Ramadan 2023: रमजान में रोजदार की तौबा से माफ होते हैं तमाम गुनाह, ‘जुबान’ ही नहीं, इनका भी रोजा….

Ramadan 2023: रोजा जुबान के साथ ही आंख, नाक, कान, हाथ और जिस्म के हर हिस्से का होता है. इसमें आंखों का पर्दा अहम है.रोजदार अपनी गलत निगाहों से किसी को देखता है, तो रोजा मकरुह हो सकता है. झूठ बोलने, या पीठ पीछे किसी की बुराई करने,किसी को गाली देना या अपशब्द कहने से भी रोजा मकरूह हो जाता है.

By Prabhat Khabar | March 25, 2023 10:11 AM

Bareilly: अल्लाह रमजान के मुकद्दस माह में रोजदार की तौबा को तुरंत कुबूल करता है. उनके पिछले तमाम गुनाहों को माफ कर दिया जाता है. रमजान के महीने में अल्लाह के नेक बंदे रोजे रखने के साथ सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत भी करते हैं. यह बरकतों का महीना है. इसलिए अल्लाह इस महीने में अपनी खास रहमत नाजिल फरमाता है.

रमजान में अल्लाह रोजेदार की दुआओं को कुबूल करने के साथ ही फरिश्तों को हुक्म देता है, कि रोजा रखने वालों की दुआओं पर आमीन कहें. क्योंकि, रोजदार ईमान के साथ ही अल्लाह की रजा के लिए रोजा रखता है. अल्लाह उसके तमाम पिछले गुनाहों को माफ करता है.रोजदार को खाने-पीने के साथ ही अन्य चीजों का भी ख्याल रखना पड़ता है.

हाफिज इकराम कहते हैं कि रोजा जुबान के साथ ही आंख, नाक, कान, हाथ और जिस्म के हर हिस्से का होता है. इसमें आंखों का पर्दा अहम है.रोजदार अपनी गलत निगाहों से किसी को देखता है, तो रोजा मकरुह हो सकता है. इसके अलावा झूठ बोलने, या पीठ पीछे किसी की बुराई करने,किसी को गाली देना या अपशब्द कहने से भी रोजा मकरूह हो जाता है.

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सहरी के बाद शुरू होता है रोजा

रोजा आधी रात बाद सहरी खाने के बाद से शुरू होता है.यह इफ्तार तक रहता है. मगर,रोजदार सहरी के बाद से इफ्तार के पहले तक जानबूझकर कुछ भी खा ले, या फिर पानी पी ले, तो उसका रोजा टूट जाता है. मगर, धोखे में या भूलवश खाने से रोजा नहीं टूटता. उसके दांत में कुछ फंसा है, और वह उसको निकालने के बजाय निगल जाता है. इस पर भी रोजा मकरूह हो जाता है. बीमारी में जरूरी इंजेक्शन लगवाने पर रोजा नहीं टूटता. मगर, रोजे के बाद इंजेक्शन लगवाना बेहतर है.

गरीबों का रखना चाहिए ख्याल

रमजान में मुसलमानों को गरीब और मजलूमों का जरूर ख्याल रखना चाहिए. उनको जकात देना चाहिए. इस्लाम में जकात फर्ज (आवश्यक) है. इसलिए गरीबों को जकात दें.अपनी कमाई में से ढाई फीसद जकात देने का हुक्म है.

रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद बरेली

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