए कहा कि इस जातीय संघर्ष के पीछे भाजपा का राजनीतिक मकसद था.
मायावती ने कहा कि जब उन्होंने इस मामले को राज्यसभा में उठाने की कोशिश की तो उन्हें बोलने नहीं दिया गया. जिसके बाद उन्होंने बाबा साहब भीमराव अांबेडकर के नक्शेकदम पर चलते हुए राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा कि भाजपा के लोगों ने दलित वोट में अपनी पैठ बनाने के लिए संघ से जुड़े एक दलित को राष्ट्रपति बना दिया. मजबूरी में कांग्रेस और विपक्ष को भी दलित को अपना उम्मीदवार बनाना पड़ा.

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