नोटबंदी के बाद बची खुची कसर जीएसटी ने पूरी कर दी : अखिलेश

मथुरा : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मोदी सरकार पर तीखे प्रहार करते हुए भाजपा को सबसे झूठी पार्टी करार दिया. उन्होंने कहा कि गरीबों की गरीबी दूर करने और उनके खातों में धन जमा करने के वादे कर नोटबंदी के बहाने छोटी से छोटी बचतें […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 9, 2017 9:00 AM

मथुरा : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मोदी सरकार पर तीखे प्रहार करते हुए भाजपा को सबसे झूठी पार्टी करार दिया. उन्होंने कहा कि गरीबों की गरीबी दूर करने और उनके खातों में धन जमा करने के वादे कर नोटबंदी के बहाने छोटी से छोटी बचतें भी निकलवा ली गयी और फिर रही-सही कसर जीएसटी लागू कर पूरी कर दी गयी.

अखिलेश यहां यादव समाज के एक ट्रस्ट द्वारा वृंदावन में करोड़ों की लागत से बनाये जाने वाले बहुमंजिला यादव भवन की आधारशिला रखने के लिए पहुंचे थे. इस मौके पर संवाददाताओं से मुलाकात में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की मोदी एवं योगी सरकारों पर जमकर भड़ास निकाली. उन्होंने दोनों ही नेताओं को धोखेबाज करार दिया. उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री 15 दिन पहले ही दीवाली ला देने की बात कर रहे हैं. वे जरा व्यापारियों से तो जाकर पूछें कि उनके लिए दीवाली पहले आ गयी या फिर दीवाली से काफी पहले ही उनका दीवाला निकल गया. रही बात गरीबों की, तो उसे तो न खील नजर आ रही है, और न ही बताशे. क्योंकि, उनसे उनका रोजगार ही छिन गया है. इस पर भी प्रधानमंत्री दीवाली जल्द ला देने की बात कहकर उल्टे उन्हें चिढ़ा रहे हैं.

सपा नेता ने कहा, जहां तक जीएसटी के मामलों में सुधार लाने की बात है तो प्रधानमंत्री अपने ही लोगों से आलोचना झेलने के बाद अब रोज समीक्षा के नाम पर छूटें देने की बात कर रहे हैं. अगर उन्हें जीएसटी की कमियां वास्तव में सुधारनी ही हैं तो व्यापारी जिन शिकायतों को शुरू से रखते आ रहे हैं उनका एक साथ ही निवारण क्यों नहीं कर देते.

अखिलेश यादव ने मोदी सरकार से सवाल किया, नोटबंदी से कौन सा और कितना भ्रष्टाचार कम हुआ है. इसका जवाब साल भर बाद भी नहीं दे पा रहे बीजेपी वाले. उन्होंने कहा, सच तो यह है कि भ्रष्टाचार के जड़ से खात्मे की बात करने वाले उस पर लगाम लगाने में भी पूरी तरह विफल रहे हैं. इसके लिए मुख्यमंत्री के गृह जनपद का उदाहरण ही काफी है जहां कमीशन के चक्कर में टेंडर लटके रहे और ऑक्सीजन के अभाव में कई बच्चों को जान गंवानी पड़ गयी. यह सिलसिला अभी भी जारी है. क्योंकि अक्सर कहीं न कहीं से मरीजों के असामयिक मौत की खबरें आ ही रही हैं.

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