रोहिंग्या मुसलमानों के पक्ष में मायावती ने संभाला मोर्चा, बोलीं-मानवीय दृष्टिकोण अपनाए सरकार

लखनऊः बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने पड़ोसी देश म्यांमार में अशांति आैर हिंसा की वजह से भारत में शरणार्थी बनकर पनाह लेने वाले हजारों अत्यंत गरीब और असहाय रोहिंग्या मुसलमान परिवारों के प्रति संवेदना एवं सहानुभूति व्यक्त करते हुए उनके पक्ष में मोर्चा संभाल लिया है. उन्होंने केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 13, 2017 12:54 PM

लखनऊः बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने पड़ोसी देश म्यांमार में अशांति आैर हिंसा की वजह से भारत में शरणार्थी बनकर पनाह लेने वाले हजारों अत्यंत गरीब और असहाय रोहिंग्या मुसलमान परिवारों के प्रति संवेदना एवं सहानुभूति व्यक्त करते हुए उनके पक्ष में मोर्चा संभाल लिया है. उन्होंने केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार से कहा कि उनके प्रति मानवता एवं इंसानियत के नाते सख्त रवैया नहीं अपनाना चाहिए और न ही राज्यों को इसके लिए मजबूर किया जाना चाहिए.

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मायावती ने बुधवार को यहां एक बयान में कहा कि म्यांमार के सीमावर्ती राज्य में अशांति के कारण लाखों रोहिंग्या मुसलमानों ने बांग्लादेश में शरण लिया है तथा कई हजार भारत के विभिन्न राज्यों में भी शरणार्थी बनकर रह रहे हैं. उनके प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का रवैया पूरी तरह से स्पष्ट नहीं होने के कारण असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

उन्होंने कहा कि भारत सरकार को इन शरणार्थियों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपना चाहिए जैसा कि भारत की परंपरा रही है. साथ ही, म्यांमार एवं बांग्लादेश की सरकार से वार्ता करके रोहिंग्या मुसलमानों के मामले को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए, ताकि उनका पलायन रुक सके.

गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र ने भी बुधवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील किया है कि वह अपने राजनीतिक मतभेदों को परे रखते हुए रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों की मदद के लिए किये जा रहे मानवीय प्रयासों में सहयोग करें. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटारेस के प्रवक्ता स्टीफन डुजारीक ने न्यू यॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में अपने दैनिक दोपहर संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि हमने रोहिंग्या मुस्लिमों की साथ हो रही दुखद घटनाओं पर चिंताओं को स्पष्ट रूप से जाहिर किया है. ये लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर किये गये हैं. जिस तरह की खबरें और तस्वीरें हमारे पास आ रही है, वह दिल को दुखाने वाली है.

उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपने राजनीतिक मतभेदों के बावजूद इस दिशा में किये जा रहे मानवीय प्रयास में सहयोग करना चाहिए. सरहद पार करने वाले ये लोग बहुत ही कमजोर और असुरक्षित हैं. ये लोग भूखे और कुपोषित हैं, इन्हें मदद मिलनी ही चाहिए.

रोहिंग्या शरणार्थियों पर क्षेत्रीय देशों की भूमिका को लेकर उनसे एक संवाददाता ने सवाल किया था, बड़े क्षेत्रीय देशों सहित खासकर के भारत ने रोहिंग्या संकट को लेकर अपना पक्ष साफ कर दिया है. वह ऐसे वक्त में मदद के लिए सामने नहीं आये हैं, जब उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो सकती थी.

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