UP Chunav 2022: यूपी आए राहुल गांधी ने क्यों बनाई सियासत से दूरी, वजह कहीं 2019 से तो नहीं है जुड़ी, पढ़ें

कांग्रेस के दिग्गज नेता और वायनाड सांसद राहुल गांधी यूपी आए और बिना कुछ चले गए, जोकि राजनीतिक क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है. आइए समझते हैं क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार...

By Prabhat Khabar Print Desk | December 6, 2021 1:02 PM

UP Chunav 2022: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 का समय दिन ब दिन नजदीक आता जा रहा है. ऐसे में चुनाव में शामिल सभी राजनीतिक पार्टियां अधिक से अधिक वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए जुटी हुई हैं. इस बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता और वायनाड सांसद राहुल गांधी यूपी आए और बिना कुछ चले गए, जोकि राजनीतिक क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है.

बिना कुछ कहे लौटे राहुल गांधी

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड सांसद राहुल गांधी रविवार को प्रयागराज पहुंचे. यहां पहुंचने पर स्वराज भवन में पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया. राहुल निजी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रयागराज पहुंचे हैं. यहां एयरपोर्ट पर बड़ी संख्या में कांग्रेस के कार्यकर्ता मौजूद थे.

2019 का लोकसभा चुनाव अहम कारण

राजनीतिक जानकारों की मानें तो राहुल गांधी की चुप्पी को 2019 के लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. दरअसल, यहां स्मृति ईरानी की जबरदस्त जीत और राहुल की हार ही उनकी चुप्पी का अहम कारण मानी जा रही है. यही कारण है कि राहुल गांधी ने यूपी विधानसभा चुनाव से दूरी बना ली है, और यूपी आने के बाद भी वह बिना कुछ कहे चले गए

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक

यूपी विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच राहुल गांधी का यूपी आकर बिना कुछ कहे चले जाने पर राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि कांग्रेस ने प्रियंका को फ्री हैंड दे रखा है. इसमें किसी का हस्तक्षेप नहीं है, यहां तक कि राहुल गांधी को भी हस्तक्षेफ की इजाजत नहीं है. हालांकि, दोनों नेता यूपी चुनाव को लेकर लगातार प्लानिंग तो कर रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी बयानबाजी से दूरी बनाए हुए हैं.

2017 में भी UP के दो लड़के नहीं हुए सफल

दरअसल, यूपी में राहुल की राजनीति को 2019 में लोकसाभा चुनाव में ही नहीं बल्कि 2017 से ही ग्रहण लग चुका है. बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने मिलकर चुनाव लड़ा था, उस समय यूपी के दो लड़के के नाम से अखिलेश और राहुल काफी चर्चा में रहे थे, लेकिन परिणाम बिल्कुल विपरीत रहे, और दोनों पार्टियों को हार मिली.

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