बेटा इंग्लैंड में… यूपी में मां की सोफे पर बैठे-बैठे मौत, मदर्स डे पर बेटी की कॉल का इंतजार करती रही, कोई अस्पताल तक ले जाने वाला नहीं

KANPUR NEWS: मदर्स डे पर कानपुर के रावतपुर की कहानी सबको झकझोर के रख देती है यह कहानी अकेलेपन से जूझ रही महिला सुनीता देवी की है,सुनीता देवी का अकेला पन उनको इस कदर झकझोर दिया था कि मदर्स डे पर वह अपने बच्चों का इंतजार करती रहीं और अकेले सोफे पर बैठे बैठे उनकी तबियत ऐसी बिगड़ी कि सुनीता देवी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया.

By Abhishek Singh | May 12, 2025 7:51 PM

KANPUR NEWS: रविवार की दोपहर जहां लोग मदर्स डे मना रहे थे.किसी मां को फूल मिले, किसी को साड़ी तो किसी को फोन कॉल कर बधाइयां. लेकिन कानपुर के रावतपुर इलाके में एक मां ऐसी भी थी, जो पूरे दिन सोफे पर बैठी बेटी की फोन कॉल का इंतजार करती रही. बेताब मां बेटी की आवाज़, बेटे की झलक, किसी अपने की परछाईं पाने को तरस गई. और फिर, चुपचाप बिना कुछ कहे, दुनिया को अलविदा कह गईं.

65 वर्षीय सुनीता देवी, दो बच्चों की मां थीं. पति का निधन आज से 5 साल पूर्व हो चुका था. बेटा आदित्य लंदन में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और बेटी नेहा शहर में ही एक निजी कंपनी में कार्यरत है. पड़ोसियों के अनुसार, सुनीता देवी पिछले कुछ वर्षों से गंभीर बीमारियों से जूझ रही थीं उन्हें हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारी थी.

रविवार की दोपहर में उनकी तबीयत अचानक से बिगड़ी. वह कई मिनट तक मदद के लिए प्रयास करती रहीं, लेकिन न पास में फोन रखा था, न आवाज़ सुनने वाला कोई व्यक्ति. सोफे पर ही बैठी रहीं, दर्द में तड़पती रहीं, और फिर हमेशा के लिए चुप हो गईं.

जब शाम होने पर उनके घर की लाइटें नहीं जलीं और कोई हलचल नहीं मची, तो पड़ोसियों को कुछ शक सा हुआ. दरवाजा खटखटाने पर भी अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. फिर सूचना पुलिस को दी गई तो पुलिस पहुंची. दरवाजा तोड़ा गया तो सुनीता देवी को अचेत अवस्था में पाया गया. डॉक्टरों की टीम ने पुष्टि की कि उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई.

एक मां की आखिरी ख्वाहिश रह गई अधूरी

बेटे को जब इस घटना की खबर दी गई, तो वह फोन पर फूट-फूट कर रो पड़ा. लेकिन उसकी मां सुनीता देवी अब सुनने के लिए जीवित नहीं थीं. बेटी ने कहा कि वह मदर्स डे पर अपनी मां को सरप्राइज देने वाली थी. लेकिन यह सरप्राइज हमेशा के लिए अधूरा रह गया.

आधुनिक समय में अकेलेपन का दुख

यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि उस समाज की तस्वीर है जहां बुजुर्ग अक्सर अकेलेपन और उपेक्षा के शिकार हो जाते हैं. बच्चे अपने-अपने जीवन में व्यस्त रहते हैं, और मां-बाप की सुध लेने तक का वक्त नहीं रहता. पड़ोसियों ने बताया कि सुनीता देवी हमेशा मुस्कराती थीं, लेकिन उनकी आँखों में अकेलेपन की वह झलक साफतौर पर दिखा करती थी.

पड़ोसी भावना ने कहा

रावतपुर की कॉलोनी में इस घटना से भारी दुख का माहौल है. पड़ोसी भावना तिवारी बताती हैं, “सुनीता आंटी रोज़ शाम को छत पर बैठती थीं, सभी को देख कर मुस्कुराया करती थीं, आंटी पिछले दो दिन से नहीं दिखीं, हमने सोचा तबियत खराब है. हमें अंदेशा नहीं था कि आंटी इस कदर अकेली थीं.”