यूपी सरकार देशभर में हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए 75 एमएसएमई मार्ट खोलने की कर रही तैयारी, जानें सबकुछ

यूपी के इंडस्ट्रियल कंसल्टेंट्स (UPICON) के प्रबंध निदेशक प्रवीण सिंह ने इस संबंध में मीडिया को बताया है कि लखनऊ में समिट बिल्डिंग की सातवीं मंजिल पर स्थित माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइज (MSME) मार्ट चालू हो गया है.

By Prabhat Khabar | August 14, 2022 3:12 PM

Lucknow News: उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के विभिन्न जनपदों के स्थानीय हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए देशभर में 75 एमएसएमई मार्ट खोलने की योजना बना रही है. यह MSME मार्ट मुरादाबाद के पीतल के उत्पादों से लेकर चित्रकूट के लकड़ी के खिलौनों तक के उत्पादों को प्रदर्शित करेगा.

MSME मार्ट चालू हो गया

यूपी के इंडस्ट्रियल कंसल्टेंट्स (UPICON) के प्रबंध निदेशक प्रवीण सिंह ने इस संबंध में मीडिया को बताया है कि लखनऊ में समिट बिल्डिंग की सातवीं मंजिल पर स्थित माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइज (MSME) मार्ट चालू हो गया है. ओडीओपी और इसी तरह की अन्य सरकारी योजनाओं के तहत प्रशिक्षित स्थानीय कारीगरों द्वारा क्यूरेट किए गए उत्पादों के लिए प्रचार केंद्र और प्रदर्शन स्थल का निर्माण करने की तैयारी चल रही है.

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इन केंद्रों से क्या होगा लाभ?

सिंह ने कहा, ‘योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा राज्य के प्रतिभाशाली कारीगरों और शिल्पकारों को पहचान और मंच प्रदान करने के लिए किए गए उपायों की एक श्रृंखला के तहत, देश भर में ऐसे 75 मार्ट खोलने का लक्ष्य रखा गया है.’ राज्य सरकार ऐसी दुकानें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खोलने के प्रस्ताव पर भी विचार कर रही है. उन्होंने कहा कि मार्ट के माध्यम से कारीगरों को उचित पहचान मिलेगी. साथ ही, उनके बनाए गए उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा और इसे बनाने में आई मशक्कत के बारे में वीडियो जारी किया जाएगा. इससे ग्राहकों को इन चीजों के बारे में वास्तविकता में लगने वाली मेहनत का पता चलेगा.

सीएम योगी ने भी जताई है मंशा

लखनऊ में एमएसएमई मार्ट खुलने के बाद राज्य सरकार अब नोएडा, प्रयागराज, वाराणसी और आगरा में भी इसी तरह के मार्ट खोलने की योजना बना रही है. इसके बाद बेंगलुरु, मुंबई, दिल्ली और कोलकाता में भी ऐसे मार्ट खोले जाएंगे. राज्य के मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ ने जुलाई में जिला प्रशासन को अपनी आगामी वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) योजना के लिए उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में प्रत्येक जनपद में विशेष उत्पादों की पहचान करने और सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था.

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